सुनने की प्रक्रिया कुछ इस तरह चलती हैं – आवाज़ की तरंगों का आन्त्र कर्ण (लैबरिंथ) तक पहुँचाना।
आन्तर कर्ण (लैबरिंथ) में इन तंरगों का संकेतों में बदलना।
आठवीं मस्तिष्क तंत्रिका द्वारा इन तरंगों का दिमाग के सुनने वाले हिस्से में पहुँचना।
इस पूरे रास्ते मे कहीं भी गड़बड़ी होने से बहरापन हो सकता है। इसकी जॉंच के लिए कुछ आसान टैस्ट हैं।
सुनने की क्षमता की जॉंच के लिए एक आसान टैस्ट हैं। करीब ६ मीटर की दूरी से फुसफुसाना होता है (साथ में कोई और आवाज़ नहीं होनी चाहिए)। आम तौर पर इतनी दूरी से फुसफुसाहट आसानी से सुनाई देती है। दोनों कानों की जॉंच अलग अलग करें। जिसके कानों की जॉंच करनी हो उसे बारी बारी से अपना एक एक कान अपनी ओर रखने के लिए कहें। इससे आप दोनों कानों की जॉंच अलग अलग कर सकेंगे। यह बहरेपन या ऊँचा सुनने की जॉंच करने के लिए एक आसान तरीका है।
ट्युनिंग फोर्क से कान की जॉंच |
बहरापन दो तरह से हो सकता है: या तो आवाज़ की तरंगों के चालन की गड़बड़ी के कारण या फिर तन्त्रिका मस्तिष्क के गड़बड़ी के कारण। टयूनिंग फार्क टैस्ट से इन दोनों में फर्क करने में मदद मिलती है। मध्य कान में गड़बड़ी से आवाज़ के चालन में बाधा पड़ती है। इससे ध्वनि चालन का बहरापन हो जाता है। तंत्रिका बहरापन में तंत्रिका द्वारा आवाज़ के संकेत दिमाग तक न पहुँचा पाने की स्थिति में होता है। टयूनिंग फार्क को पकड़ कर कम्पित करवाएँ और इसे उस कान के पास ले जाएँ जिसके खराब होने की आशंका है। आम तौर पर एक भिनभिनाने की आवाज़ आती है। अगर कोई व्यक्ति यह भिनभिनाने की आवाज़ नहीं सुन पाता है तो कम्पित टयूनिंग फार्क को कान के पीछे मैस्टोएड (कर्णमूल) हड्डी पर रखें। जैसा कि हमने सीखा है कि मध्य कान में कान के पर्दे और हडि्डयों की शृंखला नष्ट हो जाने पर यह हड्डी विकल्प की तरह आवाज़ की तरंगों के चालन के लिए काम करने लगती है। अगर कोई व्यक्ति मैस्टोएड हड्डी की मदद से टयूनिंग फार्क द्वारा भिनभिने की आवाज़ नही सुन पाता है तो हम यह मान सकते हैं कि आन्तर कर्ण (लैबरिंथ) या तंत्रिका खराब हो चुके हैं। दोनों कानों की जॉंच अलग अलग करें। फिर भी इसकी जॉंच दुबारा विशेषज्ञ ही करे यह अच्छा है।
किसी भी बीमारी में जिसमें सुनने की क्षमता पर असर हो, किसी ईएनटी यानि कान, नाक व गले के विशेषज्ञ को दिखाया जाना ज़रूरी है। ये डॉक्टर सुनने की क्षमता की जॉंच ऑडियोमेट्री (श्रव्यतामिति) तकनीक से करते हैं। फैक्टरियों आदि में शोर के कारण सुनने की क्षमता में गड़बड़ी की जॉंच के लिए इस तकनीक का बहुत अधिक इस्तेमाल होता है। इस तकनीक से यह भी पता चल जाता है कि आवाज़ की कौन सी आवृति सुनने की क्षमता खतम हो गई है।
यह एक आधुनिक मशीनी जॉंच है। यह जॉंच नवजात शिशु के लिए उपयुक्त है लेकिन यह वरिष्ठ अस्पतालों में ही उपलब्ध है।
बाहरी कान में फोड़ा या फुँसी होना भी काफी आम है। इसमें बहुत दर्द होता है। फूटने से पहले इसे आसानी से देखा जा सकता है। परन्तु फूटने के बाद इसे देखने में ऐसा भ्रम भी हो सकता है कि यह मध्य कान संक्रमण है। इसलिए कान की जॉंच अच्छी रोशनी में की जानी चाहिए। जब तक यह फोड़ा पूरी तरह न बना हो तब तक यह एन्टीमाईक्रोबियल इलाज से कुछ अटकाव हो सकता है। कोट्रोमोक्साजोल और एमोक्सीसिलीन इसके लिए सबसे अच्छे हैं। एक बार यह फूट जाए तो कान को साफ करें और उसमें सैप्टिक रोधी दवाई डालें। पीप तीन चार दिनों में सूख जाता है।