digestive-systemपाचन तंत्र से जुडी गंभीर बीमारियाँ पाचन तंत्र
पाचन तंत्र की जाँच
  • पाचन तंत्र की जॉंच में मुँह और गले की जॉंच भी की जानी चाहिए। पर यह जॉंच आमतौर पर पूरी जॉंच के साथ की जाती है।
  • हमें पेट के विभिन्न अंगों के आकार व स्थिति के बारे में मॉडलों और दोस्तों के ऊपर चिन्हित कर के जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। अगर हमें ठीक से यह नहीं पता है कि पेट में कहॉं क्या है तो पेट की बीमारियों का निदान हम नहीं कर सकते ।
  • याद रखें पेट में कवल पाचन तंत्र ही नहीं होता। इसमें मूत्रतंत्र, खून व लसिका की नलियॉं, जनन अंग महिलाओं में और अन्य ऊतक भी उपस्थित होते हैं।
  • देखकर पेट की जॉंच करने से शुरुआत करें। फूलेपन, सूजन, रसौली, फूली हुई शिराओं और अधिक हलचल की जॉंच करें।
  • पेट के अन्दरूनी अंगों की हालत की जॉंच के लिए थपथपाना एक अच्छा तरीका होता है। पर यह तरीका पेट केलिए कम इस्तेमाल होता है और छाती की जॉंच केलिए ज़्यादा। जिन अंगों में हवा भरी रहती है जैसे कि आमाशय या फिर आँतों में से खाली होने की आवाज़ आती है। पेशाब की थैली, लीवर, तिल्ली और द्रव से भरी जगहों में से भरे हुए जैसी आवाज़ आती है।
  • पेट की जॉंच में धड़कन में सबसे ज़्यादा जानकारी मिलती है। इससे आपको अंग के आकार की जानकारी मिल सकती है जैसे कि लीवर या तिल्ली के आकार की। या फिर किन्ही भी जगहों में टैडरनैस (दर्दनाक) की जानकारी मिल सकती है। इससे आपको अंगों और उनकी हलचल में आए बदलाव की जानकारी मिल सकती है। पर इस तरीके से पेट में कीड़ों का पता नहीं लगाया जा सकता।
  • आले से सुनने से हमें खासकर आँतों के बारे में जानकारी मिलती है। आँतों में आए अवरोध, बीच-बीच में आवाज़ न सुनाई देना लकवे की स्थिति में या सामान्य आवाज़ में फर्क करना मुश्किल नहीं होता। अवरोध होने पर ऐसे आवाज़ आती है जैसेकि पानी के किसी बर्तन में द्रव की बूँदे गिर रही हो। गैस के इधर-उधर जाने की आवाज़ ऐसे आती है जैसे कि गरजने की आवाज़। यह सब पेट की बीमारियों से सम्बन्धित आपात स्थितियों के निदान के लिए उपयोगी है। और कई बार ऐसे में तुरन्त ऑपरेशन की ज़रूरत भी होती है।
  • यह एक नियम है कि पेट की जॉंच तब तक पूरी नहीं होती है जब तक कि मलद्वार और मलाशय की जॉंच भी न कर ली जाए। हालॉंकि दस्त और गैस व एसिडिटी होने पर यह जॉंच करना ज़रूरी नहीं होता। यह तब ज़रूरी होता है जबकि आपको इन जगहों पर अवरोध की स्थिति का पता चले या ऐसा शक हो कि इस जगह पर कैंसर है। बवासीर या दरारों की जॉंच के लिए भी इन जगहों की जॉंच ज़रूरी है।

