harmonहारमोन
अधिवृक्क ग्रन्थियाँ

run-man ये छोटी ग्रन्थियाँ प्रत्येक गुर्दे पर एक ढक्कन-सी सटी रहती हैं। प्रत्येक अधिवृक्क ग्रन्थि में एक मुख्य भाग होता है और एक कवच होता है। अधिवृक्क ग्रन्थि ऐड्रिनल हारमोन बनाता है। यह हारमोन शरीर को लड़ाई, भागदौड, खेलों और कसरत के लिए मदद करता है। इसके असरों में दिल की दर, रक्तचाप और खून में ग्लूकोज़ की मात्रा में वृध्दि शामिल हैं। ऐड्रिनल का कवर तीन स्टीरॉएड स्त्रावित करता है। इन स्टीरॉएड के अलग-अलग काम होते हैं जैसे शरीर में ग्लूकोज़, प्रोटीन और वसा का इस्तेमाल, शोथ प्रक्रिया पर नियंत्रण। इसके अलावा एंड्रोजन वाला हिस्सा (जो वृषण द्वारा भी स्त्रावित होता है) पुरुष गुणों के लिए ज़िम्मेदार होता है। अगर ऐड्रिनल ग्रन्थियाँ हद से ज्यादा काम करने लगें तो इससे मोटापा हो जाता है इसे कुशिंग सिंड्रोम कहते हैं। इनके कम काम करने से पतलापन हो जाता है, जिसे एडीसन बीमारी कहते हैं।

ऐड्रिनल कम स्त्रावित होना

ऐडिसन बीमारी
यह बीमारी काफी कम देखने में आती है। इसके लक्षण हैं – वजन घटना, कमज़ोरी, भूख न लगना, उबकाई आना, उल्टियाँ, दस्त या कब्ज़, त्वचा के खुले भागों का भूरा हो जाना और शरीर पर बालों में कमी आ जाना। बीमारी में हारमोन के इलाज से मदद मिलती है।

ऐड्रिनल अधिक स्त्रावित होना

कुशिंग सिंड्रोम
यह ऐड्रिनल ग्रन्थियों द्वारा अधिक हारमोन स्त्रावित होने से होता है। इसका कारण ग्रन्थियों का बढ़ जाना होता है। लक्षणों में वजन बढ़ जाना, मानसिक गड़बड़ी, पीठ में दर्द, पेशियों में कमज़ोर, सिर के बाल छड़ जाना, मुँहासे होना, नील और आमाशयी अत्यअम्लता और अल्सर शामिल हैं। औरतों में इससे माहवारी में अनियमितता और पुरुषों जैसे गुण (जैसे चेहरे पर बाल होना और आवाज़ गहरी हो जाना) हो जाते हैं। पुरुषों में इससे नपुंसकता हो जाती है। बहुत से लक्षण बीमारी को साफ दर्शाते हैं जैसे चेहरा गोल हो जाना, मोटापा _ खासकर पेट और कमर पर, उच्च रक्तचाप, पेट और जाँघों पर भूरी लकीरें (खिंचने के कारण) हो जाती हैं। खून में शक्कर की मात्रा ज्यादा होने के कारण त्वचा का संक्रमण ज्यादा होता है। खून की जाँच से ही बीमारी का निदान होता है। इस विवरण से दो दिक्कतें आती हैं। किसी मोटे व्यक्ति को कुशिंग बीमारी है या नहीं यह केवल डॉक्टर द्वारा और खून की जाँच से ही तय किया जा सकता है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में आपका काम यह है कि अगर आपको ऐसा शक हो तो आप उस व्यक्ति को डॉक्टर के पास भेज दें।

