‘आशा’ का चयन मुख्यत: ग्राम वासियों के हाथ में ही रखा गया है। इनकी चयन प्रक्रिया के अंतर्गत खंड नोडल अधिकारी प्रत्येक खंड में आश-क्षेत्रों को चिन्हित करता है तथा सुनिश्चित करता है कि खंड पूर्णतया आच्छादित हो जए। तत्पश्चात वह प्रत्येक खंड में १० अथवा अधिक आशाओं पर एक सुगमकर्ता चिन्हित करता है। सुगमकर्ता पद के लिए महिलाओं को वरीयता दी जाती है, जो स्थानीय एन.जी.ओ. महिला मंडल/महिला समाख्या, आँगनबाडी, स्वास्थ्य कार्यकर्ती अथवा अन्य सामाजिक सोसाइटी की सदस्य हो सकती है। यदि इस प्रकार के कोई भी समूह सक्रिय नही है तो स्थानीय स्कूल अध्यापिका को इस पद हेतु विचारित किया जाता है।
जनसंख्या | आशा की संख्या |
१४९९ तक | १ |
१५०० से २४९९ तक | २ |
२५०० से ३४९९ तक | ३ |
३५०० से ४४९९ तक | ४ |
४५०० से ५४९९ तक | ५ |
५५०० से ६४९९ तक | ६ इत्यादि। |
ये सुगमकर्ता, समुदाय में जाकर, चर्चा-परिचर्चा करते है तथा समुदाय को ‘आशा’ की भूमिका/उत्तरदायित्व/समुदाय में स्वीकार्यता आदि के संबंध में विस्तार से बताते है। इस प्रकार प्रत्येक गॉंव से ३ उपयुक्त नामों की सूची प्राप्त की जाती है। चयनित ३ नामों मे से १ नाम पर ग्राम सभा की बैठक में निर्णय लिया जाता है। शेष २ नामों का पैनल ग्राम स्वास्थ्य समिती के पास रहता है ताकि यदि किसी कारणवश चयनित आशा कार्य नहीं करती है तो अगले प्रत्याशी को कार्य का अवसर दिया जा सके। ग्रामसभा की बैठक, जिसमें एक नाम सर्वसम्मति से अनुमोदित किया जाता है, के कार्यवृत्त को ग्राम पंचायत द्वारा जिला नोडल अधिकारी को प्रेषित किया जाता है। इसके पश्चात ग्राम स्वास्थ्य समिती अशा के साथ अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर करती है, जैसा की ग्राम शिक्षा समिती तथा सर्व शिक्षश अभियान के अन्तर्गत ‘सहयोगिनी’ योजन में किया जाता है। किसी गॉंव की जनसंख्या के आधार पर अशा का चयन इस प्रकार किया जाता है।
यदि किसी गॉंव में २-३ मजरे ऐसे है, जिनकी आबादी ५००-७०० है, तथा वे पहुँच की दृष्टिी से दुष्कर तथा स्वास्थ्य सेवाओं से अनाच्छादित है तो इन मजरों में भी कार्यक्रम की दृष्टि से एक अलग आशा की तैनाती की जा सकती है। इस प्रकार आशा का चयन पूर्णतया ग्रामसभा व ग्रामवासियों के हाथ में है। उनके द्वारा जितनी उपयुक्त आशाओं का चयन किया जाएगा, उतनी ही अच्छी सुविधाएँ उन्हे प्राप्त हो सकेंगी।