सायकल चलाना एक सहज और सुंदर एरोबिक कसरत है |
कुछ कसरतों में कुछ पेशियाँ नियमित रूप से संकुचित और शिथिल होती है। इन कसरतों में पेशियों का तनाव बना रहता है लेकिन इसमें पेशियों के तन्तुओं की लम्बाई कम-ज़्यादा होती है। इन्हें समतानी (आयसोटोनिक) कसरतें कहते हैं।
जिस कसरत में हलचल हो उसको आयसोटोनिक कसरत कहॉं जाता है। भागना, दौडना, तैरना, पहाड चढना, साइकिल चलाना या चलना, बॉल गेम वाली खेलकूद जैसे टेनिस आदि आयसोटोनिक एक्सर्साइज के उदाहरण है।
कोई व्यक्ति काफी देर तक कोई भारी चीज़ उठाता है, या भार को हाथों से आगे धकेलता है। तो इसमें हाथों में कोई गतिशीलता नहीं होती है। परन्तु बल तो लग रहा है इसलिए उर्जा भी इस्तेमाल हो रही है। परन्तु पेशियों के तन्तुओं की लम्बाई पर कोई असर नहीं होता। ऐसी क्रिया को आयसोमट्रिक (सममितीय) कहते हैं। इस कसरत में कुछ प्रतिरोध के होते हुए जोर लगाया जाता है इसलिए बिना हलचल ही पेशियों को काम करना पडता है। इस कसरत प्रकार से पेशियों का बल और आकार जल्दी बढता है। ये देखा गया है की हफ्ते में तीन भी दिन ये कसरत करना मांसपेशियों को पर्याप्त होता है। इसका मतलब है ये हर दिन करने की जरुरत नहीं। जिम के अलग अलग मशिन्स में वैसे काफी तरीके उपलब्ध है।
भुजाओं को आयसोमेट्रिक और पॉंवों को आयसोटोनिक का लाभ होता है |
सममितीय कसरतों से पेशियॉं तेज़ी से बनती हैं इसलिए शरीर की नुमाइश करने वाले लोग ये वाली कसरतें करते हैं। समतानी कसरतें पहलवानों और कम दूरी के धावकों के लिए ज़्यादा उपयोगी होती हैं।
ज़्यादातर कसरतों में इन दोनों को शामिल किया जाता है। ताकि ताकत और सहने की क्षमता दोनों बढ़ाई जा सकें। कई खेलों में और कामों में दोनो किस्म के तत्व शामील होते है। उदाहरण के तौर पे कुश्ती में हलचल और प्रतिरोध के खिलाफ बल लगाना होता है, लेकिन हलचल का प्रयोग कम होता है। मान लिजिए कोई व्यक्ती साइकल रिक्षा खींच रहा है या जब एक मजदूर एक गाडी धकेलता चलता है, इसमें पैरों से हलचल और हाथों से स्थाई बल लगाया जाता है। इसका मतलब है यहॉं आयसोमेट्रिक और आयसोटोनिक दोनों प्रयोग हो रहे है।
कुछ खेलप्रकार २-३ मिनिटों से कम समय चलते है। इसमें सॉंस ज्यादा चलने के पहिले ही हम रूक जाते है। हमारा शरीर इसके लिए मांसपेशीस्थित संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग करता है। उदाहरण के तौरपर सौ-दोसो मीटर दौडना, भार उठाना, जिमनॅस्टिक्स या रूक रूककर चलनेवाले खेल जैसे की कबड्डी, जुदो।
गतियुक्त हलचलवाले व्यायाम प्रकार, जैसेकी दौडना, तैरना, बॅडमिंटन, टेनिस, चलना आदी। इसमें मांसपेशी क्रमश: काम में आते है। एरोबिक्स में इसी व्यायाम प्रकार का इस्तमाल होता है लेकिन अवधी ज्यादा होता है।
बुढापें में चलने की आदत स्वास्थ्यकारक होती है |
चलना एक मध्यम दर्जे (हल्की फुल्की) और सहज़ कसरत हे। यह सभी उम्र के लोगों के लिए और दिल की बीमारियों से प्रभावित लोगों के लिए उपयोगी होता है। इससे बचाव भी होता है और बीमारियॉं दूर भी होती हैं। शारीरिक फायदों के अलावा इससे स्फूर्ति और आराम मिलता है। परन्तु थोडी देर चलने से वज़न उतना कम नहीं होता। एक किलोमीटर चलने में करीब ५० कैलोरी उर्जा खर्च होती है (इतनी उर्जा एक कप चाय से मिल जाती है)। पैदल तीर्थयात्राओं से, (जो अब लोग ज़्यादा नहीं करते) शरीर शुद्धता होती हे। कई महीनों तक रोज़ चलने और साथ में नियंत्रित खाने से अतिरिक्त चर्बी निकल जाती है और फूर्ति लौट आती है। पहाड़ों पर चढ़ने के भी यही फायदे हैं।
सामूहिक खेलकूद अकेले कसरत करने से ज़्यादा उपयोगी है। खेलों में मज़ा भी आता है और शारीरिक कसरत भी हो जाती है। परन्तु सब खेल एक जितने उपयोगी नहीं होते। खेलो खेलो में कुछ अन्तर होता है, जैसे: