गॅस्ट्रोलघु लेख

Dast गॅस्ट्रो का मतलब है दस्त और उल्टियाँ| जठरदाह के कारण उल्टियाँ होती है| आँत के दाह के कारण दस्त होता है| इस बिमारी का कारण है जिवाणू या विषाणू का संक्रमण| पहले कॉलरा बिमारी को गॅस्ट्रो नाम दिया जाता था लेकिन अब इसके अन्य भी कारण है| यह बिमारी घातक साबीत हो सकती है| इससे महामारी भी होती है|

गॅस्ट्रो के कारण

यह बिमारी मुख्य रूप से कॉलरा के जिवाणू के संक्रमण से होती है| लेकिन इसके लिये अन्य जिवाणू और विषाणू भी जिम्मेदार हो सकते है| यह संक्रमण दुषित अन्न, खराब पानी, मख्खियॉं तथा गंदे हाथोंसे फैल सकती है| जत्रा, बाढ या अन्य कुदरती त्रासदी के बाद ऐसे संक्रमण फैल सकते है| कभी कभी प्रवासी व्यक्ती को ही इसका संक्रमण होता है| अन्नविषबाधा इसका और एक कारण है|

रोगनिदान

उल्टियाँ और दस्त ये इसके मुख्य लक्षण होते है| दस्त और उल्टियाँ सामान्यत: रंगहीन और गंधहीन होती है| उल्टी और दस्त की मात्रा बडी होती है| इनके चलते शरीर शुष्क हो जाता है| शरीर सुखने के कारण रोगी घातक अवस्था में पहुँचता है| बदन ठंडा और पसीने से लशपथ लगता है| रोगी सुस्त और ग्लानी महसूस करता है| कभी कभी बेसूद होता है| नाडी तेज गतीसे चली है लेकिन कमजोर होती है|

जीभ और आँखे चलन सुखी सी लगती है, पेशाब कम मात्रामें होती है| त्वचा शुष्क होती है| यह हम जॉंच सकते है| पेट की त्वचा उंगलियोंसे पकडकर छोड देनेपर सामान्यत: तुरंत पहिले जैसी हो जाती है| लेकिन इस बिमारी में शुष्कता के कारण त्वचा धीरे धीरे वापस जाती है| रोगी बेहोष होता है| बच्चे तो जल्दी ही अत्यवस्थ होते है |

प्राथमिक इलाज

अभी शीघ्र कृती करना जरूरी है| पहले अस्पताल को और ऍम्ब्युलन्स के लिये फोन कीजिये| इसी समय रोगी को पतले पदार्थ देकर शुष्कता कम करने सर्वाधिक जरूरी है| नारियल का पानी सबसे अच्छा होता है| अगर ये ना हो तो जलसंजीवनी तैय्यार कीजिये|

इसके लिये एक लिटर पानी में आठ चम्मच शक्कर, एक चम्मच नमक और दो उंगली बीच सोडा मिलाए| यह जलसंजीवनी रोगी को चम्मच से घूट घूट पिलाते रहे| इस उपाय से शरीर का पानी और नमक सामान्य होता रहेगा|

उपलब्ध हो तो जलसंजीवनी का पॅकेट का प्रयोग कर सकते है| एक पॅकेट का पावडर एक लिटर साङ्ग पानी में मिलाकर उसका प्रयोग करे| इलाज उपलब्ध हो तो सलाईन का भी प्रयोग करे| आपके डॉक्टर उचित अँटीबायोटिक दवाइयॉं देंगे|

प्रतिबंध

बरसात के दिनों में पानी साङ्ग सुथरा रखना बिलकुल जरूरी है| शहरों में कभी कभी जलप्रदूषण के कारण अन्य मौसम में ही यह बिमारी फैल सकती है| पेय जल की सुरक्षा का भरोसा ना हो तो ङ्गिल्टर इस्तेमाल कीजिये| पानी का ङ्गिल्टर ना हो तो पेयजल में क्लोरीन बूंद मिलाकर आधे घंटे के बाद इस्तेमाल कीजिये| अगर यह भी ना हो तो पेय जल कम से कम पॉंच मिनिट उबालकर इस्तमाल कीजिये|

उल्टी: दस्तपर दी जानेवाली कॉलरा वॅक्सीन अब नही दी जाती, क्यूकी वह इतनी कामयाब साबित नहीं हुई| इस बिमारी की खबर स्वास्थ्य केंद्र को शीघ्र देना चाहिये| स्वास्थ्य कर्मचारी रोगियोंको उचित इलाज करेंगे तथा पेय जल सुरक्षा का इंतजाम करेंगे और उल्टी दस्त के नमुने भी लेंगे|

विशेष सुझाव

यात्रा के दौरान सुरक्षा अनिश्चित हो तब पेयजल तथा भोजन न ले| हो सके तो अपना भोजन और पेयजल बोतल में अपने साथ ले ले|

सुरक्षित पेयजल सबसे महत्त्वपूर्ण है| गॅस्ट्रो के साथ इससे, कामला, पेचीस, और टायफॉईड जैसी बिमारी हम टाल सकते है|
भारत में कहीं भी नदीयोंका पानी शुद्ध नही है| कोई भी खुला पानी पेयजल के लिये सुरक्षित नही होता| पेयजल प्रक्रिया के बाद ही इस्तेमाल करना चाहिये|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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