बुखारलघु लेख

bukhar-shortarticle बुखार सबसे जादा पायी जानेवाली स्वास्थ्य समस्या है| बुखार सूक्ष्म जीव संक्रमण से जुडी शरीर की प्रतिरक्षा प्रक्रिया है| आमतौरपर बुखार एक सामान्य और मर्यादित लक्षण होता है| सिवाय कुछ गंभीर रोग छोडके| कभी कभी बुखार की समस्या जानपदिक याने सामूहिक होती है जैसे की मलेरिया, फ्लू या डेंग्यू आदि| बुखार नापने के लिये डिजिटल या पारद थर्मामिटर मुँहमें एक मिनिट तक रखे| इसके नुसार ९८-१०० डिग्री तक बुखार सौम्य, १००-१०२ तक मध्यम और १०२ के उपर जादा बुखार समझना चाहिये|
जादा बुखार चलने पर मस्तिष्क पर बुरे असर संभव है| ये जानलेवा भी हो सकता है| इस सारी जानकारी के सहित आप सही समय सही निर्णय ले सकेंगे| इससे घबराहट या असुविधा हम टाल सकेंगे|

बुखार के कारण और निदान

कारण के अनुसार बुखार के सात वर्ग हो सकते है|

  • श्वसनसंस्थान वाले बुखार जैसे की जुकाम, फ्लू, गले की सूजन, श्वसनी शोथ, न्यूमोनिया, सार्स, टी.बी. आदि| सिवाय जुकाम के इन रोगोंमें खॉंसी होती ही है|
  • त्वचा के संक्रमणसे होनेवाले बुखार जैसे की जख्ममें पीप होना, फोडे या दानेवाले बुखार|
  • मच्छर या पिस्सू से होनेवाले बुखार जैसे की मलेरिया, फायलेरिया याने फीलपॉंव हाथीरोग, डेंग्यू, चिकुनगुन्या, जापानी मस्तिष्कज्वर, प्लेग, काला बुखार आदि| इन सभी बुखारोंमें पहले कंपकंपी होती है|
  • पाचन संस्थानके बुखार जैसे दस्त या पेचिश, पीलीया, टायफॉईड याने मोतीझरा आदि| पेचिशमें खून और श्लेष्मा गिरता है| टायफॉईड खून के जॉंच से ही पता चलता है|
  • प्रजनन और मूत्रसंस्थानके बुखार – इसमें पेशाब के समय जलन होती है तथा पेडूमें दर्द या दुखारुपन अनुभव होता है|
  • अन्य संक्रामक बुखार जैसे की ब्रुसेलॉसीस, एड्स, तपेदिक के कुछ प्रकार, आमवात याने जोडोंका बुखार, कॅन्सर में पीप होना आदि|
  • असंक्रामक बुखारोंमें उष्माघात और ऍलर्जी ये कुछ कारण होते है| इस जानकारी के साथ हम बुखार का कारण संभवत: ढूंढ सकते है| लेकीन कभी कभी खून की जॉंच जरुरी होती है|
बुखार में कुछ गंभीर लक्षण इस प्रकार है जिसके लिये तुरंत डॉक्टरी इलाज जरुरी है|
  • शिशु या बच्चोंका बुखार|
  • १०२ अंशसे से जादा बुखार|
  • बुखार के साथ सॉंस तेजी से चलना| वयस्कोंमें २० से जादा श्वसनगती|
  • एक हफ्तेसे जादा चला हुआ बुखार|
  • दौरे पडना, सुस्त होना, बोलचाल में ङ्गर्क, गर्दन अकडना, बेहोशी आदि लक्षण मस्तिष्कसे संबंधित है|
  • कहींभी रक्तस्राव या पीप का होना|
  • शरीरमें कही भी गांठ गिल्टीयॉं या सूजन पाना|
  • वजन कम होना, टी.बी, एड्स, टायङ्गॉईड का सूचक हो सकता है|
  • तीन हफ्तोंसे जादा खॉंसी या बलगम में खून होना|
  • पेशाब के समय जलन, दर्द या पेडूमें दुखना|
  • पीलीया जिससे त्वचा और आँखो में पीलापन दिखाई देता है|
  • उदर में असहनीय दर्द होना|
  • जोडोंमें सूजन या दर्द होना|
  • एकही समय जादा लोगोंको बुखार होना जानपदिक बिमारी का सूचक है|
प्राथमिक इलाज

कुलमिलाकर बुखार के मरिजोंमें गंभीर रोगोंका प्रमाण कम होता है| आमतौरपर जुकाम खॉंसीवाले बुखार कुछ जादाही होते है| सामान्य बुखार के लिये हम कुछ घरेलू इलाज कर सकते है| बुखार के लिये पॅरासिटामॉल सबसे सुरक्षित और सहज मिलनेवाली दवा है| जवान या वयस्कोंके लिये इसकी १-२ गोलियॉं दिन में तीन बार लेना चाहिये| बच्चोंके लिये पॅरासिटामॉल बिलकुल सुरक्षित है| बुखार के लिये अन्य दवाएँ भी है जैसे की ऍस्पिरिन, डायक्लोफेनॅक, आयबुप्रोफेन या निमेसुलाईड| बच्चोंको ऍस्पिरिन नहीं दिया जाता|
बुखार के लिये पॅरासिटामॉल सबसे सुरक्षित और सहज मिलनेवाली दवा है| जवान या वयस्कोंके लिये इसकी १-२ गोलियॉं दिन में तीन बार लेना चाहिये| बच्चोंके लिये पॅरासिटामॉल बिलकुल सुरक्षित है| बुखार के लिये अन्य दवाएँ भी है जैसे की ऍस्पिरिन, डायक्लोफेनॅक, आयबुप्रोफेन या निमेसुलाईड| बच्चोंको ऍस्पिरिन नहीं दिया जाता|
आयुर्वेद के अनुसार सुदर्शनवटी या त्रिभुवकिर्तीकी २-२ गोली दिन में २-३ बार ले सकते है| बुखार में पानी और द्रवपदार्थ जादा मात्रा में पिने चाहिये| तुलसीका चाय याने काढा भी ठीक रहता है| बुखार जादा हो तब गुनगुने पानीसे बदन पोछ लेना तुरंत हितकारक होता है| होमिओपथीमें बुखार के लिये आर्सेनिकम या बेलाडोना का प्रयोग होता है|

रोकथाम

हरएक बुखार-रोग के लिये अलग नीति हो सकती है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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