किसी जानवर के काट लेने या फिर झगड़े के दौरान कान को चोट लगना बहुत आम है। अगर आम चोट के स्थान पर ऐनेस्थीशिया दे सकें यानि चोट के स्थान को अचेतन कर सकें तो कटने की चोट को टॉंके लगाकर सिला जा सकता है। इसके लिए एक मिली प्लेन ज़ाईलोकेन का इन्जैक्शन कान के निचले हिस्से में लगाकर टॉके लगाये। इस क्षेत्र में खूब खून संचरण उपलब्ध होने के कारण यहॉं की चोट जल्दी ठीक हो जाती है। लेकिन बेहतर है की आप डॉक्टर के पास भेजे।
नुकीली चीज़ों से अक्सर गुफा कें अन्दर चोट लग जाती हैं। इन्हें देख पाना और इनका अन्दाज़ा लगा पाना मुश्किल होता है। छोटी मोटी चोटे आम तौर पर चोट के स्थान पर एन्टीबायोटिक बूँदें डाल देने से ठीक हो जाती है। पर डॉक्टर की मदद अक्सर ज़रूरी हो जाती है।
गले में दोनो बाजुओं में टॉन्सिल ग्रंथी |
मध्य कान के संक्रमण आमतौर पर पीप पैदा करने वाले बैक्टीरिया और कभी कभी वायरस के कारण होते हैं। शुरू में कान में भारीपन, दवाब, हल्का दर्द होता है। कभी-कभी उल्टियॉं और बुखार भी हो जाता है। इसी स्थिति में इलाज से अक्सर बीमारी ठीक हो जाती है। अगर इसी समय इलाज न हो तो संक्रमण बढ़ जाता है। कान में टीस मारने वाला दर्द होता है, जिसका कारण है पीप बन जाना। अगर ठीक से इलाज न हो जाए तो एक दो दिनों में कान का पर्दा फट जाता है। आम तौर पर दो तीन दिनों तक पीप निकलती है और फिर सूख जाती है। उसके बाद धीरे-धीरे कान का पर्दा भी ठीक हो जाता है। अगर ठीक न हुआ तो यह बीमारी चिरकारी बन जाता है।
कान के पर्दे को पीप के कारण छेद |
कान में दर्द पहला लक्षण है। और मध्य कान में पीप होने के कारण कान का पर्दा भी लाल और शोथ युक्त दिखाई देता है। इसके बाद कान का पर्दा फट जाता है जिससे पीप बाहर निकल जाता है। इससे दर्द से छुटकारा मिल जाता है। आँशिक रूप से सुनने की क्षमता कम होती है। यह क्षमता धीरे धीरे ठीक हो जाता है। कान का पर्दा दो तीन हफतों में ठीक हो जाता है।
जीवाणूरोधी और शोथरोधी दवाइयों का इस्तेमाल करें। कान मे वायरल संक्रमण कभी कभार ही होता है। इसमे कोई भी बैक्टीरिया रोधी दवाइयॉं असर नहीं करतीं। अक्सर वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण में फर्क कर पाना सम्भव नहीं होता। अत: कान के संक्रमण या पीप के लिए अक्सर बैक्टीरिया रोधी दवाइयॉं ही देना पडता है। कोट्रीमोक्साज़ोल या पैसलीन या ऐम्पीसीलीन असरकारी हो सकती हैं। इनके साथ दर्द कम करने के लिए एैस्परीन या आईबूप्रोफेन भी दें।
हमेशा कान के पर्दे को बचाने की कोशिश करे। दर्द शुरू होते ही इलाज शुरू हो जाने से कान के पर्दे को फटने से बचाया जा सकता है। कान का पर्दा फट जाने से संक्रमण के ठीक होने में कई जटिलताएँ आ जाती हैं। पर्दा फटा हो या ना हो, ऊपर दिया इलाज असरकारी होता है। अगर कान का पर्दा फट जाए तो ऊपर लिखी दवाइयों के साथ-साथ और ध्यान दिए जाने की भी ज़रूरत होती है।
कान के आकस्मिक संक्रमण भी आमतौर पर एक हफ्ते में ठीक हो जाते हैं। पर्दे में छेद होने से ठीक होने में देरी हो जाती है। कान के पर्दे को ठीक होने में कम से कम दो से तीन हफ्ते लग जाते हैं।
शीघ्र कर्ण शोथ के इलाज के लिए कान का डॉक्टर पर्दे में छेद लगाता है। इससे पीप बाहर निकल जाती है। इससे संक्रमण आसानी से ठीक हो जाता हे क्योंकि पर्दे को ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ होता। छेद भी लगभग एक हफ्ते में ठीक हो जाता है।