खाने के सामान में मिलावट एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। बहुत सी चीज़ें जो हम रोज़ खाते हैं, बाज़ार से आती हैं। यातायात की सुविधाओं ने यह संभव बना दिया है कि खाने की चीज़ें आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर जा सकें। पर जो लोग इनका व्यापार करते हैं वे बहुत आसानी से इनमें मिलावट भी कर सकते हैं। प्रिवेंशन ऑफ फूड एडल्ट्रेशन अधिनियम इस तरह से पारिभाषित किया जाता है –
हर एक जिले में खाद्यान्न जॉंच के लिए शासकीय लॅबोरेटरी होती है |
खाने में मिलावट को रोकने के लिए एक कानून है और फूड एण्ड ड्रग नाम का कमीशन भी है। कानून गॉंव और शहरी सभी क्षेत्रों में लागू होता है। शहरों में मुनिसिपल अधिकारी यह कानून लागू करते हैं। गॉंव में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त फूड इन्सपैक्टर यह काम करते हैं। फूड इन्सपैक्टर का काम होता है कि वह सभी दुकानों और खाने के सामान आदि की दुकानों में जाए और वहॉं बिकने वाली खाने की चीज़ों की गुणवत्ता की जांच करे। अगर फूड इन्सपैक्टर को किसी चीज़ को लेकर शक हो तो वह गवाहों के सामने उस चीज़ के नमूने ले सकता है। तीन नमूने लिए जाते हैं और उन्हें सील कर लिया जाता है। एक नमूने को जांच के लिए कोर्ट में भेज दिया जाता है। दूसरा नमूना खाने की जांच करने वाले अधिकारियों के पास रखा रहता है और तीसरा दुकानदार को संभाल कर रखने के लिए सौंप दिया जाता है।
इस कानून में दोषी पाए जाने पर छ: महीनों की जेल और पैसों की सजा हो सकती है। परन्तु इस कानून का क्रियान्वन इतना ढीला है कि बहुत ही कम मामलों में ऐसा हो पाता है। दूसरी और यह सबसे छोटे दुकानदारों को परेशान किए जाने का एक जरिया भी बन गया है और उनमें से कई फिर घूस देकर इस तरह परेशान किए जाने से बचने का तरीका अपना लेते हैं।
दोषियों को सजा मिले और खाने की चीज़ों में मिलावट की समस्या से निपटा जा सके इसके लिए बड़े स्तर पर लोगों में जानकारी फैलाने की ज़रूरत है। परन्तु मानकी करण और सही ढंग से पैकिंग करना ही इस समस्या का असल इलाज है।
कुछ तरह की मिलावटों से स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कुछ अन्य काफी धीरे धीरे काम करते हैं और उनके नुकसान बहुत लंबे समय में सामने आते हैं (या कभी कभी इनका पता ही नहीं चलता)।
खाने की चीज़ों में मिलावट के धीमे असर का स्वास्थ्य पर असर से तालमेल बिठा पाना आसान नहीं होता। कानून की मौजूदगी के बावजूद खाने में मिलावट चलती जाती है क्योंकि इसमें काफी फायदा है। अगर आपको कभी भी खाने में मिलावट का वहम हो तो आप फूड इन्सपैक्टर को इसकी सूचना दें। जिला स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं या तहसीलदार से आपके क्षेत्र के फूड इन्सपैक्टर का पता लगा सकते हैं। आप निजी स्वास्थ्य केन्द्रों को भी इनकी जानकारी दे सकते हैं।