संक्षेप में ज़रूरी बातें
गर्भावस्था में खतरे के कारण
- रक्त स्त्राव|
- बार बार उल्टी होना|
- गंभीर एनीमिया|
- पैरों में सूजन, बार बार सिर में दर्द होना, आँखों के आगे अंधेरा छा जाना|
- अनुप्रस्थ या उल्टा बच्चा|
- मॉं की लंबाई १४५ सेंटीमीटर से कम होना|
- उम्र ३० के बाद पहली बार गर्भवती होना|
- १६ साल से कम उम्र में मॉं बनना|
- पिछले प्रसव या प्रसवो का असामान्य होना|
- जन्म से पहले गबीनी के द्रव का अचानक कम हो जाना|
- दिन बीतते जाने के साथ साथ पेशाब की मात्रा का कम होता जाना|
- पेड़ू में गंभीर और तेज़ दर्द|
- दिल की बीमारी, अवटु की बीमारी या फिर डायबटीज़ होना|
- पहली बार मॉं बन रही महिलाओं में आखरी दो हफ्तों में सिर का नीचे न आना|
प्रसव के समय खतरे
- अनुप्रस्थ या उल्टा बच्चा|
- जुड़वां या सामान्य से अधिक बड़ा पेट|
- पहली बार गर्भवति महिलाओं में आखरी दो हफ्तों
में सिर का नीचे न आना|
- प्रसव दर्द का न होना या बहुत कमज़ोर होना|
- पानी की थैली फट जाने के कारण द्रव का निकल जाना, जब साथ में बच्चा नीचे न आया हो|
- नाड़, हाथ, पैर, चेहरे या पैरों का सिर से पहले बाहर आना|
- खून बहना|
- गर्भाशय में से निकल रहे द्रव का काला या हरा होना|
- बहुत देर तक प्रसव दर्द होते रहना और बच्चे का नीचे न आना|
- बेहोशी या दौरे|
- गर्भस्थ शिशु के दिल की धड़कन की दर १२० प्रति मिनट से कम या १६० प्रति मिनट से ज़्यादा होना| हर बार प्रसव दर्द के साथ इसका ४० बार से ज़्यादा कम हो जाना|
- प्रसव के दूसरे चरण में देरी होना (पहली बार मॉं बन रही महिलाओं में दो घंटों से ज़्यादा और पहले मॉं बन चुकी महिलाओं में १ घंटे से ज़्यादा)|
बच्चे के जन्म के बाद खतरे
- अचानक खूब सारा खून बहने लगना या फिर लगातार खून बहना|
- बच्चे के जन्म के २० मिनट बाद तक भी नाभिनाल का बाहर न आना|
- गर्भाशय का अपनी जगह से खिसक जाना|
- योनि द्वार का बहुत अधिक फट जाना|
- दौरे या बेहोशी|
- मॉं की बोली या व्यवहार में बदलाव|
- तेज़ बुखार|
- पेट में तेज़ दर्द|
- स्तनों में फोड़े|
जब आप स्वास्थ्य उपकेंद्र में कोई प्रसव करवाने जा रहे हों तो यह तय कर लें कि वह स्थान कितना सुरक्षित है| इस निम्नलिखित तालिका का उपयोग प्रशिक्षण के साथ ही करना चाहिये| बिना प्रसव प्रशिक्षण से यह विषय समझना मुश्किल होगा|