अगर कोई स्थाई दाँत अचानक किसी दुर्घटना में गिर गया हो तो उसे तुरंत संभाल लें। अगर यह टूटा नहीं है तो आप इसे वापस सॉकेट में लगा सकते हैं। पर यह दुर्घटना होने के १२ घंटे के भीतर ही करना चाहिए।
दाँत को साफ पानी से धोएं परन्तु इसपर लगा मांस और त्वचा न हटाएं। इससे दाँत वापस स्थापित करने में मदद मिलती है। रूट केनाल इलाज की मदद से दाँतों का डाक्टर यह ज़्यादा अच्छी तरह कर सकता है। ज़ाहिर है कि ऐसा तभी संभव है अगर पास ही में डाक्टर मौजूद हो। इस बीच में दाँत को सूखने देना नहीं चाहिए। इसके लिए उस व्यक्ति से इसे अपनी जीभ के नीचे रखने को कहें। इसे एक छोटी सी बोतल में साफ पानी में भी रखा जा सकता है। जितनी जल्दी दाँत को अपनी जगह पर लगाया जाता है उतनी ही उसकी जमने की संभावना ज़्यादा होती है। अगर आप यह एक घंटे के भीतर ही कर पाएं तो संभावना सबसे ज़्यादा होगी।
हम एक आरी से गिरे हुए दाँत को काट कर इसकी बनावट देख सकते हैं। आड़ी व खड़ी दोनों काटें और देखें। बाहर की सख्त सतह जिसे काटने में भी दिक्कत हुई होगी, दंतवल्क (इनेमल) कहलाती है। दूध के दाँतों का इनेमल काफी नाज़ुक होता है। बैक्टीरिया दूध के दाँतों के इनेमल आसानी से खराब कर सकते हैं।
इनेमल के नीचे दाँत का प्रमुख भाग होता है, जो कि डेन्टाइन कहलाता है। और अंदर एक गुफा होती है। इसे गुफा में मगज, खून की वाहिकांएं और तंत्रिकाएं होती हैं जो कि जड़ के रास्ते दाँत तक पहुँचती हैं। इसी तरह दाँत को संवेदना और खून मिलता है। अत: दाँत की गुफा में हुआ पीप जड़ के रास्ते जबड़े की हड्डी तक पहुँच सकता है।
कृत्रिम दॉंत विज्ञान की एक उपलब्धी |
बूढ़े लोगों के लिए नकली दाँत बहुत ही फायदेमंद होते हैं। इनसे न केवल स्वास्थ्य ठीक रहता है बल्कि कई तरह से आयु भी बढ़ती है। पाचन में मदद होना नकली दाँतों का सबसे बड़ा फायदा है। और ठीक से बोल पाना और शकल ठीक रहना भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं।
पर पूरी दंतपंक्ति बनाना बहुत ही कौशल का काम है। इसके लिए दाँत के डाक्टर की मदद की ज़रूरत होती है। नकली दाँतों को फिट करने के लिए मसूड़ों की ठीकठाक पंक्ति की भी ज़रूरत होती है। इसके लिए कुछ बचे हुए दाँतों को उनके अपने आप गिरने से पहले ही निकालना पड़ सकता है। बिना दाँतों के मसूड़े इस्तेमाल न होने के कारण बहुत तेजी से सिकुड़ जाते हैं।
इससे नकली दाँत लगा पाना लगभग असंभव हो जाता है। कई लोग नकली दाँत की पूरी पंक्ति लगाने के लिए “ठीक ठाक’ दाँत निकलवाना ठीक नहीं समझते। समय पर सलाह और थोडा़ सा मनाना ज़रूरी होता है।
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एक आध दाँतों के निकल जाने पर वहॉं नकली दाँत (पार्शल डेन्चर) फिट करना काफी फायदेमंद हो सकता है। दुर्घटना या लडाई-झगडे में भी एकाध दात गिर जाता है। कुछ दाँत हिलने लगते हैं और औरों से कहीं पहले गिर जाते हैं। टूटे हुए दाँतों की जगह नकली दाँत लगा देने से काम चल जाता है।
यह डेन्चर रोज़ निकाल कर रखे जा सकते हैं। यह असल में मसूडों में फिट होने वाला एक छोटा डेन्चर होता है। एक और तरीका होता है दाँत या डेन्चर को साथ के दाँत में फिट कर देना। इसे ब्रिज कहते हैं। एक और तरीके में नकली दाँत को जबड़े की हड्डी में फिट कर देते हैं। इसे रोपना (इमप्लांट) कहते हैं।
यह एक किसम की टोपी होती है जो कि टूटे हुए दाँत पर फिट कर दी जाती है। इससे दाँत का क्षरण रोका जा सके।
खाने में विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है। विटामिन सी मसूड़ों को स्वस्थ रखता है। नाविकों में कुछ खास तरह के खाने की कमी के कारण मसूड़ों की बीमारियॉं बहुत अधिक होती थीं, अत: उन्होंने ही सबसे पहले इस रोग को समझा। उन्होंने नींबू की जाति (सिटरस) के फल अपने साथ रख कर इस बिमारी से छुटकारा पाया। नियमित रूप से सिटरस फल जैसे नींबू या आंवला खाना विटामिन सी की पूर्ति का सबसे अच्छा और सस्ता साधन है। एक आंवला किसी भी व्यक्ति की रोज़ की विटामिन सी की ज़रूरत पूरी कर देता है। सूखे आंवले से भी ये ज़रूरत पूरी हो जाती है और इन फलों के अचार से भी। अमरूद भी विटामिन सी का एक अच्छा स्त्रोत है। विटामिन सी की कमी से व्यस्कों में मसूड़ों में सूजन, दर्द और खून आने की शिकायत हो सकती है।
स्कर्वी रोग से मसूड़ों की तकलीफ के अलावा बच्चे की हड्डियों में दर्द भी हो सकता है। यह काफी अजीब लग सकता है कि इस रोग से पीड़ित बच्चा गोद में उठाने से रोने लगता है और नीचे लिटाने पर चुप हो जाता है। स्कर्वी से पीड़ित बच्चा या वयस्क ५ दिनों तक विटामिन सी का कोर्स दिए जाने से ठीक हो सकता है। परन्तु विटामिन सी शरीर में बहुत देर तक नहीं रहता। इसलिए विटामिन सी युक्त खाना स्कर्वी से बचाव के लिए ज़रूरी है।
आपको अक्सर ही टार्टर दिखाई देगा। टार्टर से मसूड़े सिकुड़ने लगते हैं और इससे दाँत के जडोंका ज़्यादा दिखाई देने लगते हैं। टार्टर दाँत की अंदरूनी सतह पर जमा हो जाता है। सोते समय मुँह में लार इकट्ठी हो जाती है। इससे नीचे के सामने के दाँतों में टार्टर जमा हो जाता है। और जैसे ही एक बार टार्टर बनना शुरू होता है यह बढ़ता ही जाता है। अच्छी तरह नियमित रूप से ब्रश करने से हम टार्टर से बचाव कर सकते हैं। ध्यान रहे कि टार्टर हट जाने के बाद भी मसूड़े पहिले जैसे ठीक ठाक नही होते।
मसूड़ों के संक्रमण का एक और कारण मसूड़ों और दाँतों के बीच खाने के कण फंसे रह जाना भी है। यह ठीक से ब्रश न करने से होता है।