काला आज़ार एल डोनोवानी नाम के परजीवी से हाने वाली जानलेवा बीमारी का स्थानीय नाम है। इस बीमारी मे खून, तिल्ली और लिवर पर असर होता है। यह एक चिरकारी बीमारी है। यह बीमारी सिकता मक्खी के काटने से होती है। आजकल बड़े पैमाने पर कीटनाशकों का छिड़काव नहीं होता है इसलिये बंगाल, बिहार और आसपास के क्षेत्रों में यह एक बड़ी स्थानीय बीमारी के रूप में फिर से फैल रही है।
एक प्रकार का मक्खी (सैण्डफ्लै)के काटने से कालाअज़ार का परजीवी मनुष्य के शरीर में पहुँच जाता है। यह परजीवी सफेद रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है। यह इन्हीं कोशिकाओं में अपनी संख्या भी बढ़ाता है। और फिर धीरे धीरे नई कोशिकाओं पर हमला भी करता है। इससे सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या घटती है। और क्योंकि इन्हीं कोशिकाओं में बीमारियों से लड़ने की ताकत होती है, रोगी को अन्य संक्रमण भी घेरने लगते हैं। इस बीमारी में दस्त और खॉंसी असल में प्रतिरक्षा में कमी के कारण होते हैं। तिल्ली, लिवर और लसिका ग्रंथियों में सूजन हो जाती है। अन्य गंभीर छूत के रोगोंसे मौत हो सकती है। अगर एक बार काला अज़र हो जाए तो इससे जिंदगी भर के लिए प्रतिरक्षा हांसिल हो जाती है। इसलिए जिस व्यक्ति को एक बार काला अज़र हो जाए उसे फिर ये बीमारी कभी नहीं होती।
यह ज़रूरी है कि इस बीमारी का निदान जल्दी से जल्दी हो जाए। और जल्दी स्वास्थ्य केन्द्र में इसका सही इलाज होना चाहिये । काला अज़र में एंटीमोनिअल इन्जैक्शन की ज़रूरत होती है। जहॉं स्वास्थ्य केन्द्र न हों वहॉं स्वास्थ्य कार्यकर्ता एंटीमोनिअल इन्जैक्शन लगाना सीखे। खूराक प्रति किलो शरीर के भार के लिए २० मिलीग्राम होती है। यह खुराक ३०-४० दिन तक दिया जाता है| पूरी खूराक कुल्हेपर अन्त: पेशीय इन्जैक्शन के रूप में दी जाती है। इसके अलावा मिल्टेफोसिन गोली १०० मि ग्रा. प्रति दिन २८ दिन तक दे सकते है। करीब १० प्रतिशत रोगियों में इस दवा से असर नहीं होता। इनके लिए दवा बदलने की ज़रूरत होती है। जिन जगहों में काला अज़र होता हो वहॉं बूखार को हर मामले में, (चाहे वो कंपकंपी के साथ हो या उसके बिना) और साथ में तिल्ली में सूजन होने पर काला अज़र का शक करना चाहिए। बीमारी रोकथाम के लिए कालाअज़र के हर मामले में इलाज किया जाना ज़रूरी है।
इस बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए सैण्डफ्लै की संख्या पर नियंत्रण करना ज़रूरी है। ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका घर और उसके आसपास कीटनाशक का छिड़काव करना है। घर की दीवारों पर ५ फुट की ऊँचाई तक कीटनाशक का छिड़काव करें। सैण्डफ्लै ये पालतू जानवरों के साथ रहती है अत: गॉंव के घर इनके पनपने के लिए सबसे उपयुक्त वास है। ये दीवारों, फर्श और ज़मीन की दरारों और छेदों में रहती हैं। घर और आसपास की जगह में जल्दी जल्दी मिट्टी से लिपाई करना काफी असरकारी हो सकता है।
मच्छरदानियॉं कीटनाशक युक्त मच्छरदानियॉं बेहद असरकारी होती हैं। सैण्डफ्लै आम मच्छरों से छोटी होती हैं। इसलिए इनके लिए मच्छरदानियों की जाली ज़्यादा महीन होने की ज़रूरत होती है।