hiv aids एचआईवी, एड्स और हैपेटाईटिस बी मूत्र तंत्र की बीमारियाँ
विश्व और भारत में एड्स की स्थिती
एचआईवी टेस्ट
primary healthcentre
हर एक जिला अस्पताल में एडस्
के लिए इलाज और सलाह उपलब्ध है

भारत में अब एड्स का फैलाव रुक सा गया है| एक अंदाजा यह है की करीबन ०.९ प्रतिशत लोगों को एचआयव्ही वायरल संक्रमण है, जिसमें ३०-४० प्रतिशत एड्स के बीमारी से ग्रस्त है| सरकारी अस्पतालों में जॉंच और इलाज मुफ्त उपलब्ध है| फिर भी कई लोग प्रायवेट डॉक्टरों से इलाज लेते है| भारत में महाराष्ट्र लेकर दक्षिणाई राज्यों में यौन संबंधित बीमारी का फैलाव हुआ है| उत्तर पूर्वी राज्यों में नशीली दवाओं के इंजेक्शन के साथ फैलती समस्या है| लेकिन अभी भी हमे काफी कुछ प्रयास करना जरुरी है जिससे ये संकट लगभग समाप्त हो सकता है|

दुनिया के कई देशों में एड्स काबू में आ गया है| थायलंड इसका जीता जागता उदाहरण है| असुरक्षित यौन संबंध में कमी, कंडोम का इस्तेमाल और बीमार को ईलाज इस तीन सूत्रीय कार्यक्रम के जरिये थायलंड ने एड्स को रोका है| अन्य कई देशों ने भी अपने अपने प्रयास किये है| भारत यह कर सकता है क्यों की भारत में कई देशों के तुलना में परिवार अब भी मजबूत है| विवाहेतर यौन संबंधों को अभी तक इतनी प्रतिष्ठा नही, और सामाजिक मान्यता नही है| लेकिन महिलाओं की सामाजिक स्थिती खराब है, उनको निर्णय लेना या असल में लेना मुश्किल होता है| इसलिये असुरक्षित यौन संबंधों को नकारना उनके लिये उतना आसान नही|

भारत में एड्स रोकने के लिये कई प्रयास जारी है| इसमें मुख्यतया लक्ष्य समूह निर्धारित किये गये है| यौन कर्मी, ड्रायव्हर, नशीला इंजेक्शनवाले, समलिंगी यौन संबंध रखनेवाले पुरुष, एचआयव्ही बाधित गर्भवती माताएँ, आदि लक्ष्य समूह के लिये अलग अलग कार्यक्रम जारी है|

हैपेटाईटिस बी

हमें वायरस से होने वाली एक प्रकार की हैपेटाईटिस (यकृत शोथ) के बारे में पता है जो दूषित पानी, हाथों और खाने के रास्ते फैलती है। वायरस से होने वाली एक और तरह की हैपेटाईटिस भी होती है जो एड्स वाले तरीकों से फैलती है। इसे हैपेटाईटिस बी का नाम दिया जाता है। यह संक्रमण अक्सर खून जाँच में पता चलता है, लेकिन बीमारी के लक्षण हर किसी में नहीं होते।

ऐसे १-२ प्रतिशत लोगों में बीमारी संक्रमण होने के कुछ बरसों बाद दिखाई देने लगती है। लक्षण हैपेटाईटिस ए जैसे ही होते हैं। शुरुआती अवस्था में हैपेटाईटिस बी हल्की ही होती है। पर इसमें बाद में लिवर के सिरोसिस (लिवर की तन्तुमयता) की सम्भावना ज्यादा होती है। कैंसर की भी सम्भावना बनी रहती है। लिवर सिरोसिस एक न ठीक हो सकने वाली बीमारी है इससे १०-२० वर्ष के बाद मौत हो जाती है। इसमें जलोदर और पीलिया हो जाता है। यह संक्रमण के कई सालों बाद दिखाई देनी शुरू होती है।

भारत में अब हैपेटाईटिस बी का टीका मिलने लगा है। परन्तु इसका इस्तेमाल सोच समझकर उन लोगों के लिए करना चाहिए जिन्हें इसका खतरा ज्यादा है – जैसे चिकित्साकर्मी, असुरक्षित यौन आचरण करने वाले और इंजैक्शन द्वारा नशीली दवाएँ लेने वाले। परन्तु अब हैपेटाईटिस बी के टीके को बच्चों को दिए जा रहे टीकों में शामिल है। यह जरुरी नहीं है। बच्चों को यह बीमारी होना बहुत ही कम सम्भव है, लाखों में एक।

यौन रोगों के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य शिक्षा
teach sex life

सुरक्षित यौन जीवन सिखाने की जरुरत है

female condom

आजकल महिला निरोध भी मिलता है

male condom

यौन संक्रमण के रोकथाम के लिए निरोध

यौन रोग और खासकर एड्स और हैपेटाईटिस बी विश्व भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़े खतरे बने रहे हैं। इन बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिए सिर्फ पारम्परिक मान्यताओं पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और पर्यटन से इन बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है।

इन बीमारियों से बचाव के साधनों में स्वास्थ्य शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। सुरक्षित यौन सम्बन्ध और खून दिए जाने के बारे में जानकारी इन बीमारियों से लड़ने के लिए निहायत ज़रूरी है। निरोध अचानक बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। क्योंकि गर्भनिरोधक की तरह काम करने के अलावा उनके बहुत से उपयोग अब सामने आ गए हैं। खून लेते समय जाँच करना भी बचाव का एक साधन है।

हायस्कूल और कॉलेजेस के सभी बच्चों को किशोरावस्था में यौन स्वास्थ्य के बारे में बताएँ। यह और भी ज़रूरी है क्योंकि संचार साधनों के कार्यक्रमों को देखने से शादी से पहले यौन सम्बन्ध कायम करना काफी बढ़ता जा रहा है। ऑपरेशन के सभी उपकरणों को कीटाणुरहित करना चाहिए। हमें लोगों को यह भी बताना चाहिए कि अगर ज़रूरी न हो और इंजैक्शन की सूई के कीटाणुरहित होने के बारे में पक्का न पता हो, तो इंजैक्शन न लें। उबली हुई (या बिना उबाले इस्तेमाल की जा रही!) पिचकारियों और सूइयों की जगह एक बार इस्तेमाल करके फेंक दी जाने वाली सूइयों का इस्तेमाल ही सही है।

जो स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिलाओं की बीमारियों की जाँच करते हैं, उन्हें भी इन रोगों से ग्रसित हो जाने का खतरा ज्यादा होता है। योनि स्राव में वायरस हो सकते हैं। हमेशा दस्ताने (अगर सम्भव हो तो एक बार इस्तेमाल करके फेंक दिए जाने वाले) पहनें। कुछ डाक्टर अतिरिक्त सुरक्षा के लिए एक के ऊपर एक-दो दस्ताने पहनते हैं।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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