इस प्रोजेक्ट के लिए सर रतन टाटा ट्रस्टने सहाय्यता की है
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बाल स्वास्थ्य – इलाज
अंडे का सफेद हिस्सा प्रोटीन और पिला वसा
दोनो भी बच्चों के लिए कोषक है
बच्चों की बीमारी पहचान कर जल्दी इलाज करवाएँ।
छ: माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराये। तब तक अन्य आहार की आवश्यकता नही। बच्चे के स्तनपान व खाना खिलाने हेतू मॉं को वक्त और मदद दे।
छठे माह के बाद ऊपरका खाना शुरु जरुर करे। अब सिर्फ स्तनपान देना ठीक नही।
बच्चो को हर २-३ घंटों में कुछ खाने पिने को चाहिये। बडों की तरह वे २-३ बार खाकर पूरा दिन नही निकाल सकते।
हो सके तो छठे माह के बाद अंडे या मछली का टुकडा खिलाएँ। प्राणिजन्य प्रोटीन बच्चों की वृद्धी हेतू अच्छे होते है।
छ महिने के बाद बच्चों को फल-सब्जियॉं देना
आपका परिवार शाकाहारी हो तो मुँगफली दाना, सोयाबिन या दालों को बच्चों के आहार में समाविष्ट करे।
बच्चों को भरपूर तेल-घी खाने दे। इससे उर्जा बढती है।
शक्कर और गुड से भी उर्जा बढती है। कृमी होने की फिक्र ना करे। उसका शक्कर गुड से कोई संबंध नही है।
फल, हरी सब्जियॉं, खारीक, बादाम आदि पदार्थ खाने और हजम करने में आसान होती है, इन्हे खिलाएँ।
बच्चे का विकास और वृद्धी की समय-समय पर जॉंच करवाएँ। इस हेतू डॉक्टर या नर्स की मदद ले।
कम उम्र में शादी, गर्भावस्था
और दो बच्चों में अंतर
बच्चे को खिलाने के पूर्व हाथ साफ धो ले।
हमेशा पाखाने का प्रयोग करे। बाहर पाखाना करने से संक्रमण फैलते है। यह बच्चों के पोषण के लिये खतरा है।
गर्भवती स्त्री का खयाल रखे। इससे बच्चे का वजन बढेगा। मॉं को अच्छे से भोजन, नींद और आराम मिलना चाहिये।
लडकी की शादी सही उम्र में ही करे। कम उम्र माताओं के बच्चे कम वजन के होते है। खुद लडकी को भी यह नुकसानदेह है।
पालनाघर और बालसंगोपन हेतू मॉं को समय मिलना राष्ट्रीय अवश्यकताएँ है। यह ऐश नही समझे।
बच्चों को तले पदार्थों की आदत ना डाल
बालसंगोपन मे मॉं के साथ पिता भी सहभागी हो। यह काम सब पूरे परिवार को करना चाहिये।
बच्चा जितना चाहे खाने दे। खाने की वस्तुएँ उन्हे घरमें सहजता से मिले ऐसे रखे।
बच्चों को तले-मसालेदार पदार्थों की आदत ना डाले।
कुपोषण से बचाव
छे महीने के होने पर बच्चे को दूध के अलावा अन्य चीज़ें खिलाना शुरु कर दें।
स्वच्छता रखें और खाने की चीज़ों को संक्रमण और कीड़ों से बचाएं।
अंडे, सब्ज़ियों, दालों और फलों को बच्चे के भोजन में शामिल करें।
पूर्ण टीकाकरण कराएँ।
दोहद का अर्थ है कि बच्चे को कम भोजन मिल रहा है। अगर बच्चे में दोहद के लक्षण दिख रहे हों तो तुरंत उसके पोषण पर ध्यान दें।
सूखे, ठोस और भारी आहार की जगह आसानी से पचने वाला खाना जैसे दलिया आदि दें।
सबसे ज़रूरी है कि १८ महीनों तक स्तनपान जारी रखें।
खाने में तेल डालकर दे।
दिन में कम से कम ५ बार खिलाएँ।
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