प्रसवपूर्व अवस्था याने पेटसी अवस्था में अनेक जोखम होते है| इससे मॉं या बच्चेको खतरा संभव है| नियमित जॉंच से ये जोखम हम समयपरही पहचान सकते है| आजकल सोनोग्राफी तकनीक के कारण प्रसवपूर्व जोखम और शिशुकी स्थिती हम जान सकते है| यहॉं हम प्रसवपूर्व अवस्थाके कुछ महत्त्वपूर्ण खतरे समझ लेंगे|
प्रसवपूर्व अवस्थामें कुछ रोगोंका होना
कई बिमारियॉं प्रसवपूर्व अवस्थामें जादा घातक साबित होती है|
- आँखमें पीलिया या रक्ताल्पता की जॉंच किजिये| पेटसी महिलामें पीलिया जानलेवा साबित हो सकती है|
- रक्ताल्पता से मॉं और शिशुपर दु:ष्प्रभाव होता है| हिमोग्लोबिन ८ ग्रॅम से नीचे होना नुकसानदेह है| लेकिन इसके लिये अच्छे इलाज भी मौजूद है|
- बुखार और खसरेनुमा बिमारी शिशु को विशेष घातक है|
- पेटसी महिलाको जादा बुखार होना गर्भपात का कारण हो सकता है|
गर्भपात या असमय प्रसूतीका जोखम
- घेंगा याने अवटू थायरॉइड ग्रंथी की सूजन के कारण शिशुपर दुष्प्रभाव होता है| ऐसे शिशुको जनन के पश्चात तुरंत इलाज जरुरी होते है|
- कोई महिलाको पहलेसे हृदय की बिमारी हो तब गर्भपात की आवश्यकता बन सकती है|
- अगर महिलाको डायबेटिज याने मधुमेह बिमारी हो तो शिशु मोटा और भारी होता है| लेकिन यह अच्छा नहीं बल्कि एक दुष्प्रभाव है|
- महिला का रक्तवर्ग आर.एच.निगेटिव हो और पती आर.एच. पॉझिटिव हो तब शिशुको खतरा हो सकता है| खासकर दूसरे या बादके प्रसूतीसमय शिशूको खतरा है| इसके लिये प्रसव के बाद तुरंत इलाज जरुरी है|
- एचायवी और एड्स का होना खासकर गर्भावस्थामें एक बडी समस्या है| ऐसी महिला अपना गर्भ बढाये या गर्भपात करे यह एक मुश्किल निर्णय होता है|
- महिला की कद छोटी याने १४२से.मी. से कम हो तो प्राकृतिक प्रसवमें कठिनाई हो सकती है|
प्रसूवपूर्व अवस्था के खतरे
- हफ्तोंके हिसाब से पेट जादा बडा लगता हो तब जुडवा बच्चा संभव है, या गर्भाशय में जादा पानी हो सकता है|
- इन दोनो बातोंमें थोडासा जोखम होता है|
- प्रसवपूर्व अवस्थामें पहिले तीन महिनोंके बाद उल्टियॉं होना ठीक नहीं| इसके लिये डॉक्टरसे मिलना चाहिये|
- बार बार होनेवाला तीव्र सरदर्द खतरेका संकेत करता है| अतिरक्तचाप मॉं और बच्चा दोनोंको खतरा पैदा करता है| ऐसे बिमारी में महिला के पॉंव और चेहरेपरभी सूजन आती है|
- हफ्तोंके हिसाब से महिला का पेट छोटा लगता है तब भी गर्भ कमजोर या दोषपूर्ण हो सकता है|
- गर्भावस्था में १६ हफ्तोंके बाद पेट में गर्भकी हलचल न हो तब खतरा समझे|
- पेटमें बार बार शूल या दर्द का होना अंदरुनी रक्तस्त्राव का संकेत देता है|
- २८ हफ्तोंके पूर्व महिलाको योनीसे रक्तस्त्राव होना गर्भपात का संकेत है|
- २८ हफ्तोंके पश्चात महिलाको योनीसे रक्तस्त्राव चलता है तब असमय प्रसूतीका संकेत समझे|
- अपरा याने प्लासेंटा गर्भाशयमें गलत जगह होना या मूल स्थानसे खिसका हो सकता है|
- योनीमार्ग से सफेद पानी चलना गर्भकोषसे पानी रिझनेका संकेत है| इससे खतरा होता है|
- पैरोंको सूजन आना नुकसानदेह समझे और जॉंच करवा ले| अतिरक्तचाप और पेशाब में प्रथिनें पाया जाना खतरे को जादा बढाता है| इसी अवस्थामें दौरे पडनेसे खतरा और ही बढता है|
- आमतौरपर छ: महिने के बाद हर मास वजन डेढ किलोग्राम से जादा बढना नहीं चाहिये| इसपर निगरानी रखे|
- पहले प्रसव के समय महिला की उम्र तीस साल से जादा हो तब शिशुको कुछ खतरा संभव है| ऐसे समय बच्चा मतिमंद होने की संभावना बढती है|
गर्भावस्थामें विशेष जाँच
- गर्भावस्थामें नियमित रूपसे जॉंच करना जरुरी है| पहिले ३ महिनोंमें एक बार, दूसरे और तिसरे तीन महिनोंमें कम से कम दो दो बार जॉंचना आवश्यक है| सोनोग्राफी १६ हफ्तोंके बाद करे| इससे दोषपूर्ण गर्भ समयपर पहचान सकते है|
- खून, पेशाब, रक्तवर्ग, हिमोग्लोबीन, रक्तकोशियोंकी मात्रा, रक्तशर्करा, व्ही.डी.आर.एल., एचायव्ही, पीलिया इन सबके बारेमें विशेष जॉंच जरुरी है|
- आपके डॉक्टर जरुर समझे तब अवटू हॉर्मोन, डबल मार्कर या ट्रिपल मार्कर टेस्ट करा ले|
विशेष सुझाव
- गर्भावस्थामें हमेशा सावधानी परखनी चाहिये| कोई आशंका हो तो तुरंत डॉक्टरसे मिलना चाहिये|
- गर्भपात करना हो तो बारा हफ्तेंसे पूर्व करना अच्छा होता है| वैसे बीस हफ्तोंके बाद गर्भपात गैरकानूनी और खतरा मोल लेनाही है|
- गर्भावस्था के कुछ जोखम इलाज से ठीक होते है|
- कोई भी आशंका या मुश्किल हो तो घबराये नहीं, अपने डॉक्टर से मिले और सावधानी परखे|