pregnancy childbirth गर्भ-प्रसव गर्भपात
आम शिकायतें
सुबह वाली मितली

Ometing गर्भावस्था में सुबह होने वाली तकलीफ हारमोनों के कारण होती है। और यह तीसरे से चौथे महीने तक आते-आते ठीक हो जाती है। सुबह-सुबह कुछ सूखा (जैसे बिस्कुट या रोटी) खा लेने से मितली में राहत मिलती है। कई बार में थोड़ा-थोड़ा खाने से पेट की तकलीफ से बचा जा सकता है। अगर इन उपायों से काम न चले तो सूतशेखर गोली दें। अगर इससे भी फायदा न हो तो डॉक्टर की मदद लें।

घर के इलाज

pregnancy weight एक चम्मच चीनी डालकर अनार का रस लें। एक मुट्ठी मुरमुरे को एक लीटर उबले हुए पानी में डालें और इस ठण्डा होने दें। इसमें स्वादा नुसार नमक व चीनी मिलाएँ और इस मिश्रण को हर २-३ घण्टों में घूँट-घूँट पिएँ। इससे सुबह होने वाली तकलीफ में आराम मिलता है।

होमियोपैथी

कालकारिआ कार्ब, फैरम फोस,लायकोपोडिअम, नॅट मूर, नक्स वोमिका, फोसफोरस, पलसेटिला, सेपिआ, सिलिसिआ और सल्फर में से कोई एक दवा चुन लें। आप फैरम फोस, काल फोस, काली सल्फ और सिलिका में से एक दवा भी चुन सकते हैं।

अम्लता
eat light food
हल्का खाना खाने से
जलन में आराम मिल सकता है

आमाशय में जलन या अम्लता भी गर्भावस्था की एक आम शिकायत है। यह शिकायत आखिरी तीन महीनों में सबसे ज्यादा होती है क्योंकि इस समय तक बढ़ता हुआ गर्भाशय आमाशय को दबाने लगता है।

एक कप सादा दूध या हल्का खाना खाने से जलन में आराम मिल सकता है। दूध पीने के तुरन्त बाद लेटें नहीं। लेटते समय सिर को थोड़ा उँचा उठाकर रखें ताकि खाना वापस ग्रासनली (हलक) में वापस न जाए। अगर इन तरीकों से फायदा न हो तो आप अँटासिड गोलियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। गर्भवती महिला को मिर्च और मसाले कम खाने चाहिए।

बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना

पहले तीन महीनों में गर्भाशय द्वारा मूत्राशय (पेशाब की थैली) को दबाने के कारण बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है। यह शिकायत आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है क्योंकि बच्चादानी बढकर श्रोणी से उपर उभरती है। इससे मूत्राशय को पर्याप्त स्थान मिलता है।

पेशाब रुक जाना

पहले २ से ३ महीनों में भारी बच्चेदानी द्वारा मूत्रमार्ग को दबाने से पेशाब रुक जाती है। ऐसे में जलन और मूत्रमार्ग का संक्रमण होने की सम्भावना होती है। यह शिकायत भी अपने आप तीसरे से चौथे महीने में ठीक हो जाती है। कुछ मामलों में रबर की मूत्रनली (कॅथेटर) लगाने की ज़रूरत पड़ सकती है। इसके लिए थोड़े से प्रशिक्षण और अनुभव की ज़रूरत होती है। इसमें पूरी सफाई की ज़रूरत होती है ताकि संक्रमण न हो जाए। कभी-कभी अस्पताल में दाखिल किए जाने की भी ज़रूरत होती है।

