जीवन चक्र (जन्म, बाल्यावस्था, यौवन व़ध्दावस्था और म़त्यु) के दौरान बिमारी एक घटना क्रम है। इस क्षण आप स्वयं कैसा महसूस कर रहे हैं? आपका जवाब होगा- पता नही या स्वस्थ्य, या तबियत ठीक नही लग रही या बीमार? इस समय आपके यह कहना मुश्किल होगा की आप स्वस्थ्य है या बिमार? बीमारी शरीर में कब किस अंग और किस रूप में होगी इसका रोगी को पता नही चलता। प्रथम लक्षण के बाद उसे रोग का अहसास होता है और फिर वह चिकित्सक के पास परामर्श करता है। रोग के निदान और इलाज के लिये उसे अस्पताल में भरती भी करना पडता है। रोग इलाज के बाद या स्वाभाविक रूप से ठीक हो जाता है या फिर रोग पर नियंत्रण या विकलांग या मौत परिणाम हो सकते है। हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है कि हम बिमार महसुस करते है पर इलाज करना नही चाहते। या कई बिमारीयो का इलाज न होने के कारण हम उसी अवस्था और बिमारीके साथ जीना सिख लेते है। बीमारी(यों) के अनेक रुप है।
सवाल है – कोई व्यक्ति बीमार क्यों पड़ता है? बीमारियों के कारण क्या होते हैं? और इलाज का तरीका क्या है? इनमें से कुछ के बारे में हमें पता है। एैलोपैथी, युनानी, आयुर्वेद और होम्योपैथी में बीमारी के कारणों और इलाज के बारे में एकदम अलग सिद्धान्त बताए गए हैं। इस अध्याय में हम बीमारी के कारणों का केवल आधुनिक चिकित्सा (ऐलोपैथी) के बारे में बात करेंगे। जहॉ बीमारियॉं हैं वहॅा अलग अलग तरीके से सभी चिकित्सा पद्धति में उसके इलाज का तरीका भी है। प्राकृतिक रूप से निरोगी कैसे रह सकते है? आइए रोग और रोग निवारण अघ्याय में पढ़ें।
हम बीमारी के कारणों को तीन स्तरों पर समझ सकते हैं – जैविक स्तर से लेकर , रहन-सहन के तरीके और सामाजिक स्तर तक।
सुक्ष्म जीवि जिन्हे हम सुक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) की सहायता से देखते है इन्हे मुख्यत: बैक्टीरिया, वायरस, फंफूद, पैरासाईट (कृमि) और प्रोटोजुआ आदि में वर्गीकरण किया गया है। धरती पर मौजुद सभी सुक्ष्मदर्शी रोग पैदा नही करते। पर जो मानव शरीर में रोग पैदा करते है उन्हे संक्रमण रोग फैलाने वाले जीवाणुओं में वर्गीकरण किया गया है। मानव शरीर में रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाईट (कृमि) और प्रोटोजुआ आदि सुक्ष्मजीवीयों की सूचि काफी बढी है। कुछ उदाहरण के लिये हम नीचे बनी तालिका देखे-
क्र. | वर्गीकरण् | सुक्ष्म जीवि का नाम | बिमारी का नाम |
१ | बैक्टीरिया | ई कोलाई | दस्त और मुत्रतंत्र रोग |
सालमोनेला टाईफी | टाईफाईड | ||
२ | वायरस | एच इनफलुसयंजा | निमोनिया |
हुयमन इम्योनो वासरस | एडस | ||
३ | फंफूद | कैनडीडा एलबिकेन | मुँह,यौनी,और चमडी पर रोग महिलाओ में श्वेतप्रदर रोग |
४ | प्रोटोजुआ | एमिबा | दस्त और लीवर में मवाद और सूजन |
५ | पैरासाईट | प्लासमोडिसम वाइवेक्स | मलेरिया |
