किसी बड़ी धमनी में से हुआ रक्त स्त्राव (जैसे प्रसव के बाद हुआ गंभीर रक्त स्त्राव) अपने आप नहीं रुकता है। परन्तु कुछ चुभने, छेद होने, कटने और छोटी चोटों से निकलनेवाला खून कुछ ही समय में रुक जाता है। तीन प्रक्रियाएं खून का बहना रोकती हैं-
खून पर अब कई जॉंचे होती है |
जब खून के लैब टैस्ट के लिए उंगली में कुछ चुभा कर खून निकालने पर खून बहना बंद होने में केवल एक मिनट लगता है। यह एक मिनट इसलिए लगता है क्योंकि इसके लिए केवल खून की केश नलियों के सिकुड़ने व प्लेटलैट के प्लग के बनने की ज़रूरत होती है। बड़ी नलियों में से खून निकलने पर इसके रुकने में ५ से १३ मिनट का समय लग सकता है। इस स्थिति में खून का जमना भी ज़रूरी होता है जिससे उसके थक्के से खून की नलियॉं बंद हो सकें। खून के जमने की प्रक्रिया कुछ कुछ वैसी ही होती है जैसी कि दूध के फटने की प्रक्रिया। खून के जमने के लिए खास प्रोटीन (फाइब्रिन), कैलशियम, विटामिन के और कुछ और पदार्थों की ज़रूरत होती है। खून के जमने की इस प्रक्रिया में खून का द्रवीय हिस्सा (सीरम) थक्के से अलग हो जाता है। आप ये प्रक्रिया शिरा में से निकाले गए थोड़े से खून को कांच के किसी बोतल में थोड़ी देर रख कर देख सकते हैं।
बोतल को हिलाने से पता चल जाएगा कि खून कभी पतला है या जमा हुआ है। शायद आपने किसी दुर्घटना की जगह पर या फिर प्रसव के बाद ऐसा होते हुए देखा भी होगा। घ्यान कीजिए कि खून को जमने में कितना समय लगता है। अगर किसी व्यक्ति के खून को जमने में १३ मिनट से ज़्यादा का समय लगता है तो उसमें शायद खून बहने की प्रवृति है। इन मामलों में छोटी सी चोटों में से भी काफी देर तक खून बहता रहता है। मसूड़े, आँखें और गुर्दे खून निकलने की आम जगहें हैं। त्वचा के नीचे भी खून के छोटे से चकत्ते उभर सकते हैं।
अगर किसी व्यक्ति में खून बहने की प्रवृति है तो इसका जल्दी से निदान होना ज़रूरी है। क्योंकि ऐसे लोगों में छोटी सी चोट से मौत भी हो सकती है। किसी भी आपरेशन से पहले सावधानी के लिए खून बहने व खून जमने के समय की जांच करना ज़रूरी है।
ऐसी प्रवृति जन्मजात हो सकती है। यह मैनेनजाईटिस, सांप (वाईपर) के काटने, रक्त कोशिकाओं के कैंसर, विटामिन के की कमी और लिवर की बीमारियों से भी उत्पन्न हो सकती है। प्रसव के बाद बहुत अधिक रक्तस्त्राव भी महिलाओं में एक गंभीर समस्या है।
कुछ दवाइयों से रक्तस्त्राव के समय को बढ़ाया जा सकता है। सांप के विष में खून को न जमने देने वाली पदार्थ होती है। ऐस्प्रीन खून के प्लेटलैट कोशिकाओं को एक दूसरे के साथ जुड़े रहने से रोकती है। इससे खून की केश नलियों में से खून के बहने में मदद मिलती है। अगर माहवारी के दौरान ऐस्प्रीन ली जाए तो उससे थोड़ा ज़्यादा खून बहता है। ऐस्प्रीन का ये गुण दिमाग की शिराओं की बीमारियों और दिल की बीमारियों में उपयोगी रहता है।
कभी कभी खून के जमने में देरी के कारण प्रसव के बाद जादा रक्तस्त्राव होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर खून को जमाने वाले अपने सारे पदार्थ खतम कर चुका होता है। इसकारण शरीर खून का बहना रोकने में असमर्थ होता है। यह एक खतरनाक स्थिति है और इसके लिए काफी आपातकालीन देखभाल की ज़रूरत होती है।