मूत्रमार्ग का संक्रमण

गुर्दे की कीप, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग सब मिलकर मूत्रतंत्र बनाते है। मूत्रतंत्र का संक्रमण एक आम स्वास्थ्य समस्या है।

कारण
  • यौन रोगों- खासकर क्लैमाइडिया या सुजाक – इसके आम कारण हैं।
  • पहली बार सम्भोग के बाद यह अक्सर हो जाता है इसे मधुमास मूत्राशय शोथ कहते हैं।
  • गर्भ काल में भी यह अक्सर हो जाता है।
  • साफ सफाई की कमी से, खासकर महावारी के समय में कभी कभी हो जाता है।
  • मूत्रमार्ग में मूत्रनली डालने पर।
  • सूत्रक़ृमि से – वयस्क मादा कृमि अण्डे देने के लिए महिलाओं के मूत्रमार्ग में घुस सकते हैं।
  • गुर्दे, मूत्रवाहिनियों व मूत्राशय के तंत्र में पथरी होने पर।
  • कभी-कभी इसका कोई समझ में आने वाला कारण नहीं होता है।
  • कभी-कभी खून में संक्रमण होने पर भी पेशाब के रास्ते का संक्रमण हो सकता है।

लक्षण
  • बार-बार पेशाब जाने की इच्छा, पेशाब में जलन और बुखार इसे सबसे आम लक्षण हैं।
  • कभी-कभी पेटदर्द होता है और उल्टियॉं भी आती हैं।
  • जब संक्रमण से गुर्दे प्रभावित होते हैं तो गुर्दे के क्षेत्र में दबाने से दर्द होता है।
  • पेशाब गन्दला सा दिखाई देता है सूक्ष्मदर्शी से जॉंच करना उपयोगी होता है।
  • मूत्रमार्ग के शोथ में मूत्रमार्ग में संकुचन सा बन सकता है इससे पेशाब करने में परेशानी होती है पूरे एक सप्ताह तक इलाज करने से इस परेशानी से बचा जा सकता है।

इलाज
  • जीवाणु रोधक दवाएँ जैसे कोट्रीमोक्साज़ोल या ऐमोक्सीस्लीन या डोक्सीसाइक्लीन।
  • मूत्रतंत्र के लिए दर्द निवारक दवा फिनाज़ोपायरिडीन।
  • खूब सारा पानी पीना ताकि पेशाब तनु हो जाए और संक्रमण धुलकर बाहर निकल जाए।
  • बुखार के लिए ऐस्परीन या पैरासिटेमाल दें।
  • यौन सक्रमण होने पर उपयुक्त जीवाणु नाशक दवा और विशेषज्ञ की राय ज़रूरी है।
  • अगर किसी व्यक्ति को बार-बार मूत्रमार्ग की संक्रमण हो रही हो तो उसे डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है।

आयुर्वेद

ज्यादा पानी पिये। चंद्र प्रभावटी दिन में २-३ बार लेने से मूत्रमार्ग की जलन कम होती है। खाने में मूँगदाल का प्रयोग करे।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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