अनाज वाले घोल
कई अध्ययनों से पता चला है कि ओ आर एस घोल में 20 ग्राम ग्लूकोस की जगह 40 ग्राम पके हुए चावल का पानी इस्तेमाल करना बेहतर रहता है क्योंकि यह ज़्यादा आसानी से पच जाता है और इससे कम टट्टी आती है। मगर यह सिर्फ व्यस्कों के लिए या हैजा के शिकार बच्चों के लिए ठीक है। अगर किसी बच्चे को किसी भी और तरह के गंभीर दस्त हों तो यह ठीक नहीं रहता।अनाज वाले तरल पदार्थ जैसे चावल का पानी निर्जलीकरण से बचाव के लिए उपयोगी घरेलू उपचार है। अगर उनमें नमक पड़ा हो तो वो काफी उपयोगी रहते हैं। जिन जगहों पर अनाज के दलिए का इस्तेमाल होता है वहॉं पर इनको सामान्य आहार के रूप में देते रहना चाहिए। दलिया देना बंद न करें। ऐसा करने से बच्चे में कैलोरी की मात्रा पहुँचनी कम हो जाएगी।
मुँह से पानी की कमी पूरी करने के दस नियम
- ओ आर एस के पैकेटों में चीनी और नमक का ठीक अनुपात होता है। परन्तु घर में बने घोलों को बनाना और इस्तेमाल करना आसान होता है।
- उल्टी होने पर भी ओ आर टी देना जारी रखें क्योंकि दस्त के साथ अकसर अमाश्य शोथ हो जाता है। और ओ आर एस से इसको ठीक करने में मदद मिलती है। उल्टी अकसर अमाश्य शोथ के कारण होती है।
- जहॉं तक संभव हो साफ पानी का इस्तेमाल करें। इसे उबालने और ठंडा करने में समय बर्बाद न करें। घर में उपलब्ध आम पीने का पानी इस्तेमाल करें।
- एक बार में 4 – 6 घंटों के लिए पर्याप्त (करीब 200 मिली लीटर) ओ आर एस बना के रख लें। इसके बाद फिर से ताज़ा ओ आर एस बनाएं। ऐसा करना इसलिए ज़रूरी है ताकि देर तक रखने से घोल में बैक्टीरिया न बढ़ जाएं।
- ओ आर एस चम्मच से धीरे धीरे पिलाएं ताकि वो शरीर में अवशोषित हो जाए। बहुत सारा ओ आर एस देने से उल्टी हो सकती है।
- एक साल से कम के बच्चे के लिए 24 घंटों में करीब एक लिटर ओ आर टी काफी होता है। हल्के से बीच के निर्जलीकरण में पहले 4 घंटों में करीब 75 मिली लीटर ओ आर एक प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से दें।
- हर बार की टट्टी में हुई पानी की कमी की भरपाई के लिए 100 मिली लीटर ओ आर एस दिया जाना चाहिए।
- बच्चे को धैर्य से और थोड़ा जर्बदस्ती तरल पदार्थ दें। दस्त के कारण बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। जब तक कि निर्जलीकरण के लक्षण ठीक न हो जाएं ओ आर एस देते रहें।
- एक साल तक के बच्चे के लिए ओ आर एस को उतने ही पानी से हल्का करेंं। नहीं तो बारी बारी से ओ आर एस या सादा पानी बारी बारी से दें। ओ आर एस का घोल थोड़ा ज़्यादा नमकीन होता है और नवजात बच्चों के लिए हानिकारक होता है।
- गंभीर निर्जलीकरण में अंत: शिरा द्रव न दिए जाने से से मौत भी हो सकती है। ऐसे में केवल ओ आर एस काफी नहीं होता।
ओ आर एस से दस्त नहीं रुकते। इससे केवल निर्जलीकरण रोका जा सकता है। अगर बच्चा ठीक से दूध पी रहा है, खेल रहा है और निर्जलीकरण ठीक होता जा रहा है तो मॉं को समझाएं कि घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है।
अधिक पानी
