digestive-systemपाचन तंत्र से जुडी गंभीर बीमारियाँ पाचन तंत्र
मोतीझरा (टाईफॉएड)

टाईफॉएड को एन्टेरिक फिवर भी कहते हैं। यह बैक्टीरिया से होने वाला एक गम्भीर संक्रमण रो्ग है। प्रतिजीवाणु दवाएँ नही थी तब इस बीमारी से बहुत सी मौतें होती थीं। यह बीमारी दूषित पानी पीने ,खानेपर मक्खियों व मल के सम्पर्क से फैलती है। संक्रमण के बाद बैक्टीरिया रोगी की आँतों के लसिका ऊतकों में अपनी संख्या बढ़ाते हैं। इसके बाद वो खून में पहुँच जाते हैं और शरीर में कीटाणु फैला देते हैं। कुछ लोगों में संक्रमण के बावजूद रोग के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते व तकलीफ नहीं होती पर ऐसे लोग भी और लोगों को संक्रमण फैलाते हैं। ऐसे लोगों को टाईफाईड के बीमारी के वाहक कहते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हैजे के वाहक होते हैं।

चिकित्सीय लक्षण

बुखार, रूक-रूक कर या लगातार अक्सर सीढ़ियों की तरह चढ़ने वाला बीमारी का मुख्य चिकित्सीय लक्षण है। टाईफॉयड में रोगी बहुत थक जाता है। पेट में दर्द व पखाने जाने की आदतों में बदलाव या गड़बड़ी भी काफी आम समस्या है। नाड़ी की गति सामान्य से कम हो जाना भी टाईफॉएड का एक लक्षण है। बल्कि इससे यह पक्का सा ही हो जाता है कि व्यक्ति को टाईफॉयड है। परन्तु ये लक्षण हमेशा नहीं होता है। वयस्कों में बुखार सम्बन्धित तालिका में टाईफॉयड के बारे में और जानकारी हासिल करें।

इलाज

टाईफायड के इलाज के लिए सावधानी से रोगी पर ध्यान देने की ज़रूरत होती है। कभी-कभी रोगी कोमा/बेहोशी में भी जा सकता है या आँतों में अचानक एक छेद हो सकता है। टाईफॉएड के गंभीर रोगियों को आमतौर पर लगातार निगरानी के लिए अस्पताल में रखा जाता है लेकिन आमतौर पर लगातार अस्पताल में रखा जाना ज़रूरी नहीं होता।

इलाज में कुछ असरकारी प्रतिसूक्ष्मजीवी दवाई जैसे क्लोराफिनाकोल या सिप्रोफ्लोक्सीसिलीन दी जाती है। रोगमुक्त होने के लिए पूरी तरह आराम करने और बिना मिर्च मसाले का भोजन खाने की भी ज़रूरत होती है। एस्पेरीन टाईफॉयड के लिए खतरनाक है। क्योंकि इससे पहले से ही अल्सर ग्रस्त आँतों में छेदन हो सकता है। आँतों में छेदन टाईफॉएड की एक आम जटिलता है। टाईफॉय+ड से तंत्रिकाशोथ (न्यूराइटिस) या मस्तिष्कावरण शोथ (मेनेनजाईटिस) भी हो जाता है। अगर टाईफॉएड का इलाज न हो तो इससे मौत भी हो सकती है।

बचाव

असरदार टीके से लगभग 6 महीनों में लिए टाईफॉयड से बचाव हो जाता है। जिन लोगों को टाईफॉयड होने का खतरा ज़्यादा होता है जैसे कि यात्रियों को या फिर स्कूल के बच्चों को उन्हें टाईफॉएड का टीका दिया जाता है। इससे सभी तरह के टाईफॉएड से बचाव हो जाता है। टी ए बी के टीके की जगह अब दो और वैक्सीन उपलब्ध है। एक मुँह से लिया जाने वाला और दूसरा इन्जैक्शन।

  • मुँह से लिए जाने वाले टाईफॉयड के वैक्सीन की तीन खुराकें होती हैं। इन्हें खाने के पहले गुनगुने पानी के साथ लिया जाना होता है। एक एक दिन छोड़कर ली जाने वाली इन तीन खुराकों से तीन साल के लिए प्रतिरक्षा मिल जाती है।
  • नई इन्जैक्शन के माध्यम से दी जाने वाली वैक्सीन की केवल 0.3 मिलीलीटर की एक खुराक होती है। इससे भी तीन साल के लिए बचाव हो जाता है।
  • टाईफॉएड का फैलाव सुरक्षित पानी व खाने से रोका जा सकता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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