त्वचा के ज़ख्म और अन्य बीमारियाँ त्वचा और उसकी खुजलीवाली बीमारियाँ
काँटा लगना

गॉंवों में काँटा लगना बहुत आम समस्या है। और आमतौर पर इन्हें काफी छोटे चिमटी से निकाल लेते हैं। चिकित्सीय सहायता केवल तभी चाहिए होती है जबकि साधारण तरीके काम नहीं करते, या जब काँटा काफी समय तक निकाला न गया हो प्राकृतिक तरीके से काँटे के बाहर निकल आने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए लोग औषधीय तरीके इस्तेमाल करते हैं। ऑक का दूध काँटे के घुसने की जगह पर लगाना असरकारी हो सकता है। ऑक से काँटे के आसपास के ऊतकों में शोथ व पानी होने लगता है। इससे काँटा ढीला होकर एक दो दिनों में बाहर आ जाता है।

अगर यह सब काम न करे तो यह ज़रूरी हो जाता है कि काँटे को किन्ही उपकरणें की मदद से निकाला जाए। इसमें असल में त्वचा को काटा जाता है जिससे काँटे को उखड़ा जा सके और फिर नुकीली चिमटी की मदद से निकाला जा सके। आपको डॉक्टर की सहायता की ज़रूरत हो सकती है। होमिओपथी की दवाओं से भी काँटा अपनी जगह से बाहर निकाला जा सकता है| इसके लिये होमिओपथी का अध्याय पढें।

घट्टा या कोर्न

अगर किसी स्थान पर बार बार चोट लग जाए तो वहॉं ठीक हो रहे ऊतकों की एक मोटी रेशेदार गॉंठ बन जाती है। ऐसी गॉंठ घट्टा कहलाती है। यह आमतौर पर हथेली या तलवों में होती है। इसके आम कारण हैं ठीक से पैर में न आने वाला जूता याह हड्डी का कोई नोक। घट्टे का इलाज मुश्किल होता है। और अगर इन्हें ऑपरेशन से हटा भी दिया जाए तो ये फिर से भी हो सकते हैं।

आयुर्वेद में घट्टे को जलाने की सलाह दी जाती है। (दहन) होम्योपैथी से भी घट्टे का अच्छा इलाज हो जाता है। देखें होम्योपैथी का अध्याय। एक किसम की कोर्नकैप मिलती है जिसमें सैलिसिलिक एसिड होता है जो घट्टे को नष्ट करके हटा देती है। आपरेशन एक आखरी उपाय होता है।

तलवों का फटना
Soles Burst
तलवे फटने से केवल
बंद जुते ही बचाव कर सकते है

तलवों का फटना बहुत आम है। यह उन लोगों में बहुत अधिक होता है जो या तो नंगे पैर चलते हैं या ठीक प्रकार के जुते नही पहनते। तलवे आमतौर पर सूखे, गर्म व धूल भरे मौसम में ज़्यादा फटते हैं। दरारें कभी-कभी काफी बड़ी हो सकती हैं। इनमें दर्द भी हो सकता है। तलवों के फटने का कारण कुछ अंश में पारिवारिक हो सकता है। परन्तु आमतौर पर ठीक ठाक जूते चप्पल न पहनने से यह समस्या होती है।

इलाज

सही तरह के जूते पहनना न केवल इलाज है बल्कि इस समस्या से बचाव भी है। हमेशा जूते को साथ मोजे पहनने से तलवों को गर्मी, धूल व सूखेपन से बचाया जा सकता है। जूतों के अन्दर पसीने के कारण रहने वाला गीलापन त्वचा को स्वस्थ्य व ठीक ठाक रखता है। इससे ऐसी सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं।

अगर कभी इस समस्या से ऐसी हालत हो जाए कि बहुत अधिक दर्द होने लगे तो रोगी को हर रात अपने तलवों को पॉंच दस मिनट तक गर्म पानी में डुबोकर रखने चाहिए। इसके बाद खाने का कोई तेल लगाना चाहिए रातभर मोज़े पहने। बाहर काम करते समय सही जूते पहनने की कोशिश कीजिए। गर्म पानी ओर तेल का इलाज तब तक चलता रहना चाहिए जब तक कि दरारे भर न जाएँ।

लता- करंज से बना हुआ मलहम फटे हुए पैरों और सूखी हुई त्वचा के लिए फायदेमन्द हो सकता है। राएसन (इनूला रासमोसा) से बना मलहम काफी मददगार हो सकता है। ग्रामीण इलाके में कई लोग खासकर महिलाएँ खर्च के कारण चप्पल या जूते नही पहनते| प्लास्टिक के जूते चप्पल काफी सस्ते होते हैं।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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