stomach-partsमलद्वार और मलाशय की जॉंच दो अवस्थाओं में की जाती है। पहली अवस्था में मलाशय की नली की जॉंच के लिए एक चिकने किए हुए प्रोटोस्कोप अन्दरुनी जॉंच के लिए उपयोग किया जाने वाला एक यंत्र और लाईट की ज़रूरत होती है। इस तरह से बवासीर, दरारों और पोलिप्स की जॉंच की जाती है। दूसरी अवस्था में सीधे हाथ की तर्जनी से जॉंच की जाती है उँगली पर दस्ताना पहना होना चाहिए और इसे साबुन या पैराफीन से चिकना किया हुआ हो ना चाहिए। इससे आप को मलद्वार के आसपास किसी भी तरह के कोशिकाओं के वृद्धि के बारे में पता चल जाता है। अगर पुरस्थ ग्रन्थि में वृद्धि हो गई हो तो मलद्वार के पास एक सख्त गेंद जैसी महसूस होने से इसका पता चल जाता है।

पेट और मलाशय की जॉंच के लिए एण्डोस्कोपी नाम की जॉंच भी अक्सर की जाती है। इस जॉंच से बहुत सी जानकारी मिलती है। फाइबर ऑप्टिक दूरबीन लचीली होती है और यह मलाशय के मोड़ों के हिसाब से मुड़ जाती है। लैपरोस्कोपी नाम की जॉंच से भी पेट की बीमारियों के निदान में काफी मदद मिलती है। इसके साथ-साथ ऑपरेशन भी किया जा सकता है। इस तकनीक से पेट की बीमारियों का निदान में काफी सुधार हुआ है।

एक्स-रे की जॉंच पथरी या आँतों में अवरोध की स्थिति की जॉंच में ज़रूरी है। अल्ट्रासोनोग्राफी से भी पेट की बीमारियों के निदान में काफी मदद मिलने लगी है। खासकर मुलायम ऊतकों की समस्याओं से।

अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ्य कैसे रखें
  • ज़रूरत से ज़्यादा खाने से बचें और हर बार थोड़ा थोड़ा खाएँ। अगर ज़रूरी हो तो ज़्यादा बार खाएँ क्योंकि इससे शक्ति मिलती है। अपने वजन और कपड़ों के तंग होने आदि के बारे में भी ध्यान दें। सोच समझकर आहार की ऐसी योजना बनाए कि स्वास्थ भी ठीक रहे और मोटापा भी न हो।
  • अगर दिन में एक बार, ठीक से बनी हुई, बिना बदबूदार और एक बार में बाहर आने वाली टट्टी होती है तो यह पाचन तंत्र के ठीक होने का चिन्ह है। कोशिश् करें नियम से पाखाने जाने की आदत बनी रहे।
  • बहुत गर्म और बहुत अधिक ठण्डा खाना न खाएँ।
  • खाने को बिना जल्दी किए चबा-चबा कर खाएँ।
  • जब भूख न लग रही हो तो बिल्कुल न खाएँ।
  • अगर पाखाने जाने की ज़रूरत लगे तो इसे दबाने की कोशिश कभी न करें। ऐसा तभी करें जबकि टट्टी करने की जगह न मिल रही हो।
  • मांसाहारी खाना अक्सर न खाएँ।
  • अगर साफ सफाई के बारे में पक्का पता न हो तो बाहर का न खाएँ।
  • गन्दे बरतनों में खाना न खाएँ।
  • पर में सभी लोगों को हाथ साफ रखने की, टट्टी के बाद साबुन से हाथ धोने और पीने का पानी और खाना ठीक से सम्भालने की सलाह दें।
  • खाने को ढककर रखें। इसे मक्खियों, धूल व कीड़ों से बचाएँ।
  • सब्जियों को ठीक से धोएँ और उन्हें ठीक से उबालें।
  • हर हफ्ते एक दिन व्रत ज़रूर रखें। एक बार खाना न खने से पेट ठीक से साफ हो जाता है। यह खासकर अधेड़ लोगों के लिए ज़रूरी है। छोटी उम्र के लोगों के लिए नहीं। व्रत से पाचनतंत्र की सफाई हो जाती है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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