कुपोषित बच्चा |
कुपोषण दो तरह का होता है: कम पोषण या अधिक पोषण। विकासशील देशों में कम पोषण बहुत ज़्यादा पाया जाता है। इसका एक प्रमुख कारण गरीबी है- बहुत से लोग पैसों की कमी के कारण नियमित सन्तुलित खाना हासिल नहीं कर सकते। आर्थिक तंगी के समय में कुपोषण की स्थिति साफ दिखाई देने लगती है; और ऐसे में शरीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता और कुपोषण बढता ही है।
दूसरी ओर मोटापे की समस्या है। मोटापा आम तौर पर बहुत अधिक खाने व व्यायाम/कसरत की कमी से होता है। किसी व्यक्ति को उस समय मोटा (अधिक भार वाला) कहा जाता है जब उसका भार, श्रम, उसकी उम्र, लम्बाई और लिंग के हिसाब से मानक भार से १० प्रतिशत अधिक होता है। बचपन में कम पोषण से अलग-अलग समस्याएँ हो जाती हैं।
बच्चे ही देश का भविष्य होते है| बच्चोंका स्वास्थ्य, पोषण और वृद्धी देश के स्वास्थ्य हेतू महत्त्वपूर्ण है| हरेक परिवार की इसमें प्रमुख जिम्मेदारी है| लेकिन भारतमें लगभग ४०% बच्चे कुपोषित है| गरीबी इसका एक प्रमुख कारण है| किंतु अमीर परिवारोंमें भी अलग तरह का कुपोषण होता ही है|कुल मिलाके कुपोषण से स्वास्थ्य बिगडता है, कार्यक्षमता कम हो जाती है और शिक्षात्मक प्रगती कम होती है| अब हम कुपोषण संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी लेंगे|
भारत में कम उम्र में शादी और गर्भावस्था तथा दो बच्चों के बीच पर्याप्त अंतराल न होना कुपोषण का कारण है |
लाल निली पट्टी से बच्चो की भूजा नापना कुपोषण पहेचानने का एक बिलकुल आसान तरीका है |
बच्चें का पोषण और वृद्धी जॉंचने की चार प्रमुख रितीयॉं है| भुजाघेर नॉंपना – यह सबसे आसान तरीका है| १ से ५ वर्ष उम्रतक के बालकों में यह एकसी लागू होती है| भुजाघेर १३.५ से.मी. से अधिक होना अच्छा है| भुजाघेर ११.५ से.मी.से कम होने पर कुपोषण समझे| भुजाघेर ११.५ से १३.५ से.मी के बीच में हो तो मध्यम कुपोषण समझे| नॉंपने हेतू सामान्य टेप या भुजाघेर पट्टी का इस्तेमाल करे| उम्र के अनुसार लंबाई ना बढना अर्थात बौनापन याने दीर्घ कुपोषण है| लगभग २०% बालक अल्पविकसित पाये गये है| अपेक्षित लंबाई हेतू उम्र के अनुसार कुछ मापदंडी होते है| जन्म के समय ५०से.मी. ६ महिनों बाद ६५ से.मी. १ साल के अंत में ७५ से.मी. २ वर्ष के अंत में ८५ से.मी ३ वर्ष के बाद ९५से.मी और ४ वर्ष बाद १०० से.मी. ठीक समझे| इसके लिये तालिका भी मिलती है|
कुपोषण पहचाननेके लिये उम्र के अनुसार वजन ठीक है या नही यह देखना सर्वाधिक प्रचलित पद्धती है| लगभग ४०% बच्चे उम्र की अपेक्षा हलके होते हैं| कम वजन अर्थात शरीरभार और वृद्धी का कम होना| अपेक्षित वजन हेतू कुछ मापदंड इस प्रकार है|
जन्मजात शिशू – ३ किलो, छठे माह के अंतमें ६ किलो, १ वर्ष के अंतमें ९ किलो, २ वर्ष के अंतमें १२ किलो, ३ वर्ष के अंतमें १४ किलो तथा ४ वर्ष के अंतमें १६ किलो|
सिर का घेरा नापना पोषण-कुपोषण का और एक अच्छा तरीका है |
सिर का घेर भी पोषण पर निर्भर है| जन्म के समय सिर का घेर ३४ से.मी.हो| छठे माह के अंत में ४२, पहले वर्ष के अंत में ४५, दुसरे साल के अंत में ४७, तिसरे साल के अंत में ४९, चौथे वर्ष के अंत में ५० से.मी. अपेक्षित है|
इस मापतोल के अलावा भी कुपोषण के कुछ लक्षण होते है| उदा. हिमोग्लोबीन या रक्तद्रव्य का प्रमाण १२ ग्रॅम से अधिक हो| लगभग ५०% बालकोंमें रक्ताल्पता होती है| रक्ताल्पता याने रक्तद्रव्य की कमी होती है|