|
कितना सुरक्षित है यह कैसे तय करेंगे |
तय क्या किया? |
क) गर्भवति महिला की उम्र और प्रसविता) |
१. गर्भवति महिला की उम्र
|
१८ साल से कम उम्र में मॉं बन रही महिला के प्रसव में मुश्किल आ सकती है| प्रसव के समय अच्छे अस्पताल ले जाएं|
|
२. प्रसविता
|
पहले प्रसव के समय मॉं गर्भवति महिला
को कई मुश्किलें आ सकती हैं| उसे कई बार मॉं बन चुकी महिला के मुकाबले
प्रसव के पहले और दूसरे चरण में लगभग दुगना समय लगता है| योनि का फटना लगभग
तय होता है| इसलिए ज़्यादातर मामलों में भगछेदन की ज़रूरत पड़ती है| पहली बार
मॉं बन रही सभी महिलाओं का प्रसव अच्छे अस्पताल में करवाना ही बेहतर
है|पॉंचवीं या उससे ज़्यादा बार मॉं बन रही महिला को भी गर्भाशय की समस्याओं
के कारण प्रसव के समय मुश्किलें आ सकती हैं – जैसे कि दर्द कम होना,
योनि का फट जाना, जन्म के बाद रक्त स्त्राव, नाड़ बाहर न आना आदि| इसलिए
इनका प्रसव भी अस्पताल में ही करवाया जाना चाहिए|
|
ख) गर्भवति महिला के जॉच |
३. रक्त चाप
|
प्रकुंचन(सिसटोलिक)
रक्त चाप १४० से ज़्यादा या ९० से कम होना औरअनुशिथिलन (डायस्टोलिक) रक्त
चाप ९५ से ज़्यादा होना खतरनाक हो सकता है|
|
४. गंभीर एनीमिया
|
हीमोग्लोबिन का ११ मिलीग्राम प्रतिशत से कम होना एनीमिया की स्थिति है| पर ८ मिलीग्राम प्रतिशत से कम गंभीरएनिमिया की स्थिति है|
|
५. कोई और गंभीर बीमारी
|
तेज़ बुखार, पीलिया, पैरों में सूजन, दिल की बीमारियॉं,मधुमेह ( डॉयिबटीज़), गर्भाशय का अपने स्थान से खिसका होना|
|
ग) क्या कोई आपातकालीन परस्थिति है? |
६. योनि में से रक्त स्त्राव
|
दर्श
में खून का धब्बा दिखाई देता है| बिना दर्द के खूब सारा खून बहना
सम्मुखी(प्लासेंटा प्रीविया) अपरा के कारण होता है| अस्पताल भेजें|
|
७. शॉक, और गर्भाशय में दर्द
|
गर्भाशय
में अंदरूनी रक्त स्त्राव| योनि में भी कुछ रक्त स्त्राव दिखाई दे सकता
है| रक्त चाप तेज़ी से गिर सकता है| शिशु कोख में ही मर सकता है|
|
८. प्राक्गर्भाक्षेपण
|
उच्च रक्त चाप, सिर में तेज़ दर्द, धुंधला दिखाई देना|
|
९. गर्भाक्षेपण
|
दौरे और बेहोशी
|
घ) प्रसव के समय – शरीर का कौन सा हिस्सा पहले बाहर आ रहा है? |
१०. उल्टा या अनुप्रस्थ?
|
पावलिक
पकड़ से जांच करें| पकड़ के खाली रहने का मतलब है बच्चा अनुप्रस्थ याने
पैरोसे आ रहा है| गॉंव में प्रसव सिर्फ तभी सुरक्षित होता है जब बच्चे का
सिर पहले बाहर आता है|
|
११. अगर सिर – तो यह सीधा है या तिरछा?
|
क)
अगर सिर अभी भी श्रोणी के मुहाने के ऊपर है तो सिर के पीछे की स्थिति की
तुलना आगे की स्थिति से करें| आमतौर पर पीछे का भाग नीचा होता है|(ख)अगर
सिर श्रोणी में है तो इसे अपनी उंगलियों से महसूस करें| आगे के करोटि
अंतराल की तुलना पीछे के करोटि अंतराल से करें| अगर आगे का करोटि अंतराल
आगे है और ऊँचा है तो यह अच्छा चिन्ह है| अगर यह नीचा है और मॉं की रीढ़ के
पास है तो यह बुरा लक्षण है|
|
१२. क्या चेहरा या ठोडी पहले बाहर आ रहे हैं?
|
सिर
नीचे की ओर होने पर भी अगर गर्दन सीधी या मुड़ी हुई है और सिर उल्टा है तो
चेहरा या ठोडी पहले बाहर आएगी| यह मुश्किल स्थिति है| अस्पताल पहुँचाएं|
|