शरीर में अलग अलग हॉर्मोन्स रिसानेवाले मूल अंग |
ग्रन्थि शरीर का वो अंग होती है जो पदार्थ (हॉर्मोन), दुध या रस का निर्माण कर उसे रक्त प्रवाह में या बाहर स्त्रावित करते हैं। हॉर्मोनरसायनिक वाहक है जो कुछ खास तरह की उतकों से रूधिर (रक्त) या अंतराकाशी (इंटरस्टिशियल) द्रव्य में स्रावितकिये जाते है जो अन्य कोशिका या उतकों की क्रिया को नियत्रित करने के लिये उपयुक्त होते है। जो ग्रथिं’ स्राव रक्तप्रवाह में सीधे स्त्रावित होते है उन्हे अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियाँ कहते है ये हारमोन स्त्रावित करती हैं। हीईपोथैलामस, पीयूष (पिटयुटरी), अवटु (थायरॉएड),पैराथायरॅायड, ,पैराथायरॅायड, अग्न्याश्य ग्रंथि(अग्नाशय के कुछ भाग), अधिवृक्क, (सुपारिनल), वृषण और डिम्बग्रन्थी शरीर की मुख्य अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियाँ हैं।
वह ग्रथिं’स्राव जो शरीर के अंदर की गुहिका (केविटी) या अंतराकाशी (इंटरस्टिशियल) जगह या बाहरी सतह जैसे मॅुह, त्वचा पर स्त्रावित करते है उन्हे बाहय:स्त्रावी ग्रन्थियाँ कहते है कुछ ग्रन्थियों से ये स्त्राव वाहिनियों से निकलते हैं। कर्णपूर्व, लार ग्रन्थि, पित्ताशय और स्तन आदि ग्रन्थियॉं इस किस्म के उदाहरण हैं। आमाशय, ऑंतों, जनन, अंगों, श्वासनली और ऑंखों में भी हज़ारों ऐसी ग्रन्थियाँ होती हैं। इन स्त्रावों के विशिष्ट काम होते हैं।
शरीर में हारमोन ग्रन्थियों का काम बेहद महत्तवपूर्ण होता है। हर हॉर्मोन का शरीर के अंगो के विशिष्ठ उतको में/पर विशिष्ठ कार्य होता है। उदाहरण के लिए अग्न्याश्य ग्रथिंद्वारा निकलने वाला इन्सुलिन खून में शर्करा (शुगर) की मात्रा पर नियंत्रण रखताहै। पुरुष हारमोन प यौनिक कार्य को और महिला यौन हारमोन माहवारी चक्र और प्रजनन को नियमेक करते हैं। मस्तिष्क के ठीक नीचे स्थित पीयूष ग्रन्थि शरीर की बाकी सब अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियों का काम नियंत्रित करती है। शरीर में हारमोन के स्तर में बदलाव से शरीर के कामों पर काफी असर पड़ता है। हारमोन ग्रंथियों की कुछ गड़बड़ियाँ काफी आम हैं (जैसे मधुमेह या घेंघा रोग)। इन्हें नज़रअन्दाज़ नहीं करना चाहिए।आजकल कुछ हार्मोन काफी आम तौर पर इस्तेमाल होते हैं।जैसे स्टीरॉएड हॉर्मोनया मुँह से ली जाने वाली गर्भनिरोधक गोलीओरल पिल)। कुछ हारमोन हॉर्मोनक़त्रिम तरीको से वैसे ही बनाए जाते हैं जैसे कि स्टीरॉएड। कुछ हारमोन जानवरों के अंगों से प्राप्त करते हैं जैसे कि इनसुलिन।
हारमोन चिेकित्सा विज्ञान में अब काफी प्रगती हुई है, तथा इसकी शाखा के विशेषज्ञ भी उपलब्ध है। यह ठीक नहीं कि पतला न दिखने के लिये या शरीर गठन के लिये या खेल प्रतियोगिताओं में जीतने के लिये या जोडो की बिमारीयो के लिये कुछ हारमोनों का बहुत ही गलत ढंग से इस्तेमाल करते हैं। इस अध्याय में हम हॉर्मोन ग्रंथियों और उससे निकलने वाले हॉर्मोन के कार्य और इनकी मात्रा में गड़बड़ी से होने वाले असर को समझेंगे।
हायपोथैलामस मस्तिष्क का एक छोटा भाग जो अंतस्रावी तंत्र (एंडोक्राईन) के लिये संम्पूर्ण समन्वयक केन्द्र का काम करता है। वातावरण से सभी संवेदी आगत (सेंसरी इनपुट) केंद्रीय तंत्रीका तंत्र तक पहॅूचा दिये जाते है। यह केंद्रीय तंत्रीका तंत्र के सारे संकेतो को ग्रहण करने के उपरान्त समाहित करने का काम करता है। तंत्रि अन्त:स्त्रावी संकेतो का आरंभ होने के बाद इन संकेतो की प्रतिकिया में हायपोथैलामस इपोथैलेमिक हॉर्मोनस (मोचित (रिलिसींग)कारक) तुरन्त पास में स्थित पीयूष ग्रंथि ((पिटूइटेरी ) में रक्त वाहिनीयों के द्वारा छोड दिये जाते है।
