पेट में व्यस्क कृमि उसके अंडे एवं मल व स्त्राव ,का होना एक आम और महत्वपूर्ण जनस्वास्थ्य समस्या है। गॉंवों में अनुमानित60 प्रतिशत बच्चों की आँतों में कृमि पाये जाते हैं। बच्चे का खाया हुआ भोजन के पोषण का काफी अवशोषण कृमि करते है जिससे बच्चो को पुरा पोषण नही मिल पाता है और यह बच्चों में कुपोषण और कमज़ोरी का एक कारण होता है। गॉंवों में पेट में कीड़े होने की समस्या ज़्यादा होती है। कारण ये है की गीली ज़मीन में कीड़ो के अण्डे ज़्यादा समय तक रह पाते हैं। सूखे मौसम में धूप से कीड़ों के अण्डे मर जाते हैं।
गोल कृमी |
कृमि या कीड़े मुख्यत: दो तरह के होते हैं – आँतों में रहने वाले कृमि, मॉसपेशियों और अन्य अंगों (जैसे जिगर या दिमाग) में रहने वाले कृमि। । इस अध्याय में भी मुख्यत: आँतों के कीड़ों के बारे में ही बात होगी। आँतों में कृमि की कोई 4 से5 प्रजातियॉं ही आमतौर पर ग्रसीत करती हैं। गोल कृमि सबसे आम है। शायद इसलिए भी कि ये छोटे कृमि चाबुक, सूत्र व अंकुश कृमि की तुलना में ज़्यादा आसानी से दिखाई दे जा सकते है। कीड़े अक्सर पाखाने या उल्टी में देखे जा सकते हैं। छोटे कृमि केवल लैंस की मदद से ही देखे जा सकते हैं। कभी-कभी फीताकृमि के टुकड़े भी दिखाई देते हैं।
कृमी का चक्र |
मानव शरीर के भीतर पाये जाने वाले सभी कृमि प्रजनन क्रिया के बाद आंतो में अण्डे देते हैं। ये अण्डे ग्रसीत व्यक्ति के शौच के बाद, टट्टी के माध्यम से मिटटी में पहुँच जाते हैं। मिट्टी से ये कृमि के अंडे गंदे हाथों व खाने की चीज़ों तक पहुँच जाते हैं। इस तरह ये उसी व्यक्ति या किसी और व्यक्ति की आँतों में पहुँच जाते हैं। टट्टी से पेट तक का यह चक्र संक्रमण का बडा हिस्सा होता है। इसलिए खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोना बेहद ज़रूरी है।
परन्तु कुछ कृमि हमारी त्वचा को भेदकर शरीर के अन्दर पहुँच जाते हैं। आहारनली तक पहुँचने से पहले कुछ कृमि फेफड़ों तक पहुँच जाते हैं। इससे सुखी खॉंसी होती है। इस तरह कीड़ों के चक्र को स्वच्छता में कमी से बढ़ावा मिलता है। मुनष्य के मल के सही निकास और तथा शौच के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत से कीड़ों से बचाव हो सकता हैं। इसीलिये घरों में शौचालयों की व्यवस्था ज़रूरी है।
हालॉंकि कृमि का इलाज दवाओ से संभव है पर, सभी कीड़ों का पूरी तरह से शरीर के अंगो से निकलना आसान नहीं होता। पहले मेबेण्डाज़ोल की दवाई का इस्तेमाल होता था। अब इसकी जगह एलबेण्डाज़ोल दवा प्रयोग होती है। क्योंकि इसकी केवल एक ही खुराक काफी होती है। कीड़े निकालने के लिए हल्के जुलाब भी फायदेमन्द होता हैं। कीड़ों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए दो हफ्तों के बाद, दुबारा उसी दवा की दुसरी खुराक ले लेनी चाहिए। परन्तु अगर शरीरकी स्वछता व हाथ की सफाई न रखी जाए तो कृमि फिर से पनप सकते हैं।