respirationश्वसन तंत्र की गंभीर बीमारियाँ श्वसन तंत्र और उसकी सामान्य बीमारियाँ

इस अध्यायमें हम खासकर अंदरुनी या निचली श्वसनतंत्रकी बीमारीयोंको देखेंगे, जो सहसा मध्यम या गंभीर होती है।

श्वासनली शोथ (ब्रोंकईटिस)
कारण
cold
नगर निगम की झाडू सफाई

श्वासनली शोथ हवा के मार्ग के अन्दरूनी तह की संक्रमण है। श्वसनी से लेकर छोटी शाखाओं तक, कई कारणों से यह श्वसनमार्ग शोथग्रस्त हो सकता है। यह कारण हैं गैसें, धूल, बैक्टीरिया, वायरस, धूम्रपान, एलर्जी आदि। संक्रमण की यह प्रक्रिया कम समयवाली या चिरकाली हो सकती है। शोथ ऊपरी श्वसन तंत्र की संक्रमण के कारण भी हो सकता है। खासकर चिरकारी श्वासनली शोथ के सबसे आम कारण हैं धूम्रपान और प्रदूषण।

लक्षण

श्वासनली शोथ से खॉंसी होती है। शुरू में यह सूखी होती है इसके बाद ३-४ दिनों में ही बलगम भी आने लगता है। खॉंसी से आमतौर पर काफी परेशानी होती है। अगर श्वसनी में संक्रमण हुई तो छाती के बीचोंबीच दर्द होता है। अगर श्वासनली शोथ ज़्यादा गम्भीर हो तो सॉंस लेने में मुश्किल होने लगती है।

गम्भीर संक्रमणकारी श्वासनली शोथ में हल्का बुखार और बदन में दर्द भी होता है। जबकि चिरकारी श्वासनली शोथ में आमतौर पर बुखार नहीं होता। आले से जॉंच करने से एक खास तरह की आवाज़ (सीटी जैसे) आएगी। ऐसी आवाज़ का अर्थ है कि हवा पतली नलियों में से गुज़र रही है। कभी कभी श्वसनी की संक्रमण वायुकोशों तक भी पहुँच सकता है। इससे निमोनिया हो जाता है। निमोनिया में छाती की आवाज़ अलग ही तरह की आती है। इसे क्रेपिटेशन कहते हैं (हल्की आवाज़ जैसे सूखा घास आपसमें घिसनेका आवाज)।

इलाज

गम्भीर श्वासनली शोथ, जिसमें हल्का बुखार हो या न हो, भाप लेने से ही फायदा हो जाता है। इससे बलगम ढ़ीला होकर निकल जाता है। परन्तु अगर बुखार भी हो (जिसका अर्थ है कि संक्रमण है) तो कोट्रीमोक्साज़ोल या डोक्सीसाइक्लीन या ऐमोक्सीसिलीन देना ज़रूरी है। वायरस संक्रमण में इन दवाओं से असर नहीं होगा। परन्तु वायरस संक्रमण आमतौर पर अपने आप एक दो हफ्तों में ठीक हो जाता है।

दीर्घकालीन (चिरकारी) श्वासनली शोथ

अगर श्वासनली शोथ बार बार दो सालों तक होती रहे तो यह चिरकारी श्वासनली शोथ है। खॉंसी बलगम आना और सॉंस लेने में मुश्किल होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। धूम्रपान और प्रदूषण इसके सबसे आम कारण हैं।

इलाज में मुँह से ऐमोक्सीसेलीन और सालब्यूटामोल दी जानी चाहिए। इसके अलावा भाप लेने से भी बलगम ढीला पड़ता है। चिरकारी श्वासनली शोथ मे सही देखभाल की ज़रूरत होती है। शोथकारी तत्वों को हटाया जाना ज़रूरी है। लम्बे समय तक चलने वाले चिरकारी श्वासनली शोथ से फेफड़ों को नुकसान पहुँचता है। और इससे फेफडों का शोथ हो जाता है। श्वासनली शोथ सालों तक नुकसानदेह बलगम के अन्दर पड़े रहने के कारण श्वसन तंत्र में स्थाई खराबी आ सकती है।

चिरकारी श्वासनली शोथ के कारण दिल में स्थाई खराबी आ सकती है। जिससे चिरकारी फुप्फुसजन्य ह्रद्ररोग हो जाता है। क्षयरोग (टी.बी.) यह श्वसन तंत्र का एक गंभीर संक्रामक बिमारी है, इसके बारे में हम अलग सीखेंगे।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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