यह ग्रन्थि मस्तिष्क के नीचे की खोपड़ी में हायपोथैलामस के पास ही स्थित होती है। मस्तिष्क में हायपोथैलामस से स्रावित हाइपोथैलेमिक मोचित (रिलिसींग) कारक हॉर्मोनस इस ग्रन्थि को स्त्रावित करने के लिए उत्तेजित करता है। पीयूष ग्रन्थि के दो अलग अलग कार्यत्मक भाग होते है पश्च पीयूष ग्रंथि और अग्र पियुष ग्रंथि। पश्च पीयूष ग्रंथि हायपोथैलामस से निकले कई सारे तंत्रिकाक्ष (एक्सान) से मिलकर बनी होती है। यह तंत्रिकाक्ष दो तरह के हॅार्मोन, ऑक्सीटोसिन और वेसोप्रेसिन प्रतिमूत्रलहारर्मोन (एंटि डायूरेटिक हॉरमोन) पैदा करते है। यह दोनो हॅार्मोन तंत्रीकांक्ष के स्रावित करने वाली कणिकी (ग्रेनियुल) में संग्रह कर ली जाती है और वहॉ से वह संकेत प्राप्त होते ही स्राव कि लिये पहले से तैयार रहती है।
अग्र पियुष ग्रंथि रूधिर (रक्त) में आये हाइपोथैलेमिक मोचित (रिलिसींग) कारक हॉर्मोनस के प्रतिक्रियाओ स्वरूप हॅार्मोन पैदा करते है। / ये अगले चरण के अन्त:स्त्रावी ग्रंथीयो ऐडि्रिनल कारटेक्स, अवटू (थाईराइड) ग्रंथि, डिंब (ओवरी) और वृषण (टेसटिस) को प्रेरित करते है। फिर यह ग्रंथियॉ अपने विशिष्ठ हॅार्मोन को स्रावित करती है। जो रूधिर (रक्त्) प्रवाह के माध्यम सें उनके लक्षीत उतको तक पहॅुच जाते है। हार्मोन कासकैड हर स्तर पर संकेतो को ग्रहण कर उसे पहले से से ओर बढा कर अगले कासकैड के अगले हॅार्मोन स्रावित करने की तैयार रहते है साथ ही साथ पिछले हॅार्मोन के पुनर्भरण नियमन (फिडबैक इन्हीबिसन) करते है। (मुख्य अन्त:स्त्रावी तंत्र और उसके लक्ष्य उतक )
इसअग्रपीयूष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित सबसे महत्वपूर्ण हारमोन वृध्दि (ग्रोथ) हारमोन है। यह हॉर्मोनकिसी भी व्यक्ति के उचित शारीरिक विकास विशेष कर उॅचाई के लिए ज़रूरी है। इस हारमोन की मात्रा में कमी से वृध्दि रुक जाती है और उसकी उॅचाई उम्र कि अनुसार सामान्य से कम रहती है तो उसे बौनापन कहते हैं। अगर बचपन में ही इस समस्या का पता चल जाए तो इसे हारमोन देकर ठीक किया जा सकता है। पर एक बार हडि्डयों का बनना पूरा हो जाए तो फिर इसमें सुधार होना सम्भव नहीं होता।
इस हारमोन की अधिक मात्रा में स्राव से व्यक्ति बहुत लम्बा और बड़ा हो जाता है। उसका चेहरा, हाथ और पैर काफी भारी हो जाते हैं। उसकी लम्बाई नौ फुट तक भी बढ़ सकती है। पीयूष ग्रन्थि में खराबी बहुत कम ही देखने में आती है।
पहिले स्तनपान के समय प्रोलॅक्टीन हॉर्मोन पियुष ग्रंथी से रिसता है जिसे स्तनपान शुरु होता है । |
उपर तालिका देखे जिसमे अ्ग और पश्च पीयूष ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन उनके लक्ष्य के बारे में जानकारी दी गई है। उदाहरण के लिये पीयूष ग्रन्थि द्वारा स्त्रावित अन्य हारमोनों में स्तनों, डिम्ब ग्रन्थियों, वृषण, अवटु और एड्रिनल ग्रन्थियों को उत्तेजित करने वाले हारमोन हैंउत्तेजित करने के लिए जो क्रियाविधि काम में आती हैं उसका एक उदाहरण _ धात्री महिला के स्तन में दुध निर्माण । स्तन में दूध बनने की प्रकिया बच्चे के जन्म के पहले से ही शुरू हो जाता है। शिशु द्वारा स्तन को चूसने से निपल द्वारा तंित्रका के माध्यम से मस्तिष्क तक संकेत पहुँचता है। मस्तिष्क फिर अग्रपीयूष ग्रन्थि को एक प्रोलेक्टिन हारमोन स्त्रावित करने के लिए सन्देश भेजता है। प्रोलेक्टिन हारमोन स्रावित होने के बाद रक्त में आ जाता है और स्तनों के ऊतकों तक पहुँच उन्हें संकुचित करता है। इससे स्तनों से दूध निकलने लगता है। अन्य ग्रन्थियों के उत्तेजित होने के लिए भी इसी तरह की जैव रासायनिक परिस्थितियाँ काम करती है। लड़कियों व लड़कों में यौवनारम्भ के समय पीयूष ग्रन्थि से ही उत्तेजन मिलता है जो जनन ग्रन्थि पर काम करता है।