tantrika tantra मानसिक स्वास्थ्य मस्तिष्क/तंत्रिका तंत्र
उन्माद अवसादी विक्षिप्ति
अवसाद

Depressionयह बीमारी महिलाओं में ज्यादा पायी जाती है। अकेलापन इसका एक शुरुवाती मुद्दा हो सकता है लेकिन अनुवंशिकी और जैव रासायनिक कारण इसमें जरुर है। यह भी एक गंभीर बीमारी है। उन्माद को तकनीकी रूप से उन्माद अवसादी विक्षिप्ति या बाइपोलर साइकोसिस कहते हैं क्योंकि इसमें मनस्थिति मेनिया से लेकर गंभीर अवसाद के बीच बदलती रहती है। बहुत अधिक बोलना, हिलना डुलना, बेचैनी, चिड़चिड़ापन या किसी भी कारण के बिना खूब खुश हो जाना इस बीमारी के लक्षण हैं। कभी कभी बातचीत एकदम बेकार हो सकती है।

व्यक्ति खुद को या किसी और को ज़ख्मी कर सकता है या फिर मार भी डाल सकता है। अपने ऊपर कोई नियंत्रण नहीं रहता। बीमारी की स्थिति कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक चल सकती है। बीच बीच में व्यक्ति ठीक भी रह सकता है। या तो हर बार बीमारी की स्थिति में उन्माद और अवसाद बारी बारी से हो सकते हैं या सिर्फ उन्माद या गंभीर अवसाद की स्थिति हो सकती है। विशेष दवाओं और बिजली शॉक के इलाज से उन्माद अवसादी विक्षिप्ति काफी हद तक ठीक हो सकता है।

इसके लक्षण
  • दुखी मनोवस्था रोजमर्रा के कामो में रुची न होना, तनाव और चिंता बहुत ज्यादा होना।
  • नींद हमेशा खराब होना, अधी रात नींद खुलना।
  • थकान।
  • भूख न लगना, काम पर ध्यान न होना।
  • आत्महत्या के विचार।
  • छाती में धडकन महसूस होना, कंपकंपी और चक्कर जैसे लगना।
  • बदन में जगह जगह दुख और दर्द।
  • यौन इच्छा न होना।

उदाहरण
  • raghunath रघुनाथ वकील कुछ समय से असामान्यसा हो गया है। दो साल पहले तक वो एक बहुत ही व्यस्त वकील था। मानसिक बीमारी के लक्षण जैसे बहुत अधिक बोलना, गुस्से में रहना, अकड़ना और चिल्लाना बहुत आम हो गया जबकि यह केवल कुछ कुछ समय के लिए ही होता था। इस कारण से लोगों ने उसके पास अपने मामलों के लिए आना बंद कर दिया। इससे स्थिति और बिगड़ गई। उसका परिवार थोड़ा परंपरागत िकिस्म का है। इसलिए उन्होंने इस बारे में एक तांत्रिक के अलावा किसी से सलाह नहीं की। सौभाग्य से एक दूर के रिश्तेदार ने उसका एक मनोचिकित्सक से इलाज करवाया। अब उसकी बीमारी नियंत्रण में है।
  • मनोरमा को अपनी शादी के 2 – 3 साल बाद गंभीर अवसाद हो गया। सबसे पहले उसे अकेलापन लगने लगा, उसके बाद अपने कामों और परिवार के सदस्यों के प्रति उसकी रुचि कम होने लगी। धीरे धीरे उसने अपने को एक कमरे में बंद रखना शुरू कर दिया। अपने खाने और पहनने ओढ़ने के बारे में ध्यान देना भी उसने छोड़ दिया। उसके पति ने उसके ‘बुरे व्यवहार’ के लिए उसे मारना पीटना शुरू कर दिया और आखिर में दूसरी शादी कर दी। किसी को भी पता नहीं था कि यह बीमारी प्रति अवसाद दवाओं से ठीक हो सकती है। समय के साथ लक्षण बिगड़ते गए और वो घंटों एक कोने में बैठ कर रोती रहती थी। एक शांत दोपहर को जब कोई भी घर में नहीं था उसने गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली। यह टाला जा सकता था।

इलाज

इसके लिये अच्छे इलाज उपलब्ध है। दवाओं के साथ प्रकाश किरणों से उपचार मॅग्नेटिक थैरेपी , परामर्श(कौन्सेलिंग), गुड थैरेपी, व्यवहारिक थैरेपी आदि उपयुक्त है। कई महिलाओं को प्रसव के बाद अवसाद महसूस होता है। शायद यह काम का दबाव, घरेलू मुश्किले, बच्चे की निगरानी, सामाजिक दबाव, लडकी होने का दुख आदि कारणों से हो सकता है। ये महिला दुखी दिखाई देती है। बच्चे को दुध पिलाने में उसे ज्यादा दिलचस्पी नही होती, कम नींद और बातचित इसके लक्षण है। कुछ महिलाएँ रोती भी है। दवा उपचार काफी असरदार होता है लेकिन परिवार की सहायता भी जरुरी है।

लंबी लंबी सांस लेने से लाभ होता है। यह बीमारी कुछ महिनों तक रह सकती है। तब तक बच्चे के बारे में भी सावधानी बरतनी चाहिये। आम तौर पर ये अवस्था 2-3 हफतो में निकल जाती है। मनोविकारों में दवाइयों के साथ अलग अलग अन्य उपचार भी काम में आते है जैसे की आर्ट थेरपी, विपश्यना, योग उपचार, आयुर्वेदीय उपचार, होमियोपैथी बुक थेरपी और खास करके कांउसलिंग ।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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