अगर फिर से यौन रोग सुजाक की बात करे तो सुजाक रोग मानव समाज में इतनी अधिक फैला हुआ क्यों है? इसलिए क्योंकि सुजाक रोग एक से ज़्यादा व्यक्तियों के साथ यौन सम्पर्क बनाने से फैलता है। यौन संम्पर्क से बैक्टीरिया को एक से दुसरे मनुष्य के सीधे संपर्क से फैलने और जिन्दा रह पाने का मौका मिलता है और धीरे धीरे अन्य मनुष्यो तक सुजाक फैलने का कारण होता है। एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में आपको न केवल दवा देकर सुजाक का इलाज करना होगा। परन्तु इससे व्यक्ति की आदतो में बदलाव के लिये भी प्रयास करना पड़ेगा।
सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक वास्तविकता- गरीबी- पालनपोषण जैसे जीवनशैली शामिल है। समाज में लोगो द्वरा एक से अधिक महिला या पुरूष के साथ यौन संबंध रखने की प्रवति या पंरंपरा प्रचलन में है। आज महानगरो में परंपारिक शादी के बिना एक घर में रहने का चलन आ गया है। इस तरह बर्ताव के लिये सामजिक, राजनैतिक और आर्थिक कारण होते हैं। समाज और अर्थव्यवस्था के इन कारकों से कुछ लोगों की ज़िन्दगियॉं अमीर होने के कारण काफी आज़ाद किस्म की हो जाती हैं और ये यौन जनित रोग फैलाते हैं। दुसरी तरफ गरीबी इनके प्रमुख कारण हैं बेहद गरीब परिवारों की लड़कियों का शरीर बेचने का काम करने पर मज़बूर हो जाना, यातायात का बढ़ जाना, यौन पर्यटन उद्योग (वैश्यालय), जीविका कमाने की मज़बूरी के कारण पुरुषों का लम्बे-लम्बे समय तक घर से बाहर रहना और बदलते हुए सामाजिक मूल्य और यौन तृप्ति के लिये अन्जान व्यक्ति के साथ असंरक्षित संभोग ही, सुजाक और अन्य यौन जनित रोग फैलने के कारण हैं।
डाक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में हम आमतौर पर बीमारी के कारण के केवल जैविक स्तर पर निपटते हैं। कभी-कभी व्यक्ति के बर्ताव के स्तर पर बीमारी के बारे में थोड़ा प्रयास करतें हैं। तीसरे स्तर पर, जो कि हमारे समाज की वृहद वास्तविकता है,उसे सामाजिक और राजनैतिक प्रयासों की ज़रूरत होती है। आईए हर मामले में बीमारी के कारणों के स्तरों से सम्बन्धित इस समझ को अपनाकर रणनीति तय करें, कि किस मामले में किस तरह का दखल सबसे उपयोगी है। संक्रमण रोग, व्यवसाय से जुड़ी बीमारियों, दिल की बीमारियों, कुपोषण, सड़क दुर्घटना, कैंसर, माता मृत्यु और शिशु मृत्यु, सॉंप के काटने और ऐसी ढेर सारी बीमारियों में इस तरह के विश्लेषण की ज़रूरत होती है। हॉलाकि कुछ बिमारीयों जैसे जुकाम सर्दी, फुलवैरी (चमड़ी के सफेद दाग, विटिलिगो) आदि के मुख्य जैविक कारण से होते है।
हमें कुछ बीमारियों के एकदम सही जैविक कारण क्या है नहीं पता है ? बहुत सारी बीमारियों के कारणों के बारे में सिद्धान्त और व्याख्या बहुत सारे हैं? इस अध्याय में, प्रभावित अंगों या तंत्रों पर प्रभाव और उनके सबसे महत्वपूर्ण कारको के आधार पर हमने आम बीमारियों का वर्गीकरण किया है। इससे हमें बहुत सारी बीमारियों के बारे में ठीक से समझने में मदद मिलेगी।