tantrika tantra मानसिक स्वास्थ्य मस्तिष्क/तंत्रिका तंत्र
हस्तमैथुन

सामान्य यौन संबंध की सुविधा होने पर भी किसी पुरुष या महिला द्वारा हस्तमैथुन करने को मजबूर होना सामान्य नहीं है। परन्तु इससे कोई नुकसान नहीं होता। और यौन संबंध बनाने की सुविधा मिलने से पहले हस्तमैथुन करना एकदम सामान्य है। परन्तु दुर्भाग्य से इस सामान्य प्रक्रिया को लेकर बहुत अधिक डर और पाबंदियॉं हैं। यौवनारंभ के आते आते अधिकांश लड़कों और लड़कियों को यह आदत पड़ चुकी होती है। हांलाकि सामान्य बता कर इसे बढ़ावा देना ठीक नहीं है परन्तु इसके लिए किसी की भर्त्सना करना भी गलत है। बच्चों का ध्यान बटाने के लिए उन्हें खेलों, कला और अन्य चीज़ों में हिस्सा लेने के लिए बढ़ावा देना ज़रूरी है। सख्ती से पेश आने की बजाए मॉं बाप को बच्चे को भरोसे में लेना चाहिए। हस्तमैथुन लडकियों में संभव है, जिससे हायमेन (योनिच्छेद) करता है।

बच्चों की मानसिकता

अनुवांशिक कारणों के अलावा, बच्चों का सही पालन समाज के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए बहुत ज़रूरी है। दुर्भाग्य से बच्चों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसपर सबसे कम ध्यान दिया जाता है। बहुत से परिवार केवल शारीरिक वृद्धि पर ही ध्यान देते हैं। आज जबकि संचार माध्यमों (टेलिविज़न और अखबारों) में इतनी सारी हिंसा दिखाई जा रही है, बच्चे भी ज़िदगी में मूल्यों को लेकर असमंजस में हैं।

बच्चे का मानसिक विकास अनुवांशिक के साथ साथ पारिवारिक कारकों पर निर्भर करता है। बच्चे की सीखने की पूरी प्रक्रिया आसपास जो कुछ वो देखता है उससे प्रभावित होती है। मॉं बाप और भाई बहनों का व्यवहार बच्चे का स्वभाव बनाने में काफी महत्व रखते हैं। इसके बाद स्कूल और दोस्तों का नम्बर आता है। खेलकूद बालस्वास्थ्य के लिये एक महत्त्वपूर्ण बात है।

बच्चों से असामान्य व्यवहार

हम हर उम्र में किसी न किसी तरह की समझदारी की उम्मीद करते हैं। उदाहरण के लिए 10 साल के एक बच्चे का बिस्तर में पेशाब करना सामान्य नहीं है और चिंता का विषय है। बच्चों के स्वास्थ्य वाले अध्याय में दिया गया है कि किस उम्र के बच्चे को क्या क्या करना आना चाहिए। इसमें थोड़े बहुत अंतरों का भी ध्यान रखा गया है। इन के आधार पर बच्चे की उम्र के अनुसार यह तय किया जा सकता है कि बच्चे की मानसिक वृद्धि ठीक है या नहीं।

शारीरिक या मानसिक अपंगता

अगर स्कूल में बच्चे का प्रदर्शन लगातार खराब रहे (पहले तो यह जांच लें कि उसे देखने या सुनने में तो कोई समस्या नहीं है) तो यह मानसिक रूप से कम क्षमता का सूचक है। बहुत से बच्चे इम्तहानों में अच्छा नहीं कर पाते परन्तु यह खराब शिक्षा व्यवस्था के कारण है। जिस उम्र में जो शारीरिक काम कर सकना चाहिए वो न कर पाना (जैसे कि ठीक से पकड़ न पाने के कारण चीज़ें गिरा देना), खराब याददाश्त और समझ आदि पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी होता है। उदाहरण के लिए एक 8 साल के बच्चे को बिना गिराए चाय ले जाना आना चाहिए।

