abortion गर्भपात गर्भ-प्रसव
गर्भपात के गलत तरीके
हारमोन के इंजेक्शन
hormone injection
आजकल गर्भपात का नया इंजेक्शन उपलब्ध है

गर्भपात के लिए हारमोन, खासकर इपीफोर्ट के इंजेक्शनों का इस्तेमाल बहुत आम है। बहुत से डॉक्टर इनका इस्तेमाल जानते हुए या अन्जाने में करते हैं। इपीफोर्ट से गर्भपात तो नहीं हो सकता परन्तु गर्भ में बढ़ रहे शिशु में गड़बड़ियाँ/दोष आ सकते हैं। जिस कारण से फिर गर्भपात किया जाना ज़रूरी हो जाता है। इसका इस्तमाल कभी न करे।

नुकीली चीज से गर्भपात
non legal abortion
गर्भपात के लिये ना बैद चाहिये
ना गिराने का इंजेक्शन

गैरकानूनी गर्भपात में लकड़ी या और कोई नुकीली चीज़ गर्भाशय में घुसाना सामान्य तरीका है। इससे गर्भाशय या पेट में स्थित अन्य अंगों को चोट लग सकती है। ऐसी चोट लगना बहुत ही गम्भीर स्थिति होती है। गैरकानूनी गर्भपात में संक्रमण या मृत्यु हो जाना बहुत आम है।

गर्भपात कराने वाली जड़ी-बूटियाँ

भारत में गर्भपात की सामाजिक ज़रूरत के कारण गर्भपात के लिए जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल भी काफी अधिक किया जाता है। ऐसी किसी भी जड़ी-बूटी को चिकित्सा शास्त्र में शामिल किए जाने से पहले इसके बारे में पूरी बैज्ञानिक जानकारी होना काफी ज़रूरी है। कुछ जड़ी-बूटियाँ आज चिकित्साशास्त्र में इस्तेमाल हो रहे तरीकों के हिसाब से ज्यादा सुरक्षित हो भी सकती हैं। पर इनका पहले वैज्ञानिक अध्ययन किया जाना चाहिए। तबतक इनको इस्तेमाल न करना उचित होगा।

वैद्यकीय गर्भपात (एम.टी.पी. – मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी)
abortion-center
गर्भपात केंद्र

गर्भपात के बारे में काफी गलत फहमियॉं है। इसी कारण महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में कठिनाई होती है। गर्भपात के बारे में उचित जानकारी आवश्यक है। यह जानकारी आप ले तथा जरुरतमंद दंपतीयों को भी बतलाएँ। कुछ गर्भपात प्राकृतिक होते है। गर्भधारणा के २० हप्तोंतक प्राकृतिक गर्भपात हो सकता है। २० हप्तोंतक गर्भ गर्भाशयके बाहर जीवित नही रह सकता। तदनंतर गर्भ जी सकता है।

कभी कभी कृत्रिम गर्भपात करना पडता है। इसके लिये सुरक्षित तथा वैध वैद्यकीय पद्धतीयॉं है। चोरी छुपे और जान जोखीममें डालकर गर्भपात करवाने की कोई जरुरी नही होती। लेकिन वैद्यकीय गर्भपात सिर्फ २० हफ्तों तक ही किया जा सकता है। तदनंतर गर्भपात करवाना अवैध तथा असुरक्षित है।

एम.टी.पी. कौन करवा सकता है?

कोई भी १८ साल से बड़ी उम्रवाली महिला किसी भी जायज़ कारण से बिना किसी की रज़ामन्दी से अपनी इच्छा से एम.टी.पी. करवा सकती है। नाबालिग या मानसिक रुपसे विकल लड़कियों के लिए माँ या बाप का रज़ामन्दी और या अभिभावक की उपस्थिति ज़रूरी है।

गर्भपात के लिये वैध कारण

कानून के अनुसार गर्भपात के कानूनी कारण इस प्रकार है।

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    व्यंग जैसे प्राकृतिक कारण
    से भी गर्भपात होते है
  • गर्भनिरोधक पद्धतीयों के प्रयोग के बावजूद गर्भधारणा होना।
  • सामाजिक दृष्टी से अस्वीकार्य गर्भधारणा उदा. बलात्कार या परिवारिक अत्याचारोंके कारण गर्भधारण।
  • सदोष गर्भ होने की संभावना, जिसे सोनोग्राफी या अन्य तकनिकोंसे पता लगाया जा सकता है।
  • स्त्री गर्भ होना गर्भपात का कारण कतई नही हो सकता। एच. आय. व्ही. या एडसग्रस्त माता इसी कारण गर्भपात करवा सकती है।
  • गर्भधारणा से स्त्री के स्वास्थ्य को संभवत: खतरा होना उदा. पीलीया या दिल की बिमारी।
  • महिला के मानसिक बिमारीके चलते बच्चे को पालने की क्षमता ना होने पर गर्भपात करवा सकते है।

