इसे चिकित्सा की भाषा में हृदयपेशीराधगलन कहते हैं। असल में इसका अर्थ है किसी धमनी के रुक जाने के कारण दिल के किसी हिस्से की पेशियों का मृत्यु हो जाना। दिल के ऊतकों को खून पहुँचाने वाली धमनियों को परिमंडली कहते हैं। खून का बहाव नीचे दिए गए कारणों में से किसी से भी प्रभावित हो सकता है:
दिल के ऊतकों को हर मिनट खून की ज़रूरत होती है। इसलिए थोड़ी सी भी देर खून न पहुँचने से इस क्षेत्र की कोशिकाओं को नुकसान पहुँच सकता है। यह बहुत ही जल्दी होता है इसलिए इसे दिल का दौरा कहते हैं। क्योंकि यह बहुत ही अचानक होता है अत: इससे व्यक्ति सोते हुए या नहाते समय अचानक मर सकता है। आमतौर पर यह बहुत ही दर्दनाक होता है। इस तरह की बीमारी को तकनीकी रूप से अरक्तता जन्य दिल की बीमारी कहते है। दिल के दौरे को हृदयपेशीराधगलन कहते हैं। अरक्तता जन्य दिल की बीमारी की लंबी अवस्था है और हृदयपेशीराधगलन दुर्घटना है।
आदमियों में इसके होने की संभावना औरतों के मुकाबले ज़्यादा होती है। औरतों के होरमोन रजोनिवृत्ती तक शायद कोरोनरी बीमारियों से बचाते हैं। उम्र के साथ धमनियॉं कड़ी हो जाती हैं। दिल का दौरा पड़ने की सामान्य उम्र 40 साल या उसके बाद होती है। परन्तु छोटी उम्र के लोगों को भी दिल का दौरा पड़ सकता है।
हृदयशूलदिल को खून पर्याप्त मात्रा में खून न मिल पाने से दिल में दर्द होता है। इसमें रोधगलन की प्रक्रिया शामिल नहीं होती है। इसलिए हृदशूल का दर्द दिल की पेशियों के ऑक्सीजन के लिए परेशान होने के कारण होता है। अगर खून की कमी पूरी हो जाती है तो हृदशूल ठीक हो जाएगा। पर अगर ऐसा नहीं होता है तो इससे रोधगलन हो जाएगा।
स्वास्थ्य कार्यकर्ता के लिए इसका निदान मुख्यत: चिकित्सीय होता है। खास तरह के दर्द से एकदम दिल का दौरा पड़ने का शक हो सकता है। ऐसे में रोगी को तुरंत अस्पताल भेजा जाना ज़रूरी है। अस्पताल में, खास तरह का दर्द, इसीजी में बदलाव और खून में एक खास एंज़ाइम की मात्रा में वद्धि तीनों मिला कर रोधगलन का निदान होता है।
दिल का दौरा अस्पतालों के आपातकाल विभागों में भी संभालने के लिए एक गंभीर आपातस्थिति होती है। तीन में से एक केस में रोगी की मृत्यु हो जाती है। परन्तु अच्छे प्रार्थमिक उपचार से दिल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और कभी कभी जान भी बचाई जा सकती है।
अगर सांस लेना या दिल का काम करने में कमज़ोरी हो या इसमें रुकावट हो तो तुरंत मदद लें। कई बार ऐसा होता है कि दिल और सांस दोनों ही रुक जाते हैं। दिल की मालिश और कृत्रिम सांस देने (हृदयफुप्फुस पुनरुज्जीवन) की तकनीक सीखने के लिए दुर्घटनाओं वाला अध्याय देखें। नीचे दिए गई चीज़ें महत्वपूर्ण हैं:
दिल के दौरे का दर्द 3 से 4 दिन चलता है और हर दिन कम होता जाता है। एक दो हफ्तों में मरी हफई कोशिकाओं की जगह संयोजी कोशिकाएं ले लेती हैं (ठीक वैसे ही जैसे त्वचा के घावों को नई कोशिकाएं भर देती हैं)। डाक्टरों को इस तरह नुकसान की भरपाई के निशान ई सी जी में खास तरह के बदलावों से पता चलते हैं।
हम उपयुक्त आहार और रहन सहन से दिल का दौरा पड़ने से रोक सकते हैं। शारीरिक श्रम, कसरत, कम चर्बी वाला खाना, ज़्यादा खाने और धुम्रपान से बचना और भावनात्मक मजबूती वो महत्वपूर्ण कारक हैं जिनसे दिल के दौरे से बचा जा सकता है। उच्च रक्तचाप भी दिल के दौरे का एक कारण होता है। रक्तचाप को सामान्य बनाए रखने के लिए नियमित जांच और उपयुक्त इलाज से दिल के दौरे के खतरे से बचा जा सकता है।
दिल का दौरे से जान बच जाने के बाद रोगियों की शारीरिक गतिविधियों में कमी आ जाती है। यह बीमारी धीरे धीरे बढ़ती जाती है। परन्तु खून की कोई नलियॉं बंद हो जाने पर शरीर में अपने आप भी खून बहने के दूसरे रास्ते बन जाते हैं। रुकी हुई परिमंडली को खोलने के लिए ऑपरेशन की ज़रूरत भी होती है। इसमें हद से ज़्यादा पैसा लगता है। और ज़ाहिर है इस तरह के इलाज के बारे में सिर्फ विशेषज्ञ ही फैसला कर सकते हैं।
दिल की बीमारी को वापस ठीक करना संभव है। ऐसा भी देखा गया है कि बहुत से रोगी रहने सहने की आदतों में सही बदलावों से भी ठीक हो जाते हैं। सही और नियमित कसरत, कम चर्बी वाला खाना और सही मानसिक सोच महत्वपूर्ण हैं। रुकी हुई धमनियॉं धीरे धीरे खुल जाती हैं। या फिर इनके लिए अपने आप नए रास्ते बन जाते हैं।