मनुष्यों को हमेशा ही अपना भोजन हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। पुराने समय में उन्हें अपना खाना हासिल करने के लिए जानवरों से लड़ना पड़ता था। बाद के समय में मशीनों से जुड़े खतरे भी इस संघर्ष का हिस्सा बन गए। अपने काम की जगहों में इंसानों को काफी सारे बदलाव मिले हैं। इनमें से कुछ इस अध्याय में दिए गए हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ता को इनके बारे में पता होना चाहिए और आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक सहायता के उपायों के साथ तैयार रहना चाहिए।
हम जो काम लगातार करते रहते हैं उसके अच्छे असर भी हो सकते हैं और बुरे भी। उदाहरण के लिए अपने रोज़ के काम के कारण एक लोहार की पेशियॉं मज़बूत भी हो सकती है और उसे चिरकारी पीठ का दर्द भी हो सकता है, या गर्मी से परेशानी भी हो सकती है। जिमनास्टिक करने वाले बहुत सेहतमंद हो सकते हैं पर ये दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकते हैं।
ये सब व्यवसायिक खतरे हैं। कुछ अपवादों को छोड़ कर सभी व्यवसायों के कुछ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष खतरे होते हैं। व्यावसायिक चिकित्सा का उद्देश्य होता है कि इन खतरों को कम किया जाए और इनमें सुरक्षा और स्वास्थ्य की संभावनाएं पैदा की जाएं। उद्योगों को अपने मजदूरों के स्वास्थ्य के लिए कुछ सुरक्षा उपाय अपनाने होते हैं। विश्व मजदूर संगठन भी औद्योगिक स्वास्थ्य की निगरानी करता है और इसके लिए मदद करता है। फिर भी बहुत से व्यावसायिक समुदाय इन उपायों से अछूते रह जाते हैं जैसे – खेतों में काम करने वाले मजदूर, गाड़ियॉं चलाने वाले ड्राईवर, देह व्यापार करने वाले, बच्चे और असंगठित क्षेत्र के मजदूर। इस अध्याय में व्यावसायिक स्वास्थ्य के कुछ बुनियादी सिद्धातों और समस्याओं के बारे में बात की गई है।
चक्कियों में फेफडों को क्षति पहुँच सकती है |
यांत्रिक चोटें जैसे हथौड़ी से चोट लगना, कटना, कुछ धुस जाना, गलत मुद्रा के कारण दर्द, मोच कई एक व्यवसायों में काफी आम होती हैं। परन्तु चोट की गंभीरता और प्रकार में अंतर हो सकता है। उदाहरण के लिए खेतों में मातम, घास निकालने का काम करने वाली औरतों को अपने काम के कारण पीठ में दर्द हो सकता है। निर्माण का काम करने वाला एक मजदूर ऊँचाई से गिर सकता है, कंप्यूटर पर काम करने वाले व्यक्ति को आँखों और पीठ में दर्द की शिकायत हो सकती है, प्रेशर की मशीन पर काम करने वाले व्यक्ति की उंगली या हाथ मशीन से कट सकता है।
गर्मी, सर्दी, किरणें, खदानों में हवा का दबाव, ऊँचाई, बिजली का झटका, ध्वनि प्रदूषण या अलग अलग तरह की धूल आदि की समस्या अलग अलग रूप में काम की जगहों में होती है।
रासायनिक खतरों का अंदाज़ा लगाना अधिक मुश्किल होता है। इनका असर अचानक भी हो सकता है और चिरकारी भी। कीटनाशकों का छिड़काव खासतौर पर खतरनाक होता है क्योंकि वो लगातार सांस के द्वारा शरीर के अंदर जाते हैं। रासायनिक उद्योगों में बहुत सी ऐसी समस्याएं होती हैं, खासकर वहॉं जहॉं खतरों से बचाव नहीं हो पाता।
खेतों में काम करने वालों और जानवरों से काम लेने वालों के लिए जैविक खतरे जैसे सांप का काटना, कुत्ते का काटना, किसी और जानवर का काटना और बहुत अन्य तरह के संक्रमण काफी आम होते हैं। देह व्यापार करने वाली महिलाओं को यौन जनित रोगों के खतरों से जूझना पड़ता है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी अगर ठीक से सुरक्षात्मक उपाय न अपनाएं तो कई तरह के संक्रमणों की शिकार हो सकती हैं।
कई तरह के व्यवसायों में मानसिक तनाव की स्थिति बन जाती है। लगातार एक सा काम, जिसमें थोड़ा भी आराम न मिले, तनाव को जन्म देता है। इसी तरह से अमानवीय किस्म का काम (जैसे मनुष्यों का पाखाना बाल्टी में या सिर पर ढोना, या देह व्यापार) भी भावनात्मक तनाव को जन्म देता है। ऐसे काम, जिसमें लगातार खतरा हो जैसे ट्रक चलाना, भी मानसिक तनाव और कभी कभी मानसिक आघात का कारण बनता है। ऐसे व्यवसाय जिनमें पारिवारिक और सामाजिक जिंदगी में रुकावट आती है (जैसे लंबी दूरी तय करने वाले ट्रक ड्राईवर या देह व्यापार करने वाली महिलाओं के पेशा में) भी मानसिक तनाव को पैदा करते हैं। शराब पीने की समस्या भी आजकल तनाव वाले व्यवसायों से जुड़ गई है।