संक्रमण प्रतिरोधी दवाईयाँ का इस्तेमाल सही ढंग से और पूरी अवधी तक होना जरुरी है। असंगत प्रयोग से या कम मात्रा या अवधी के लिये यह दवा लेने से जिवाणू इन दवाओंसे लडना सीख जाते है। उनकी अगली पिढीयॉं इस दवा को बिलकुल ही सह लेती है। इसके कारण अच्छी और सस्ती दवाएँ दिन ब दिन नाकाम हो रही है। दुनिया में यह एक बडा संकट भर रहा है। कुछ वर्ष पहले सुपरबग याने राक्षस जिवाणू का डर फैल गया था। इसका मतलब है किसी भी प्रतिरोधी दवा से न मरनेवाला जिवाणू। यह डर काल्पनिक नहीं किंतू असली है। इसिलिये खास करके जिवाणू रोधी दवाएँ अच्छे डॉक्टरों के या स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के हाथ में ही होना चाहिये।
विश्व स्वास्थ्य संघटन ने आवश्यक या जरुरी दवाओं की एक सूची उपलब्ध की है और हर दो वर्ष इसका पुनर्विलोकन होता है। दवाओं का सही वैज्ञानिक उपयोग होने के लिये निम्नलिखित सूचनाएँ अवश्य ध्यान में रखे।
हर बच्चा अपने अपने शारीरिक दृष्टी से वयस्कोंसे काफी अलग होता है। बच्चों के विभिन्न अंग पूर्ण रूप से विकसित होने का एक सिलसिला होता है इसिलिये बच्चोंमें खास करके पॉंच वर्ष से कम उम्र में दवाइयों का प्रयोग वयस्कों के अनुसार न करे। इसके लिये डॉक्टर अलग से सोचते है। नवजात शिशुओं में कई दवाईयॉं हानीकारक हो सकती है।
गर्भवती महिलाओं में कुछ दवाओं का प्रयोग वर्जित है क्यों की इसके बुरे असर गर्भस्थ शिशु को भुगतने पडते है। वैसे ही दूध पिलानेवाली माताओं में कुछ दवाएँ निशिद्ध है इसका पूरा ख्याल रखना चाहिये। कुछ दवाएँ देने के लिये खास तकनीक होती है जैसे दमा के फव्वारे होते है। हर एक मरीज को इसके इस्तेमाल का सही प्रयोग सीखना चाहिये।