क्या कुशिंग जैसा मोटापा स्टीरॉएड हारमोनों के ज्यादा इस्तेमाल से हो रहा है? कई बार कई मरीज़ों को गलत ढंग से हफ्तों तक स्टीरॉएड दिए जाते हैं। आप मरीज़ से पता करें कि क्या वो रूमटी बुखार या एक्ज़ीमा की दवा तो नहीं ले रहा है। स्टीरॉएड दवाओं के असर दवा रोकने के काफी समय बाद जाकर खत्म होते हैं।

इलाज

इस बीमारी का कारण खून के कुछ टेस्ट के बाद ही पता चलता है। कारण के अनुसार दवाओं या ऑपरेशन की ज़रूरत होती है।

महिला हारमोन
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गर्भनिरोधक गोलियॉं-सफेद गोलियों में इस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन की मात्रा है|

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन दो मुख्य महिला हारमोन हैं। इसके अलावा अण्डाशय-प्रेरक हारमोन, दूध-संप्रेरक, प्रोलेक्टिन और गर्भ-प्रेरक गर्भ के समय के हारमोन हैं। ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का इस्तेमाल माहवारी की दिक्कतें ठीक करने के लिए और गर्भ निरोधक के रूप होता है।

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हारमोन से ही माहवारी नियंत्रित होती है। माहवारी से जुड़ी बहुत-सी शिकायतें इन्हीं दो हारमोनों से जुड़ी हुई हैं। आप महिला जनन तंत्र और गर्भ नियंत्रण वाले अध्यायों में इनके बारे में और पढ़ेंगे।

पुरुष हारमोन

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन दो मुख्य महिला हारमोन हैं। इसके अलावा अण्डाशय-प्रेरक हारमोन, दूध-संप्रेरक, प्रोलेक्टिन और गर्भ-प्रेरक गर्भ के समय के हारमोन हैं। ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का इस्तेमाल माहवारी की दिक्कतें ठीक करने के लिए और गर्भ निरोधक के रूप होता है।

स्टीरॉएड का गलत इस्तेमाल
steroid injection
स्टेरॉईड इंजेक्शन का गलत इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है

स्टीरॉएड शक्तिशाली दवाएँ हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ा सकते हैं और बीमारी होने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं। परन्तु इनकी अपनी सीमाएँ होती हैं। और कई बार ये असल में नुकसानदेह भी हो सकते हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। दुर्भाग्य से आम चिकित्सक बिना किसी तर्क के इनका इस्तेमाल रोज़मर्रा में करते रहते हैं। स्टीरॉएड केवल विशेषज्ञों द्वारा ही दिए जाने चाहिए।

हॉर्मोन्स(अंतस्राव)की़ जानकारी

अनु. क्र.

ग्रंथी संस्था

हॉर्मोनक़ा नाम

क्या़ काम़ करता़ है

१.

पिच्युटरी ग्रंथी

वृद्धी अंतस्राव , अन्य कुछ अंतस्राव

शरीर की वृद्धी और अन्य अंतस्रावी ग्रंथियोंपर नियंत्रण।

२.

गले की ग्रंथी(थॉयरॉईड ग्रंथी)

थॉयरॉक्झिन

शरीरकी अंदरुनी रसायनिक घटनाओं का नियंत्रण और संचलन।

३.

ऍड्रेनल (गुर्देपर स्थित छोटी ग्रंथी)

स्टेरॉईड अंतस्त्राव

शरीर की अंदरुनी रासायनिक घटनाओं का नियंत्रण और शीघ्र हलचल के लिये शरीर को तैयार करना जैसे की लढना या भागना।

४.

अग्न्याशय

इन्शुलिन और ग्लुकेंगौन

शर्करा का ज्वलन खून में शर्करा की मात्रा नियंत्रित करना।

५.

अंडकोश (पुरुष)अंडाशय (महिला)

पुरुष अंतस्राव (जैसे टेस्टोस्टेरॉन) और स्त्री अंतस्राव जैसे इस्ट्रोजेन प्रोजेस्टेरॉन

पुरुष या स्त्री के शारीरिक लक्षण माहवारी गर्भधारण आदी।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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