tantrika tantra मस्तिष्क/तंत्रिका तंत्र मानसिक स्वास्थ्य
मिर्गी

epilepsyमिर्गी जिसे अलग अलग स्थानिय भाषा में अलग अलग नाम से जाना जाता है उदाहरण के लिये जैसे झटके, दौरे,ऐठन आदी। दिखने में स्वस्थ व्यक्ति को जब रोग के निदान या कारण के बिना दौरे पडते है तो मिर्गी हो सकती है। मिर्गी अनेक प्रकार का होती है, कुछ बहुत सीमित होते हैं – जैसे ऊँगलियों की हलचल, या अचानक छोटी-सी नींद आ जाना। मिर्गी में सीमित या व्यापक गुरु अपस्मार मिर्गी में अचानक दौरा पड़ता है और उसके बाद बेहोशी हो जाती है। इसमें कुछ देर के लिए याददाश्त का चला जाना भी आम है। इसके अलावा कुछ हल्के किस्म की मिर्गी भी होती है। किसी-किसी प्रकार की मिर्गी में दौरे नहीं पड़ते, सिर्फ कुछ देर के लिए नींद आ जाती है व बेहोशी हो जाती है। मिर्गी के दौरे एक बार नहीं, बार-बार आते हैं।

कारण

मिर्गी के कारण का पता नहीं है। हम सिर्फ ये जानते हैं कि मस्तिष्क के किसी भाग में अचानक बिजली का करण्ट-सा पैदा होता है। ये कुछ ऐसा होता है जैसे कि मस्तिष्क में लहरें उठ रही हों। जन्म के समय मस्तिष्क में चोट लगना इसका एक सम्भव कारण होता है। मिर्गी आनुवांशिक भी होती है।

दौरों के और कारण भी हो सकते हैं जैसे मस्तिष्क में गाँठ मधुमेह (डायबिटीज़) या खून में कैलशियम की मात्रा में कमी। मिर्गी का अर्थ ही है बिना किसी पहचाने जा सकने वाले कारण के दौरे पड़ना। बच्चों में तेज़ बुखार से भी दौरे पड़ सकते हैं पर यह मिर्गी नहीं होती।

इलाज

मिर्गी का इलाज सिर्फ डॉक्टर ही कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए पहले यह पक्का करना ज़रूरी होता है कि दौरों का और कुछ कारण तो नहीं है। इलाज में दो बरस से ले कर जिन्दगी भर तक मिर्गी नियंत्रक दवाइयाँ खानी पड़ती हैं।

मिर्गी के बारे में कुछ सुझाव
  • ऐसे व्यक्ति को कोई भी ऐसा काम न करने दें जिसमें दुर्घटना या जान के जोखिम का खतरा हो। इसलिए मिर्गी के रोगियों को गाड़ी चलाना, आटे की चक्की या मशीनों पर, आग की जगहों पर या उचें खंभो पर और फिर खतरनाक रसायनों के साथ काम नहीं करना चाहिए।
  • ऐसी स्थितियों या हालातों से बचें जिनसे दौरा पड़ने की सम्भावना बढ़ती हो। जैसे कि अचानक ज़ोर की आवाज़, और तनाव की स्थितियों से दौरे पड़ते हैं।
  • मिर्गी के रोगियों का इलाज कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना अचानक नहीं रोकना चाहिए।
  • जिस व्यक्ति को दौरा पड़ा हो उसके मुँह में दाँतों के बीच कपड़ा (लेकिन लकड़ी नहीं) डाल दें ताकि उसकी जीभ न कटे। कोशिश करें कि व्यक्ति गिरने न पाए क्योंकि इससे उसे चोट लग सकती है।
  • मिर्गी के नियमित इलाज से पीड़ित बच्चा सामान्य से पढ़ाई कर सकता है और काम कर सकता है।
  • घर के किसी व्यक्ति को यह ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए कि व्यक्ति रोज़ दवाई ज़रूर ले। नियमित रूप से दवा न लेने से फिर से दौरे पड़ सकते हैं। अगर कभी रोगी बहुत सारी गोलियाँ एक साथ खा ले तो इससे गम्भीर आपातकाल स्थिति बन सकती है। अगर कभी ऐसा लगे कि रोगी ने एक साथ बहुत सारी गोलियाँ खा लीं हैं तो उसे तुरन्त नमक के पानी के साथ उल्टी करवाने की कोशिश करनी चाहिए। और फिर उसे तुरन्त अस्पताल पहुँचाना चाहिए।

आयुर्वेद

ayurvedaमिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को प्रति मिर्गी दवाओं के अलावा साथ में और मदद पहुँचाने वाले इलाज की ज़रूरत होती है। स्वीटफ्लैग (बचा) चूर्ण नाक के छेदों के पास उड़ाने से रोगी क्षोभ या छींकें आने से उठ जाता है। इसी तरह से रीठे या शीकाकाई के घोल की एक बूँद डालने या सूखी अदरक का चूर्ण नाक में डालने से भी वही असर होता है। अगर इनमें से कुछ भी उपलब्ध न हो तो नमक के पानी का इस्तेमाल करें। मिर्गी वाली दवाओं से थोड़ी-सी मानसिक भ्रम की स्थिति बन जाती है। अनु के तेल का नस्य (नाक में डालने की दवा) या षड्बिन्दु तेल से रोगी को सतर्क रख पाने में मदद मिलती है। ब्राहमी या शंखपुष्प, वाचा, जाटमानसी या मण्डूकपर्णी से सतर्कता बनाए रखने में मदद मिलती है। सहचर तेल का एनीमा मिर्गी के रोगियों के लिए काफी उपयोगी होता है। प्राणायाम और योग मिर्गी बाधित व्यक्ति को उपयोगी है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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