लक्षणों के उपस्थित होने या न होने के अलावा भी बीमार और बीमारी के बारे में काफी सारी जानकारी की ज़रूरत पड़ेगी। इससे बीमारी के निदान और उपचार दोनों में मदद मिलती है। व्यवस्थित रूप से और जानकारी इकट्ठी करने के लिए एक प्रारुप नीचे दिया गया है।
निदान के लिए ज़रूरी है कि लक्षणों के बारे में और जानकारी हासिल की जाए। जैसे लक्षण कितनी देर से हैं, किस क्रम से शुरू हुए किन-किन चीज़ों से कम या ज़्यादा होते हैं।
बीमार व्यक्ति ने जो लक्षण बताए हों उससे जुड़े और लक्षणों के बारे में जानकारी लेना भी ज़रूरी होता है। निदान तालिका में आप सीखेंगे कि किस तरह से इन अन्य लक्षणों के बारे में जानकारी ज़रूरी है।
अगर इस बीमारी का सम्बन्ध पहले हुई किसी बीमारी से सम्भव है तो उसकी जानकारी ज़रूरी है। कुछ बीमारियॉं जैसे दमा, तपेदिक, मूत्र तंत्र में पथरी, पेट में अलसर आदि बार-बार हो सकते हैं। अत: इनकी जानकारी होना ज़रूरी है। कुछ अन्य बीमारियॉं (जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप) हर किसी बीमारी पर असर डाल सकते हैं। इसलिए इनके बारे में जानकारी लेना ज़रूरी है।
मौजूदा बीमारी के इलाज के लिए भी पुरानी बीमारियों की जानकारी मिलना ज़रूरी है। उदाहरण के लिए दमे के मरीज को ऐस्परीन या आईबूप्रोफेन नहीं दी जा सकती। गर्भावस्था में भी सिवाय पैरासिटामॉल और आयरन, फोलिक अम्ल और कैलशियम के अलावा किसी और दवा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसे में ज़्यादातर दवाएँ निषिद्ध है क्योंकि इनसे गर्भ का नुकसान हो सकता है।
कुछ बीमारियॉं परिवार के एक से अधिक सदस्य को होती हैं। ऐसा या तो नजदीकी सम्पर्क के कारण होता है, या फिर एक जैसी परिस्थिति में रहने के कारण (जैसे कुपोषण), या फिर आनुवंशिक कारणों से होता है। इस तरह बीमारी या तो प्राप्त की हुई हो सकती है या फिर आनुवंशिक। उच्च रक्तचाप या मधुमेह (डायबटीज) कुछ हद तक आनुवंशिक होती है।
छूत/संक्रमण आदि से होने वाली बीमारियॉं जैसे तपेदिक, कुष्ठ रोग स्कैबीज़, गोलकृमि, जूएँ, खसरा, चेचक, मोतीझरा (टॉयफाइड) और संक्रामक पीलिया परिवार के एक सदस्य से दूसरे को लग सकती हैं। इसलिए परिवार के सदस्यों के बीमारियों के जानकारी से मौजूदा बीमारी के निदान में मदद मिल सकती है। पास पड़ौस में हो रहे संक्रामक रोग भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए एक बच्चे को किसी पड़ोसी के सम्पर्क से तपेदिक लग सकता है।
टीकाकरण के बारे में जानकारी भी मौजूदा रोग के निदान के लिए ज़रूरी होती है। टीकाकरण से आमतौर पर उस बीमारी से बचाव हो जाता है। इसलिए अगर विशिष्ट बीमारी का टीका लगा हुआ हो तो मौजूदा बीमारी कोई अन्य बीमारी होना सम्भव है। बचाव के अन्य तरीकों के इस्तेमाल करने या न करने से भी बीमारियों के बारे में जानकारी मिल सकती है। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति बिना काला चश्मा पहने वैल्डिंग करता है तो बहुत सम्भव है कि उसकी आँखों में लाली वैल्डिंग के कारण हुई हो।
शराब, धूम्रपान और अन्य आदतन/आदतखोर चीज़ों के सेवन से व्यक्ति को विशिष्ट खतरे हो सकते हैं। खाने-पीने की आदतों से पोषण और पाचन की गड़बड़ियों के बारे में पता चल सकता है। जर्दा और पान मसाला भी स्वाथ्य के लिए हानिकारक हैं। एक से अधिक व्यक्ति से यौन सम्बन्ध से यौन संक्रामक रोग लगने की सम्भावना होती है। इस तरह की जानकारी से ये पता चल जाता है कि व्यक्ति को किन-किन बीमारियों का खतरा है।
काम धन्धा भी विशिष्ट स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरे पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए मान लो गॉंव में किसी व्यक्ति को चिरकारी खॉंसी हो और यह किसी भी रोगाणुनाशक दवा या तपेदिक रोधी दवा से ठीक न हो रही हो, तो ये फफूँद वाली खॉंसी हो सकती है। इस बीमारी को हम किसान-खॉंसी कह सकते हैं। इसी तरह से एस्बेस्टस फैक्ट्री के कारीगर को फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। वाहन चालक, खासकर ट्रक ड्राइवर को पीठ के दर्द की शिकायत हो सकती है।
अन्य जानकारियों में आमदनी, शिक्षा, आवागमन और घर आदि आते हैं। स्थानिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में हम गॉंव के लगभग हर घर के बारे में जानते हैं। इसलिए आमतौर पर हमें यह जानकारी पहले से ही होती है। ऐसे में मौजूदा बीमारी के बारे में सवाल सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। अभ्यास और सोच समझ के इस्तेमाल से हम सही जानकारी दे सकते हैं।