यौन सम्बन्धों के माध्यम से फैलने वाले रोगों या यौन रोगों (एस.टी.आई.) को कभी रतिज बीमारियाँ या गुप्त रोग कहा जाता था। क्योंकि स्कैबीज़, दाद और जूएँ भी यौन सम्बन्धों से फैल सकते हैं, इसलिए हमें इन रोगों और यौन रोगों में साफ फर्क करने की ज़रूरत है। इसलिए सिर्फ वो बीमारियाँ जोकि लगभग हमेशा (या अधिकतर) सिर्फ यौन सम्बन्धों से ही फैलते हैं यौन रोग कहलाते हैं। अधिक गम्भीर पुराने यौन रोग हैं आतशक, गर्मी या उपदंश (सिफलिस), सूजाक (गोनोरिया), नरम व्रण, जांघ में ग्रेनुलोमा, जांघ में गिल्टियाँ (एलजीवी), एड्स और हैपेटाइटिस बी। अन्य एस.टी.डी. कम गम्भीर होते हैं क्योंकि इनसे ज्यादा नुकसान नहीं होता।
यौन रोगों को लेकर काफी डर और गोपनीयता रहती है। इसलिए इनको लेकर बहुत से भ्रम भी हैं। इन भ्रान्तियों का एक और कारण भी है। इन बीमारियों का इलाज करने वाले झोला छाप डॉक्टरोंको तो इनके बारे में पर्याप्त जानकारी नही होती है। एक काफी आम परन्तु गलत अन्धविश्वास यह है कि सार्वजनिक शौचालयों में पेशाब करने से यौन रोग हो जाते हैं। इसी तरह यह मानना भी गलत है कि हस्तमैथुन से यौन रोग हो जाते हैं।
एक और काफी खतरनाक अन्धविश्वास यह है कि पुरुष का यौन रोग किसी कुँआरी लड़की से सम्भोग करने से ठीक हो सकता है। इस गलत धारणा ने नाबालिग लड़कियों के यौन-शोषण की समस्या को और भी बढ़ाया है। इस खतरनाक अन्धविश्वास के कारण बहुत-सी कम उम्र की लड़कियाँ यौन-शोषण के साथ यौन रोगों की शिकार हो जाती हैं।
संलक्षणीय निदान और इलाज ने यौन रोगों को समझना आसान कर दिया है। थोड़े से प्रशिक्षण से हम भी इसके बारे में जानकारी फैलाने में मदद कर सकते हैं।
खॉंसी, घटता वजन, बुखार, खुजली या चकत्ते, दस्त होना तथा मुँह में फफुंद ये शायद एडस् बिमारी के सूचक हो सकते है |
यौन रोग संक्रमणग्रस्त पति/पत्नी या यौन साथी या यौन कामगार (वेश्या व्यवसाय स्थित महिलाएँ) के साथ यौन सम्बन्ध से फैलते हैं। परन्तु एड्स और हैपेटाइटिस बी के फैलने का एक और रास्ता है और वो है संक्रमणग्रस्त खून चढ़ाना या दूषित इंजैक्शन दिया जाना। जितने ज्यादा लोगों से यौन सम्बन्ध होते हैं, यौन रोग लगने की सम्भावना भी उतनी ही अधिक होती है। यह आमतौर पर सच है कि पुरुष विवाह बाह्य यौन सम्बन्धों से यौन संक्रमण लाकर अपनी पत्नी को दे देता है। यह भी सही है कि जिन लोगों के एक से अधिक व्यक्ति से यौन सम्बन्ध होते हैं वो अपने को यौन संक्रमण के खतरे में डाल लेते हैं। परन्तु इस तरह की समस्या महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को अधिक होती है। भारत में आमतौर पर पत्नी को बिना किसी दोष के ही यौन रोगों की चपेट में आ जाती है। यौन रोगों से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है एक ही व्यक्ति से यौन सम्बन्ध होना। परन्तु शहरों की तो बात रहने ही दें गाँवों में भी ऐसा नहीं होता।
यातायात और आवाजाही से भी यौन रोगों का फैलाव बढ़ा है। देशीय और अन्तर्देशीय आवाजाही ने उन घरों में भी यौन रोगों का खतरा पैदा कर दिया है जिनमें पहले इनका नामोनिशान नहीं था। एक समूह जिसे इनका खतरा सबसे ज्यादा होता है वो हैं ड्राइवर। वो लोग महीनों तक घरों से बाहर रहते हैं अत: वो अपनी यौन ज़रूरतें सड़कों के इर्द-गिर्द पलते हुए देह व्यापार के ज़रिए पूरी करते हैं। इस तरह से यौन रोग बहुत थोड़े से समय में ही बहुत दूर-दूर तक फैल जाते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन ने भी बहुत से देशों के असंख्य परिवारों में यौन रोग पहुँचाएँ हैं। विद्यार्थियों में यौनिकता के बारे में अपर्याप्त जानकारी भी यौन रोग फैलने का एक महत्वपूर्ण कारण है।
भारत में यौन रोगों के शिकार लोगों में प्रमुख हैं रैड लाइट क्षेत्रों में महिला यौन कामगार, परिवारों से दूर रहे पुरुष, और वो लोग जो बदलाव के जोश में नए-नए लोगों के साथ यौन सम्बन्ध रखते हैं। यह कहने की तो ज़रूरत है ही नहीं कि इन सभी मामलों में सम्बन्धित पति/पत्नी भी जल्दी ही ये संक्रमण का शिकार होते है।
एड्स और यकृत शोथ (हैपेटाईटिस बी) सबसे अधिक खतरनाक और लाइलाज यौन रोग है। एड्स भारत समेत कई और देशों में काफी अधिक फैल रहा है। और अगर निकट भविष्य में इसके लिए इलाज या टीका नहीं ढूँढ लिया गया तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगा। परन्तु एड्स के खिलाफ लड़ाई में अन्य यौन रोगों पर से ध्यान हट रहा है। सिफलिस, (गर्मी, उपदंश) सुजाक, परमा याने प्रमेह, एलजीवी, वंक्षण कणिका गुल्म और हैपेटाइटिस रोग भी लम्बे समय के लिए स्वास्थ्य को गम्भीर नुकसान पहुँचाते हैं। सबसे अच्छी रणनीति होगी कि एक एक रोग से अलग लड़ने की जगह एक अच्छा यौन रोग नियंत्रण कार्यक्रम अपनाया जाए।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में हमें यौन रोगों से सम्बन्धित निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
हेपॅटॅटीस बी और सी जो यौन संक्रामक बिमारी है, जिगर या लिवर को काफी नुकसानदेय है |
दूषित सुई और सिरींज के कारण ही यह बीमारी फैल सकती है |
सिफलिस सबसे पुराने समय का यौन रोग है। यह पुर्तुगीजों के साथ भारत में पहुँचा, इसीलिये उसे फिरंगरोग भी कहते है यह बीमारी एक स्प्रिंग जैसे कीटाणु स्पायरोकीट्स से होती है। सिफलिस में शुरुआती अवस्था में होने वाले घाव को शैंकर कहते हैं। यह एक दर्द रहित और स्थायी घाव होता है। शैंकर जनन अंगों या मुँह तक में हो जाता है। यह स्थान इस पर निर्भर करता है कि यौन सम्बन्ध कैसा रहा है। जनन अंगीय या मुखीय। इसमें क्योंकि दर्द नहीं होता इसलिए योनि के अन्दर का घाव ढूँढ पाना मुश्किल होता है। इसीलिये महिलाएँ अक्सर सिफलिस के बारे में बताती भी नहीं हैं।