कब्ज़

भारी बच्चेदानी के गुदा को दबाने के कारण कभी-कभी कब्ज़ संभव है। ज्यादा देर अन्दर रहने के कारण मल सूखकर कड़ा हो जाता है। हारमोनों के प्रभाव के कारण ऑंतों के संचलन में कमी आने के कारण यह होता है। इस तकलीफ को दूर करने के लिये खूब सारी सब्ज़ियाँ खाएँ। इससे मल की मात्रा बढ़ेगी। अधिक/खूब सारा पानी पिएँ। विरेचक दवाओं के इस्तेमाल से बचें क्योंकि इनसे गर्भपात होने का खतरा होता है। इसबगोल और द्रवीय पैराफीन सौम्य होने के कारण आमतौर पर उपयोगी रहते हैं।

मसूड़े सूजना

गर्भवती महिलाओं में यह हारमोनों से होता है। इसके लिए किसी भी इलाज की ज़रूरत नहीं है। यह बच्चे के जन्म के बाद अपने आप ठीक हो जाता है। गर्भावस्था में सारे समय मुँह की सफाई का ध्यान रखें। दिन में दो बार दंतमंजन करे, कम से कम एक बार कुनकुने नमक पानी से कुल्ला करें (एक कप पानी में एक छोटी चम्मच नमक)

उभरी हुई शिराएँ और बवासीर

बढ़ा हुआ गर्भाशय पेट की मुख्य शिराओं पर दबाव डालता है। इसलिए पैर की शिराएँ सूज जाती हैं। बवासीर भी इसी कारण से होता है। शिराओं का सूजना भी एक अस्थाई तकलीफ है। इसके लिए किसी भी इलाज की ज़रूरत नहीं होती। लेटते समय पैरों को तले तकिया लगाकर थोड़ा उठाकर रखने से शिराएँ खाली हो जाती हैं और चैन पड़ जाता है। अगर बवासीर ज्यादा तकलीफ देता हो तो खाने में घी-तेल की मात्रा बढ़ा दें।

पीठदर्द

पेट में बढते बच्चे के हड्डी बनने के लिए मॉं के खून से कैल्शियम जाता है, अगर खून में पर्याप्त न हो, तो यह मॉं के हड्डियों से निकाला जाता है। कैलशियम की कमी से हडि्डयों में से कैलशियम निकल जाता है। गर्भावस्था के दौरान या उसके बाद पीठ का दर्द इसी कारण से होता है। रोज़ के भोजन में बहुत ज्यादा कैलशियम नहीं होता। इसलिए आहार में दूध, मटर, हड्डी समेत मछली, माँस आदि शामिल करने चाहिए क्योकि इनमें काफी कैलशियम होता है। इसके अलावा भी प्रतिदिन कैल्शियम गोली लेने की जरुरत पडती है।

बच्चे के जन्म से छ: महीने पहले से छ: महीने बाद तक मॉं को कैलशियम गोली लेना ज़रूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे की हडि्डयों के बनने के लिए भी कैलशियम की ज़रूरत होती है।

योनि से सफेद पानी (प्रदर)

योनि में से सफेद पानी निकलना गर्भावस्था में बढ़ जाता है। इसके लिए तब तक किसी इलाज की ज़रूरत नहीं होती जब तक यह योनि संक्रमण या योनि की कोई और बीमारी न हो। योनि में संक्रमण होने पर साथ में खुजली और जलन भी होगी। योनि शोथ के लिए पूर्व प्रकरण देखें।

पेशाब के रास्ते में संक्रमण

पहले तीन महीनों में गर्भाशय द्वारा मूत्रमार्ग को दबाने से पेशाब रुक जाता है। इससे संक्रमण होने का खतरा होता है। गर्भवती महिला को सलाह दें कि वो जितनी ज्यादा बार हो सके पेशाब करे। संक्रमण से जलन होती है। ज्यादा पानी पीने से आमतौर पर यह जलन ठीक हो जाती है। सोडे का पानी पीने से भी फायदा होता है। यह पेशाब के अम्लीयता को कम कर देता है। अगर बुखार है तो यह संक्रमण का लक्षण है। इसके लिए ऐमोक्सीस्लीन से इलाज किया जाना चाहिए। पेशाब में संक्रमण होने से समय से पहले प्रसव होने का डर रहता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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