गर्भपात की पद्धतियॉं

गर्भपात जितने जल्दी किया जाय उतनी तकलीफ और खतरा कम होता है। इसके लिये मूत्र परिक्षण कर १० दिनों में ही गर्भसंभव की जानकारी मिल सकती है। गर्भपात के प्रमुख तरीके इस प्रकार है।

Querating
गर्भाशय अंदर से खरोंचना
गर्भपात की एक पद्धती है (क्युरेटिंग)
  • एम.व्ही.ए. तकनिक : छ: हफ्तों से पूर्व निर्वात पंप से गर्भ निकाल सकते है। अत: ग्रीवा सुन्न नही करनी पडती है। इसके बाद क्युरेटिंगभी नही करना पडता है।
  • आर.यू. ४८६ यह रीति ६-८ हफ्तोंके लिये है। इसे गर्भपात गोली कहते है। पहली गोली के २ दिन बाद दुसरी गोली खानी होती है। पहली गोली से गर्भाशयसे रक्तस्त्राव शुरू होता है तो दुसरी गोली से गर्भाशयमें दर्द शुरू होते है। इसके बाद ६-८ घण्टोंमें गर्भपात होता है। कभी कभी इसके बाद क्यूरेटिंग करना पडता है। डॉक्टरी सलाह के बिना अपने आप यह उपचार कभी भी ना करे।
  • क्युरेटिंग उर्फ डी.एन.सी. पद्धती – ये पद्धती ६-१२ हफ्तोंतक प्रयोगमें लाई जा सकती है। इस पद्धतीमें गर्भाशयमुख नलिका विस्तारित करके अंदरुनि गर्भ निर्वात पंपसे निकाल लेते है। इसके लिये केवल उस स्थान मात्रको इंजेक्शन लगाकर सुन्न करना पडता है। गर्भ निकालने पर गर्भाशयका अंतर्भाग खुरचकर निकाला जाता है। इस तरहके गर्भपातपश्चात अस्पतालमें ३-४ घण्टे रहना पडता है। शासकीय अस्पतालोंमें यह गर्भपात मुफ्तमें होता है। निजी अस्पतालोंमें इसे २-४ हजारतक खर्चा हो सकता है। यह रीती बिल्कुल सुरक्षित और विश्वसनीय है। लेकिन इसमें थोडासा खतरा होता ही है। रक्तस्त्राव या कोखमें सूजन जैसे दुष्परिणाम संभव है।
  • दवाद्वारा गर्भपात :१२-२० हफ्तोंतक प्रोस्टा ग्लॅडिन दवाईसे गर्भ गिराया जाता है। गर्भाशयमें गर्भ आवरणके चारो ओर इस दवाईको नलीसे फैलाया जाता है। इस दवाईसे गर्भाशयमें दाह होनेसे २-३ दिनोंमें गर्भ गिर जाता है। इस क्रियामें कुछ अधिक स्त्राव हो सकता है। इससे गर्भपात ना हो तो शस्त्रक्रियाद्वारा गर्भ खुरचकर निकाला जाता है। लेकिन इससे खर्च व तकलीफ बढती है। १२-२० हफ्तोंके गर्भपातकी अपेक्षा पहलेही गर्भपात करवाना हमेशा अच्छा है। अन्य रास्ता ना हो तभी इस पद्धती का प्रयोग करे।
  • आपरेशन गर्भाशय छेदन (गर्भाशय को कट लगाकर खोलना) का इस्तेमाल भी गर्भपात के लिए किया जाता है। परन्तु यह ऐसी महिला के मामले में नहीं किया जा सकता जिसे भविष्य में माँ बनना हो। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे गर्भाशय में निशान रह जाता है। गर्भाशय छेदन के साथ नलिका बन्दी भी की जा सकती है। गर्भाशय छेदन का इस्तेमाल अक्सर गैरकानूनी ढंग से २० हफ्तों के बाद गर्भपात करने के लिए होता है। क्योंकि लड़कियाँ अक्सर उस समय गर्भपात के लिए आती हैं जब तक कि कानूनी गर्भपात के लिए काफी देरी हो चुकी होती है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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