खराब व्यवहार

चोरी, आदतन झूंठ बोलना, बार बार लड़ाई करना या दूसरों को चोट पहुँचाना भी चिंता की बातें हैं। परन्तु इसके लिए सामाजिक और जीवविज्ञानिक कारक दोनों आपस में मिलजुल कर ज़िम्मेदार होते हैं। ऐसे कुछ कारणों की सूची नीचे दी गई है

  • जीववैज्ञानिक कारक जैसे अनुवांशिकता, बधिर मूकता, कोई खास बीमारी या मानसिक मन्दता।
  • मॉं बाप या भाई बहनों से भावनात्मक रूप से जुड़ पाने में असफल रहना।
  • सामाजिक या पारिवारिक समस्याएं जैसे दु:खद शादियॉं, गरीबी, घर में बहुत अधिक अनुशासन, बहुत अधिक लाड़ दुलार या प्यार का अभाव आदि।
बचपन की आम समस्याएं

बच्चों में हांलांकि कई तरह की छोटी बड़ी मानसिक समस्याएं होती हैं परन्तु कुछ समस्याएं काफी आम होती हैं।

उदास बच्चा

आसपास की चीज़ों में दिलचस्पी न होना, किसी भी काम में शामिल न होना, दु:ख आदि कुपोषण आदि बीमारियों के कारण होता है।

हद से ज़्यादा सक्रिय बच्चा

कभी कभी कुछ बच्चे किसी किसी काम को लेकर बहुत ही ज़्यादा सक्रिय होते हैं। ये बच्चे हमेशा बेचैन रहते हैं और किसी भी एक काम में दिमाग नहीं लगा पाते हैं। इस कारण से उनसे कोई भी काम ठीक से पूरा नहीं हो पाता है। मानसिक विकास अवरुद्ध होना, दिमाग में चोट लगना या सिर्फ भावनात्मक अस्थिरता इसका कारण हो सकते हैं।

सांस रोकने वाली ऐंठन

कई बच्चे (3 साल तक के) अचानक अपनी सांस रोक लेते हैं और काफी विचित्र तरीके से घूरने लगते हैं। ऐसा केवल कुछ ही सेकण्ड के लिए होता है। ऐसा तब होता है जब बच्चे को लगता है कि परिवार उसपर ध्यान नहीं दे रहा और ऐसे में वो उनका ध्यान आकर्षित करना चाहता है।

बिस्तर गीला करना (5 से 15 साल में)

तीन साल की उम्र तक लगभग सभी बच्चे बिस्तर गीला करना बंद कर देते हैं। इस उम्र तक बच्चे को नियंत्रण करना आ जाना चाहिए। इसके बाद बिस्तर गीला करना बहुत आम नहीं है और आमतौर पर सोने से पहले पेशाब न करने या बहुत अधिक तरल पदार्थ लेने से जुड़ा होता है। इसके अलावा अंधेरे से डर के कारण सोने से पहले पेशाब न करना भी इसका कारण हो सकता है। अगर इनमें से कोई कारण न हो तो हमें इस पर ध्यान देना चाहिए। ऐसा हो सकता है कि बच्चा असुरक्षित महसूस कर रहा हो और ध्यानाकर्षित करवाना चाहता हो।

बच्चों में हिस्टीरिया

बच्चों में हिस्टीरिया काफी आम है। बच्चे अपनी मानसिक समस्याओं को बहुत आसानी से शारीरिक रूप से प्रदर्शित करते हैं इसलिए हिस्टीरिया होता है। ऐसे में आम शिकायतें होती हैं सिर में दर्द, पेट में दर्द, दौरे पड़ना, कांपना आदि। परन्तु किसी बच्चे को हिस्टीरिया की समस्या है ऐसा तभी मानना चाहिए जब पक्का हो जाए कि उसे असल में कोई शारीरिक समस्या नहीं है। दिलासा दिलाने और देखभाल से ऐसी सभी समस्याएं ठीक हो सकती हैं। अकसर किसी विशेषज्ञ की मदद की भी ज़रूरत होती है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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