अधिक पानी होने से आँखें मोटी हो जाती हैं। ध्यान से देखें कि कहीं ऐसा तो नहीं हो रहा है। और तब तक ओ आर एस देना रोक दें जब तक यह चिन्ह गायब न हो जाए। अगर बच्चा पेशाब न कर रहा हो तो इससे शरीर में पानी इकट्ठा हो जाता है। अगर बच्चा ओ आर एक न ले तो अंत: शिरा द्रव या पेट में नली डाल कर आहार दिया जाना ज़रूरी हो सकता है। अगर आप को यह करना न आता हो तो बच्चे को तुरंत पास के अस्पताल ले जाएं।
आहार देते रहना
दस्त से होने वाली सबसे आम समस्या कुपोषण की होती है। ऐेसा इसलिए क्योकि खाना आंत में इतनी देर नहीं रह पाता कि वो ठीक से अवशोषित हो सके। इसके अलावा दस्त के डर से अकसर मांएं बच्चों को दूध पिलाना बंद कर देती हैं। इस समय में आसानी से पचने वाले तरल पदार्थ देते रहने चाहिए। स्तनपान और ऊपर का दूध भी पिलाते रहना चाहिए।
टट्टी रोकने की दवाएं न दें
दस्त में आंतों को निष्क्रिय करने या धीमा करने वाली दवाएं देना नुकसानदेह हो सकता है। एक तो इससे मल इकट्ठा हो जाता है जिसको बाहर फैंका जाना ज़रूरी होता है। पेट में ऐंठन को ठीक करने वाली दवाओं (आंतों को धीमा करने वाली) के बहुत अधिक मात्रा में दिए जाने से पेट के आधमान की समस्या हो जाती है। ऐसा आंतों के लकवे से होता है और इससे बच्चे की मौत भी हो सकती है।
इन्जैक्शन न दें
ज़्यादातर दस्तों में इन्जैक्शन से कोई फायदा नहीं होता। उल्टा अगर दस्त पोलियो के वायरस से हुआ हो तो इन्जैक्शन से लकवा हो जाने का खतरा होता है। बैक्टीरिया से होने वाली पेचिश के केवल कुछ मामलों में इन्जैक्शन देना ज़रूरी होता है। इसका फैसला डॉक्टर को करने दें।
आयुर्वेदानुसार दस्त में हल्का आहार
आयुर्वेदानुसार दस्त में हल्का आहार देना चाहिये| अत: मूँग, चावल, राजगीरा खिलाना अच्छा है| गाय के घी का प्रयोग करे| इससे बालकको शक्ती आती है| खीर आसानी से हजम हो जाती है| इसमे खुब सारा गुड डालिये|
पेचिश का इलाज
अगर मल में खून या श्लेष्मा हो तो यह पेचिश है और इसके इलाज के लिए पॉंच दिन तक कोट्रीमोक्साज़ोल या नालिडिक्सिक ऐसिड दें।
विशेष सूचना
- विषाणू अतिसार में उल्टी और हल्का बुखार हो सकता है| अत: इसकी चिंता न करे|
- अतिसार में आहार की दृष्टी से सामान्य शक्कर की अपेक्षा ग्लुकोज-शक्कर अधिक अच्छी है|
- घरेलू द्रवपदार्थ सलाईन से बिलकुल कम नहीं होते| साथ ही सस्ते भी होते है|
- सलाईन याने सिर्फ पानी| तथा शक्कर व नमक होता है| नस द्वारा सलाईन की अपेक्षा मुँहसे द्रवपदार्थ शीघ्र दे सकते है| अतिशुष्कता होनेपर ही सलाईन की आवश्यकता होती है|
- त्वचा का सूखापन जॉंचने हेतू बच्चे के पेट की त्वचा अँगुली की चिमटीमें पकडकर छोडिये| निरोगी अवस्था में त्वचाकी सिलवट पहले जैसी सपाट हो जाएगी| शुष्कता होनेपर त्वचा की सिलवटे धीरे धीरे ठीक होती है|
- उल्टियॉं होने पर भी १० मिनिट रुककर द्रवपदार्थ देते रहिये|
- रक्तश्लेष्मा (आंव) हो तो जिवाणुरोधक अर्थात प्रतिजैविक दवाइयॉं देनी पडती है|
- दस्त बडे हो या हर तीन घंटेमें एक से अधिक दस्त हो तो बिमारी की गंभीरता को समझे| ऐसे में अस्पताल जाना ठीक रहेगा|