गर्भाशय का कॅन्सर लघु लेख

cancer-cervix-shortarticleभारत में गर्भाशय मुख का कॅन्सर बहुत महत्त्वपूर्ण है| बिमारी का पता शिघ्र लगाना जरूरी है| अत: लक्षणों पर निर्भर नही रह सकते| अब उत्तम परिक्षण उपलब्ध है| (गर्भाशय का लम्बासा मुख योनीमार्ग में खुलता है| अपने हाथोंकी उँगलियों से महिला उसे स्पर्श कर सकते है|) इस कर्करोग का पता शीघ्र लग सकता है| तथा समय रहते उपचारोंसे वह ठीक भी हो सकता है| भारत में यह कर्करोग लैंगिक संसर्ग ते तथा अधिक जापोके कारण होता दिखाई देता है| ३५ से ४५ की उम्र में यह रोग अधिक नजर आता है| अब इसके लिये एक प्रतिबंधक टीका भी उपलब्ध है|

जानकारी
  • इस कर्करोग में ह्युमन पेपिलोमा व्हायरस ९५% बातों में जिम्मेदार होता है|
  • अधिक व जल्दी जापों के कारण इस विषाणुसंसर्ग का धोखा बढ जाता है
  • लिंगसांसगिक बिमारियोंके लगनेसे कर्करोग का धोखा बढ जाता है|
  • पुरुष साथीदार के लिंग की त्वचा के निचे चिकटा हो तो इस चिकटे में विषाणू होते है| सुन्ता करनेसे ये विषाणू व त्वचा खत्म हो जाते है| अत: मुस्लीम स्त्रियोंको इस कर्करोग का धोखा कम होता है|

रोगनिदान – सूचक लक्षण
  • रक्तस्त्राव इसका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लक्षण है|
  • माहवारी के अलावा बीच में या लैंगिक संबंधो के पश्चात रक्तस्त्राव, ये सूचक है|
  • रजोनिवृत्ती उपरान्त योनीमार्ग में रक्तस्त्राव होना या लाल-पिला दुर्गंधीयुक्त स्त्राव होना, यह एक लक्षण है|
  • मूलत: ये कॅन्सर दर्दरहित होता है लेकिन उसमें पीब हो तो दुखता है|

पॅप टेस्ट याने गर्भाशय मुख की पेशी के नमूने का सूक्ष्मदर्शी से परिक्षण करना| इस परिक्षण में पेशी में कॅन्सरके सूचक बदलाव दिखते है| यह परिक्षण सस्ता और ८०% तक सही होता है| परीक्षण शिबीरोमें यह बडे पैमाने पर किया जा सकता है| इस परिक्षणोपरान्त उपचार करने के लिये काफी समय भी मिलता है| पॅप परिक्षणसे कॅन्सरसूचक बदलाव चार पायदानों में पहचाने जा सकते है|

रजोनिवृत्ती के बाद पॅप परिक्षण कुछ कम विश्वसनीय होता है| लेकिन स्त्री-हारमोन देकर उसे अधिक विश्वसनीय बना सकते है एँसिटोव्हाईट टेस्ट पॅप परिक्षण का एक अच्छा विकल्प है| इसमें गर्भाशयमुख पर ५% ऍसिटिक आम्ल लगाकर बदलाव को परखते है| इस परिक्षण में कॅन्सर सूचक भाग सफेद सा दिखता है| ऐसाही एक परिक्षण है शिलर का आयोडिन परिक्षण| इसमें रोग रहित भाग नीला-सा दिखाई देता है| इन में से किसी भी परिक्षण में कॅन्सर आशंका होने पर उतना हिस्सा निकालकर सूक्ष्मदर्शी परिक्षण हेतू भेजा जाता है|

योनी मार्ग के सामान्य स्पेक्युलम परिक्षण में भी गर्भाशयमुख पर गांठ या खुरदरा मोड दिख सकता है| ह्युमन पॅपिलोमा व्हायरस हेतु ट्यूमर मार्कर और डी.एन.ए.जैसे प्रगत परिक्षण उपलब्ध है| गर्भाशयमुखके कॅन्सर का फैलाव जानने के लिये आपके डॉक्टर सिटी-स्कॅन, एम.आर.आय और पी.ई.टी. परिक्षण की सलाह दे सकते है| खेदकी बात है की पूर्वनिदान सरल होते हुए भी अनेक स्त्रियोंको ऐसे परिक्षणोंका लाभ नही मिल पाता है| परिणामस्वरूप उपचार के लिये कुछ महिलाएँ काफी देर से आती है|

इलाज

कॅन्सर सूचक बदलाव होने पर परिस्थितीनुसार योग्य उपचार करना जरुरी है|

  • रोग सीमीत होने पर प्रभावित हिस्सा नष्ट करने हेतु कॉटरी या क्रायोसर्जरी या लेझर तकनीक उपलब्ध है| कॉटरिं याने जलाना, जबकी क्रायोसर्जरी अतिशीत तंत्र. लेझर से पेशी उबलती है और बाष्पीभूत होकर ङ्गूट जाती है|
  • गर्भाशयमुख शस्त्रक्रिया से निकाला जा सकता है | इसके लिये विविध तकनीक उपलब्ध है|
  • रोग के बढ जाने पर पूर्ण गर्भाशय निकालना पडता है|

प्रतिबंध
  • सही उम्र में शादी, सीमित परिवार, सुरक्षित लैंगिक व्यवहार व स्वच्छतासे कॅन्सर की संभावना कम हो जाती है|
  • प्रगत देशों में पॅप टेस्टसे इस रोग का प्रमाण काफी कम हो गया है| यह परिक्षण सभी स्त्री-रोग तज्ज्ञ कर सकते है|
  • ऍसिटिक आम्ल या शिलर परिक्षण स्वास्थ्यसेवक भी कर सकते है|
  • ह्युमन पॅपिलोमा का टीका भी अब उपलब्ध है| इसके कारण कॅन्सर और विषाणू-मशक रोग टाले जा सकते है| यह टीका किशोरी अवस्थामें ही देना चाहिये| इसके तीन डोस होते है| वे कुल छ: महिने की कालावधी में दिये जाते है|

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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