प्रक़ति में प्रजनन जीव तत्व के लिये अपने अंश (संतानोत्पति) को बनाये रखने का तरीका है। संतानोत्पति के लिये पुरूष और महिला को परस्पर संभोग क्रिया यानी यौन सम्बन्ध बनाना होता है ।उसके लिये एक दुसरे के प्रतिआर्कषण व कामोत्तोजेना व संभोग क्रिया के बाद अंडे व शुक्राणु का मिलन के बाद गर्भधारण की प्रक्रिया होती है। पर मनुष्य के लिये संभोग के दो मनोरथ होते थे पहला मनोरथ है बच्चे पैदा करना और दूसरा मनोरथ है इस क्रिया द्वारा एक गहरे शारीरिक और मानसिक आनंद की अनुभूति हासिल करना भी है। पहला सामाजिक मसला है और दुसरा निजीहै।
पशुओं में यौनाचार ज्यादातर मौसम से जुड़ा होता है और यह केवल तभी होता है जब मादा कामोत्तेजित होती है। अपने नैसर्गिक(स्वाभाविक) वातावरण में पशुओं में से केवल सबसे अधिक सशक्त ही जीवित रह पाते हैं पर घरेलू पशुओं में ऐसा नहीं है। इस नियम के कारण कमज़ोर और हारे नर प्रजनन चक्र से बाहर हो जाते हैं। इस मामले में मनुष्य अलग है। वे हर मौसम में और किसी भी समय यौन क्रिया करते हैं। शादी का का बंधन एक से अधिक व्यक्ति से शारिरिक संबंन्ध बनाने से रोकती है और शादी ने यौनक्रिया को दो लोगो तक सीमित कर दिया है। यह कई मायनों में अच्छा है पर शादी ने अनुर्वता/अपसहमिता और यौन असन्तुष्टी जैसी परेशानियों को भी जन्म दिया है।
इसलिए कुछ महिलाएँ और पुरुष यौन समस्याओं के लिए उन ही लोगों से मदद माँगते हैं जिनसे वो खुलकर इस बारे में बात कर सकते हैं। इन समस्याओं को सुलझाना अक्सर बहुत आसान होता है। परन्तु अक्सर नही बात करने पर बहुत तकलीफ झेलनी पड़ती है सिर्फ सही जानकारी से ही फायदा हो सकता है। और कुछ मामलों में विशेषज्ञ की मदद की ज़रूरत होती है।
ये सारी समस्याएँ तब आती हैं जब वैवाहीक और गैरवैवाहिक दम्पति को निम्नलिखित पर्याप्त जानकारी नही होती या मानसिक व़ति होती है:
विषमलिंगी कामुकता और समलिंगी कामुकता (समलैंगिगता)
पति और पत्नी के बीच यौन संबंध समाजिक रूप से स्वीकार्य है| पर कुछ लोग शादी से पहले और बाद भी यौन संबंध बनाते हैं | महिला और पुरुष के बीच यौन संबंधों को विषमलिंगी भिन्न लिंगी कामुकता कहते हैं|दो पुरुषों के बीच भी यौन संबंध यौनक्रिया हो जैसे कि कामोत्तेजना के लिये एक दुंसरे को चूमना, आलिंगन या गुदमार्ग से संभोग करना ऐसे प्ंरूषो को समलैंगिक कहते है इन्हे अंग्रेजी भाषा में‘गे’ कहते हैं|
इसी तरह दो महिलाओं के बीच भी यौनक्रिया हो जैसे कि कामोत्तेजना के लिये एक दुसरे को: चूमना, आलिंगन और एक-दूसरे का हस्तमैथुन करना। इन महिलाओंको को अंग्रेजी भाषा में लैस्बिअन कहते हैं। महिला या पुरुष समलैंगिकता विषमलिंगी कामुकता के मुकाबले कहीं कम पाई जाती है। परन्तु समलैंगिकता पाई ज़रूर जाती है और उसे कुछ समाज देशो में मान्यता भी प्राप्त है।
यौन व्यवहार का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है दोनों साथियों के बीच आपसी रज़ामन्दी होना। किसी व्यक्ति के साथ बिना उसकी मर्ज़ी के यौन सम्बन्ध बनाना बलात्कार होता है जो एक अपराध है। इसी तरह 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन सम्बन्ध बनाना भी दण्डनीय अपराध है। यहाँ तक की पत्नी के साथ भी अगर वो अभी वयस्क न हुई हो।
शादीशुदा जोड़ों के रूप में महिलाएँ और पुरुष सहवास (सम्भोग) करते हैं। परन्तु वो एक हफ्ते में कितनी बार सम्भोग करते हैं, किस तरह की आसन-मुद्रा इस्तेमाल करते हैं और यौन क्रिया में कितना समय लगाते हैं, इनमें काफी अन्तर होता है। मुखीय यौन क्रिया हालाँकि काफी आम है, परन्तु विषमलिंगी यौनिक क्रिया के मुख्य हिस्से हैं:
पुरुषों में सम्भोग का मुख्य अंग शिश्न है। और इसकी लिंग के सिरे की सतह सबसे अधिक संवेदनशील होती है। लिंग का सिरा ही उत्तेजित होने, सम्पर्क, मज़े और स्खलन में मुख्य भूमिका करते हैं। महिलाओं में भगशिश्निका उत्तेजना के लिए सबसे संवेदनशील हिस्सा है। सम्भोग के समय या हस्त मैथुन के समय भगशिश्निका पर रगड़ लगती है और इसी से महिलाओं में कामोन्माद की स्थिति आती है।
यौन क्रिया में अन्य अंग भी संवेदनशील होते हैं जैसे स्तन, जघन क्षेत्र, होंठ, चूतड़, महिलाओं व पुरुषों दोनों में ही जाँघों का अन्दरूनी भाग और पुरुषों में वृषण कोष भी यौन रूप से संवेदनशील होते हैं।
शादीशुदा जोड़े हफ्ते में एक बार से लेकर दिन में दो बार तक सम्भोग करते हैं। यह निर्भर होता है उनकी उम्र, शादी को कितना समय हुआ है, अकेले कितना समय मिल रहा है, काम के घण्टे क्या हैं और
सही जानकारी से इनमें से बहुत-सी समस्याओं का समाधान हो सकता है। इन समस्याओं के बारे में सभी स्थानीय भाषाओं में आसान-सी किताबें उपलब्ध होनी चाहिए। हमने जनन तंत्रों, गर्भधारण, गर्भनिरोध, यौन रोगों आदि के बारे में पहले ही जानकारी हासिल कर ली है। अब हमें बुनियादी यौनिक शरीर क्रिया विज्ञान और ऊपर दी गई समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल करनी है।