समाजमें हम अक्सर गूँगे बच्चे देखते है| यह एक महत्त्वपूर्ण समस्या है| कोई बच्चा अगर गूँगा है तो उसका कारण उसके श्रवणबधिरता है| श्रवणबधिरताके कारण बालक बोलना सींख नहीं सकता| अगर इस समस्या को जल्दी पहचान सकते है तो इलाज अवश्य संभव है| भारतमें हर हजार बच्चोंमें दो बच्चे श्रवणबधीर जनमते है| इस व्यंगका मूल कारण अभीतक ज्ञात नहीं है| कुछ बालक जन्म के समय ठीक होते है लेकिन मस्तिष्कज्वर के कारण सुननेकी शक्ती खोते है|
जन्मत: कर्णबधिरतामें उसका श्रवणेंद्रिय और उसे जुडा मस्तिष्कका हिस्सा ४० डेसिबलसे हल्का आवाज सुन सकता नहीं| ४० डेसिबल याने बोलनेकी सामान्य उँचाई होती है| फिरभी श्रवणबधीर बच्चोंमें कुछ ना कुछ श्रवणशक्ती मैजूद रहती है| इसके बलपर हम कुछ इलाज जरुर कर सकते है| सही समय मदत मिलनेसे यह बच्चा आगे चलकर सामान्य स्कूलमें दाखिल हो सकता है यह विश्वास रखे|
श्रवणबधीर बच्चा अन्य बच्चोंके समानही दिखता है| विशेष जॉंचसेही श्रवणबधिरता का पता चलता है| कोईभी बच्चा ताली के आवाज से चौंकता है| जन्मके बाद पहले हफ्तेमेंही इसको हम परख सकते है| तीन महिनेंतक बच्चा आवाज की तरफ आँखे मोडता है| यह तथ्य तो हम भी परख सकते है| इसमें कोई संदेह हो तब तुरंत कान के डॉक्टर की सलाह ले| विशेषज्ञ इसके लिये बेरा नामक जॉंच करते है| इससे ध्वनीसंदेश मस्तिष्क की तरफ जाते है या नहीं यह तय होता है| इसको करीब १५०० रु. खर्च आता है| जन्म समयमें ऐसी जॉंच करनेकी विदेशोंमें पद्धती है| लेकिन इसका भारतमें अभीतक प्रचलन नहीं|
डेढ बरसतक बच्चे सामान्यत: १-२ शब्द बोल सकते है| अगर ये नहीं होता तो चिंता की बात है| इस तथ्यको नजर अंदाज बिलकुल न करे और जल्दही डॉक्टरी सलाह ले ले| ऐसा बच्चा किसी भी चीज का हाथ से संकेत करता है लेकिन नाम नहीं कह पाता| जैसे की पानी कहने के बजाय बच्चा पानीके बर्तन के तरफ उंगली दिखाएगा| इस बच्चेको श्रवणबधिरता है| इस बच्चे का भवितव्य आप इसी क्षणसे बदल सकते है, संभवत: ये मुश्किल होता है|
आपका बच्चा श्रवण विकलांग है यह एक बडा सदमा होता है| इससे उभरने के लिये कुछ समय तो लगता ही है और पारिवारीक मदत की जरुरत भी होती है|
हम जब अन्य परिवारोंमें जच्चा बच्चा देखने जाते है तब श्रवणशक्ती का विशेष खयाल रखे| कोई संदेह हो तो सही शब्दोंमें सूचित करना चाहिये| सही समयपर सुझाव यही बडी मद्द है| कोई भी बच्चा अगर असलमें कर्णबधीर हो तो उसका अन्य कोईभी उपाय नहीं| इसमें समय बरबाद होता है और अंतमें निराशाभी होती है|
कान के विशेषज्ञ और स्पीच थेरपीस्ट की मदत महत्त्वपूर्ण है| खास स्कूल की जरुरत होती है| लेकिन निराश होनेसे बचे| यह काम मुश्किल और कष्टदायक जरूर है लेकिन हम इसमें कामयाब हो सकते है|