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मुँह से दी जाने वाली दवाइयाँ

मुँह से दी जाने वाली दवाइयों के बारे में भी डाक्टर ही फैसला करता है। बीमार व्यक्ति को डायबिटीज़ की दवाइयाँ लेते समय पेशाब में शक्कर की मात्रा की जाँच नियमित रूप से करते रहना चाहिए। ये दवाइयाँ इन्सुलिन का उत्पादन बढ़ा देती हैं। इससे शरीर में ग्लूकोज़ का इस्तेमाल भी बढ़ जाता है। परन्तु इनमें से कई से अल्पग्लूकोज़रक्तता हो जाने का खतरा होता है।

बीमार व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि इन दवाओं के लेने से खून में शक्कर की मात्रा कम हो जाती है। इसलिए इनके साथ समय पर खाना खाना ज़रूरी होता है। अगर आपको किसी दिन खाने के समय के बारे में पक्का नहीं है तो बेहतर है कि उस दिन दवा भी न ली जाए।

कसरत
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हल्की कसरत मधुमेह के लिये फायदेमंद है

डायबिटीज़ को सम्हालने के लिए हल्की कसरत ज़रूरी है। क्योंकि इससे कुछ शक्कर जल जाती है। डायबिटीज़ के बीमारों के लिए चलना एक बहुत अच्छी कसरत है। परन्तु ऐसी ज़ोरदार कसरत जिसमें थोड़े से समय में खूब सारी ऊर्जा की ज़रूरत होती है, नहीं करनी चाहिए। ऐसी कसरतों से खून में शक्कर की मात्रा में अचानक बहुत अधिक कमी आ जाती है। अगर कसरत करते समय कोई बेहोश हो जाए तो इसका अर्थ है कि उसे अल्पग्लूकोज़रक्तता है। ऐसे में उस व्यक्ति को तुरन्त थोड़ी-सी चीनी खानी चाहिए। कसरत की अवधि और ज़ोर भी तय रखा जाना चाहिए। बेहतर है कि इस समय सारिणी की भी डाक्टर से जाँच करवा ली जाए। तैरना और साईकिल चलाना भी अच्छी कसरत है। योग और प्राणायाम काफी फायदेमन्द होते हैं।

एनआईडीडीएम में, मोटापे से समस्या बढ़ती है। मोटापा कम कर लेना ही खून में शक्कर की मात्रा के नियंत्रण के लिए काफी होता है। इसलिए डायबिटीज़ के कई मरीज़ ठीक पोषण और कसरत से ही ठीक हो जाते हैं। वसा की कोशिकाओं में कमी का अर्थ उपलब्ध इन्सुलिन का बेहतर इस्तेमाल।

घावों और संक्रमण से बचना

डायबिटीज़ के मरीजों में घाव बहुत धीरे-धीरे भरते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कीटाणु अधिक शक्कर होने से ज्यादा बढ़ते हैं। कभी-कभी ज़ख्म भरते ही नहीं हैं और वो गहरे और बड़े होते जाते हैं। घावों का जल्दी न भरना डायबिटीज़ या कुष्ठ की निशानी भी है। अगर डायबिटीज़ नियंत्रण में रहे तो घाव भी आसानी से भर जाते हैं। इसलिए घावों का इलाज स्थानीय और फैला हुआ, दोनों तरह से होता है। घाव की ठीक से देखभाल और खून में शक्कर की मात्रा पर नियंत्रण दोनों ही ज़रूरी हैं।

शराब, तम्बाकू, और माँसाहारी खाना

शराब में भी काफी कैलोरी होती है और इन्हें गिनना चाहिए। वैसे डायबिटीज़ के मरीज़ को शराब से बचना ही चाहिए क्योंकि इससे शक्कर के स्तर में बदलाव आ जाता है। शराब लेते ही यह अचानक बढ़ जाता है और दो घण्टों बाद अचानक कम हो जाता है। तम्बाकू खाने और धूम्रपान से भी बचना चाहिए। तम्बाकू खून की वाहिकाओं के लिए काफी बुरी होती है। माँसाहारी खाने में काफी वसा होती है। इसलिए माँसाहारी खाना-थोड़ी मात्रा में ही खाना चाहिए। सिरप वाली दवाइयों में भी काफी शक्कर होती है। इसलिए इनका सेवन भी नहीं करना चाहिए।

डायबिटीज़ और अनुवांशिकी
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मधुमेह एक पिढी से दूसरी पिढी में
संक्रमित हो सकता है|

जिन लोगों के माता-पिता को डायबिटीज़ होती है उनमें डायबिटीज़ (टाईप 1 या टाईप 2) होने की सम्भावना काफी ज्यादा होती है। इसलिए दो डायबिटीज़ वाले व्यक्तियों को आपस में शादी नहीं करनी चाहिए। परन्तु एनआईडीडीएम डायबिटीज़ आमतौर पर शादी की उम्र तक सामने नहीं आती। इसलिए इस सलाह का पालन असल में कर पाना सम्भव नहीं है।

जिन लोगों में डायबिटीज़ होने का खतरा हो (जिनके परिवारों में डायबिटीज़ का इतिहास हो) उनमें छोटी उम्र से पेशाब में शक्कर की जाँच करना शुरू करना ज़रूरी है। जल्दी निदान और इलाज से लम्बी उम्र सुनिश्चित हो जाती है।

पीछे

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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