पाचक अम्लों के पेट में बहुत अधिक बन जाने को एसिडिटी अत्यम्लता या जठर अत्यम्लता कहते हैं। बच्चो के तुलना में वयस्कों में यह शिकायत ज्यादा होती ।
पेट में जलन और ऍसिडिटी |
सभी लोग जीवन में कभी न कभी एसिडिटी का सामना करते हैं। मसालेदार खाना, शराब या एलर्जी वाली चीज खाने से एसिडिटी शुरू हो जाती है। कभी-कभी होने वाली शिकायत में इलाज की ज़रूरत नहीं रहती। ये वैसे ही ठीक हो जाती है। एसिडिटी कम करने वाली प्रत्यम्ल एक या दो गोलियों से आमतौर पर आराम पड़ जाता है। कुछ लोगों को बार बार एसिडिटी होती है उससे काफी परेशानी होती है और वो जल्दी ठीक भी नहीं होती। निम्न लिखित कारणों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है।
जठर अत्यम्लता में जलन(इरिटेशन), हल्का दर्द, मुँह में पानी आने की शिकायत होती है। कभी-कभी मुख्यत: मतली और उल्टी की शिकायत होती है। उल्टी आने से यह परेशान करने वाली एसिडिटी ठीक भी हो जाती है।
खाने की कुछ चीज़ों से दर्द कम हो जाता है और कुछ से बढ़ जाता है। आमतौर पर रोगियों को खुद ही इसका पता होता है। लगातार रहने वाली एसिडिटी से किसी एक जगह पर एक खासत तरह का बार-बार होने वाला दर्द होता है। बाद में इस जगह पर आमाशयी अलसर हो सकता है।
जठर अत्यम्लता का इलाज करने से पहले पक्का कर लें कि रोगी को अलसर तो नहीं है। अल्सर का इलाज अलग तरह से होता है। अल्सर के लक्षण इस विषय के बाद दिये है।
सामान्य व्यक्ति में मल अर्धठोस होता है और एक जैसा होता है। सामान्य स्थिति में व्यक्ति को दिन में एक यादो बार शौच जाने की ज़रूरत होती है। परन्तु कुछ बीमारियों में मल चिकनाई युक्त या पतला पानी जैसा या फिर खूब मुलायम होता है । आमतौर पर ये बीमारियॉं किटाणुओं या कृमि या अन्य कारणें से भी होता है।
पेट की बीमारियों में दस्त एक आम शिकायत है। अगर 24 घण्टों में तीन से अधिक बार शौच (पाखाने) के लिये जाना पड़े तो उसे दस्त कहते हैं। परन्तु एक या दो पतले दस्त होने पर भी डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है। साथ की तालिका में दस्त के विभिन्न प्रकारों के बारे में पढ़ें। हमें पतले पानी जैसे मल , रसे जैसे मल, व मुलायम मल में फर्क करते ज़रूर करना चाहिए। इसके अलावा यह देखना भी ज़रूरी है कि 24 घण्टों में कितनी बार पाखाने गए हैं। मल में खून या श्लेष्मा या चिकनाई (म्यूकस) हो तब ‘संक्रमण’ के लिये सोचना चाहिये। यह बड़ी आँतो में आमतौर पर बैक्टीरिया या अमीबा परजीवी के संक्रमण के कारण होता है, इसे पेचिश कहते हैं। दस्त और पेचिश में फर्क समझना ज़रूरी है।