हम सभी ने दिल के दौरे के बारे में सुना है। इस बिमारी का समाज में प्रचलन बढ रहा है। कम उम्र के लोगो में भी इस बिमारी का प्रमाण बढ रहा है। दिल का दौरा अचानक होता है। कुछ लोगों को हद्धयाघात नींद में आने के कारण ही मौत हो जाती है। कुछ लोग की पहले दौरे में ही मृत्यु हो जातेी है। कुछ लोगों को अस्पताल में मौत आती है। इससे बचे लोगों को महंगे इलाज पर आगे की जिन्दगी जीने की कोशिश करते है। लेकिन हृदय की बिमारी को हम टाल सकते है, और पर्याप्त पूर्वसूचना भी पा सकते है। इस बिमारी को दूर रखने के लिये हर संभव प्रयास करने चाहिये। इस जानकारी को समझकर दुसरों की भी सहायता करे।
हृदय की धमनियॉं खराब होना ये इसका प्राथमिक कारण है। उच्च रक्तचाप, मानसिक आघात या धमनीयों में खून की थक्का होना ये सब अतिरिक्त कारण होते है। मूल रूप से धमनियों का खराब होना चरबी के परत के कारण होता है। पानी के नल के जैसे जंग पकडते है वैसा ही कुछ धमनियों को होता है। धमनियॉं खराब होने से स्वयं हदय को खून का प्रावह कम पडता है। विश्रांम अवस्था में हृदय खून की कमी को शायद सह लेता है। लेकिन श्रम, शीतकाल में या मानसिक आघात के समय खून की जरूरत विशेष रूप से महसूस होती है। खून के न पहुँचने से इससे जुडा हुआ मांसपेशी प्रभाग कुछ मिनिटों में ही मृत होता है। कौनसी धमनी खराब है, खून की कितनी कमी है और कितनी मांसपेशीयॉं आहत है इसपर सारा नुकसान निर्भर होता है। धमनियों की बिमारी और उच्चरक्तचाप की बिमारियॉं एक लम्बी अवधी की बीमारी है। मात्रा से अधिक आहार, तेल, घी, चरबी का सेवन, मधुमेह याने डायबिटीज, आरामदेह जीवनी, धूम्रपान, तनाव, मोटापन और कुछ हदतक अनुवंशिकता यह सब इस बिमारी के कारण है। आधुनिक जीवनशैली में इस बिमारी का प्रचलन बीस-तीस की उम्र में ही शुरू होता है।
बैठ कर काम करना और साथ में कसरत न करने से ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं होता। इससे खून में चर्बी का स्तर बढ़ जाता है। इससे पूरे शरीर की धमनियोंमें की अंदरूनी पर्तें में पर वसा का प्लाक (पर्ते) बन जाते है। खून की नलियॉं संकरी हो जाने के कारण उनमें खून के प्रवाह में अवरोध आता है। वसा के जमने से धमनियॉं कड़ी भी हो जाती हैं।
खाने की कुछ चीज़ों में ज़्यादा खतरनाक चर्बी होती है। प्राणिज वसा (जिसमें घी भी शामिल है) दिल के लिए काफी बुरी होती है। मांस, मुर्गी का गोश्त, अंडे या दूध की चीज़ें ज़्यादा खाना इसलिए खतरनाक होता है। इस लिहाज से मछली तुलनात्मक रूप से सुरक्षित होती है। शाकाहारी लोगों को भी खतरा होता है। वनस्पति घी और खाने के तेलों में भी कुछ मात्रा में खतरनाक चर्बी होती है। इसलिए ज़्यादा तेल खाना ठीक नहीं होता। सूरजमुखी का तेल सबसे ज़्यादा सुरक्षित होता है (वसा के बारे में साथ में दी गई तालिका देखें)
धुम्रपान धमनियों के लिए बुरा होता है और इससे दिल का दौरा पड़ सकता है। इससे रक्त चाप भी बढ़ जाता है।
यह अक्सर दिल के दौरे का मूल कारण होता है। इसे चुपचाप खत्म करने वाली बीमारी कहते हैं। इसलिए हमें चालीस साल सेउपर हर व्यक्ति के रक्तचाप की जांच करनी चाहिए। और वो भी हर छ: महीने में। अगर हम इसे जल्दी पकड़ पाएं और नियमित इलाज कर पाएं तो दिल के दौरों को हम रोक पाएंगे।
फिल्मों में दिखाए जाने वाले दिल के दौरों के दृश्य याद कीजिए। यह पूरी तरह गलत नहीं होते। मानसिक तनाव से धमनियों में तीव्र संकुचन हो जाती है। इससे अचानक खून के बहने कम हो जाता है। अचानक गुस्सा आना, डर लगना या फिर उत्तेजना सभी कमज़ोर दिल के लिए खतरनाक होते हैं।
अगर किसी का हदय पहले से ही कमज़ोर हो तो किसी भी तरह से हदय के कार्यप्रणाली पर अचानक कार्यभार बढना जोखिम वाला होता है। जैसे कि बहुत भारी शारीरिक श्रम करन भावनात्मक तनाव, ठंडे मौसम या ऊँचाई आदि से। इन सभी स्थितियों में दिल से ज़्यादा खून की मांग की जरूरत होती है। दिल जब इस अतिरिक्त मांग को पूरा करने की कोशिश करता है तो इससे उसके पास अपने लिए खून की कमी पड़ जाती है। इससे दिल की पेशियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और फिर पेशियों की कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है।