health services स्वास्थ्य सेवाएं
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द

हर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के ३०००० आबादी के लिये ४ से ५ उप स्वास्थ्य केन्द्र होते हैं। स्वास्थ्य उपकेंद्र ५००० लोगों के इलाज के लिए बने होते हैं। हर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक या दो डॉक्टर, दो नर्स या दाइयॉं, ५ – ६ ऑक्सिलरी नर्सें (उप केन्द्रों में), क्लर्क, वार्ड सहायक और फील्ड सुपरवाइज़र होते हैं। एक वाहन भी वहॉं होता है। एक प्राथमिक केन्द्र के काम ये हैं –

  • बहिरंग रोगी मरीज़ों का इलाज।
  • खास तरह के क्लिनिक में गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं की देखभाल।
  • बच्चों के स्वास्थ्य सेवा जिसमें टीकाकरण भी शामिल है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों जैसे तपदिक, कोढ़, मलेरिया, अंधेपन, फाइलेरिया या दस्त आदि के साथ परिवार कल्याण कार्यक्रम और टीकारकरण कार्यक्रम को लागू करना।
  • समग्र बाल विकास कार्यक्रम में पूरक भूमिका।
  • स्वास्थ्य कानूनी सेवा जैसे असामान्य मौत, लड़ाई में लगी चोटों, बलात्कार आदि की जांच करना, प्रदूषण नियंत्रण के उपाय और खाने की जगहों का निरीक्षण।
  • पानी के शुद्धीकरण और स्वच्छता के मुद्दों पर काम में मदद।
  • समुदाय में स्वास्थ्य शिक्षा फैलाना।
  • पराचिकित्साकर्मी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मियों और दाइयों को प्रशिक्षण देना। उप -केन्द्रों में आमतौर पर एक पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता और २ सहायक नर्स होती है। उनकी ज़िम्मेदारी होती है कि वे –
  • सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों को, जिनमें परिवार कल्याण (मॉं और शिशु स्वास्थ्य सेवा) शामिल हैं, लागू करें और घर में होने वाले प्रसवों में मदद करें।
  • संक्रामक और माहमारी के स्थिती को नियंत्रित करें।
  • स्वास्थ्य शिक्षा का आयोजन करें।
  • आम बीमारियों के लिए बुनियादि स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाएं।

Primary Health Centreअसल में परिवार कल्याण और टीकाकरण कार्यक्रमों में ही उप -केन्द्रों के कार्यकर्ताओं का सारा समय निकल जाता है। ज़्यादातर लोगों को यह भी नहीं पता होता कि ये सेवाएं उन्हें मुफ्त में मिलनी चाहिए। यह ज़रूरी है कि लोगों को स्वास्थ्य केन्द्रों की ज़िम्मेदारियों के बारे में बताया जाए ताकि ऐ इन सेवाओं का पूरा लाभ उठा सकें। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में अब स्वास्थ्य उपकेंद्रों के हालात काफी सुधरे है। भारत में चल रही कुछ सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में नीचे जानकारी दी गई है। इन कार्यक्रमों की फलताओं और असफलताओं का भी आकलन किया गया है।

आशा – दाइयॉं

Aashaगॉंवों में एकसमय ज़्यादातर प्रसव पारंपरिक दाइयों पड़ौसियों और रिश्तेदारों की देखरेख में ही होते थे। हांलाकि मुश्किल प्रसव संभालने के लिए अस्पतालों की ज़रूरत होती है, दाइयॉं गॉंवों की औरतों में आसानी से घुलमिल जाती हैं, इन्हें प्रशिक्षण देने के पहिले एक योजना थी। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के चलते अब दाईयोंका महत्त्व कम हुआ है।

प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा

स्वास्थ्य विज्ञान में इतनी ज़्यादा तरक्की हो जाने के बावजूद बहुत से देशों में बीमारी बहुत ज़्यादा व्याप्त है। ऐसा रहने सहने के खराब हालातों के कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक कार्यक्रम बनाया था जिसे ‘२००० तक सभी के लिए स्वास्थ्य’ का नाम दिया गया था। यह उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के ज़रिए हासिल किया जाना था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं सभी लोगों को, उनकी सक्रिय भागीदारी से और उनकी मंजूरी से मिलनी चाहिए। ये ऐसी कीमत पर मिलनी चाहिए जिसे समुदाय और देश आसानी से वहन कर सके। इस तरह से मुख्य शब्द हैं – ज़रूरी, सहज, उपलब्ध, मान्यता, भागीदारी सही कीमत में।

प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल हैं –
  • पर्याप्त और उपयुक्त पोषण हर किसी को मिलना।
  • स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में सामुदायिक शिक्षा और उनका नियंत्रण।
  • सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करवाना और आम सफाई होना।
  • मॉं बच्चेका स्वास्थ्य और परिवार कल्याण।
  • प्रमुख बीमारियों के लिए टीकाकरण।
  • स्थानीय रोगों से बचाव और नियंत्रण।
  • आम बीमारियों और चोटों का इलाज।
  • सभी के लिए बेहद ज़रूरी दवाओं की उपलब्धता। भारत सरकार द्वारा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए नीचे दिए खास तरीके अपनाए गए। इनमें कोष्टक में मौजूदा स्थिति दी गई है।
  • नवजात शिशु मृत्यु दर १००० जन्मों के पीछे ३० तक कम करना (अब ५४)।
  • अपेक्षित उम्र को कम से कम ६४ पर पहुँचाना (अब ६०)।
  • स्थूल मृत्यु दर को प्रति १००० के पीछे १४ से ९ तक पहुँचाना (अब ९)।
  • स्थूल जन्म दर को प्रति १००० के पीछे ३३ से २१ पर पहुँचाना (अब २३)।
  • २००० तक कुल जनन दर हासिल करना था यानी कि हर एक महिला के पीछे सिर्फ एक संभावी मॉं का जन्म हो।
  • सभी के लिए सुरक्षित और साफ पेयजल (६३ प्रतिशत)।

ये सब २००० तक हो जाना था। परन्तु सभी के लिए स्वास्थ्य के लिए पूरी सामाजिक और आर्थिक स्थिती में सुधार की ज़रूरत है और इसे हासिल करने में भारत अभी बहुत पीछे है। सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता समुदाय के बीचों बीच होता है रेफरल प्राथमिक सहायता इलाज निदान स्वास्थ्य शिक्षा बाद में देखभाल।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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