केश नलिकाओं में खून की कोशिकाए लाल तथा श्वेत रक्तकोशिका |
खून शरीर के सभी हिस्सों में मौजूद होता है। यह शरीर की करोड़ों कोशिकाओं तक खाना और द्रव पहुँचाता है। यह फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर सभी ऊतकों तक पहुँचाता है। इसी तरह यह सभी ऊतकों से कार्बनडाईऑक्साइड उठाकर फेफड़ों तक पहुँचाता है। ऊतकों से अनचाहे पदार्थ को लिवर, गुर्दों, त्वचा और ऑँतोतक तक पहुँचाता है जहॉं से यह शरीर के बाहर फेका जाता है। खून में ग्लोब्यूलिन प्रोटीन और सफेद रक्त कोशिकाएं भी होती हैं जो शरीर की बीमारी आदि से सुरक्षा करती हैं। खून से चोट ठीक होने में भी मदद मिलती है। जब चोटसे खून बहे तो खून की नलियों को बंद करके खून को रोकने का काम भी यह खुद ही करता है। सब तरफ संचरण के कारण खून शरीर का तापमान बनाए रखने का काम भी करता है। पर इसके संचरणसे कीटाणु और कैंसर की कोशिकाएं भी एक जगह से दूसरी जगह पर पहुँचती हैं।
रक्तदान में ३५० सीसी खून निकाला जाता है |
खून पूरे शरीर में नलियों में घूमता है। इन नलियों को धमनियॉं और शिराएं कहते हैं। धमनियॉं शुद्ध किया हुआ खून दिल से ले कर सब तरफ पहुँचाती हैं। शिराएं सब ओर से उपयोग किया गया (प्रयुक्त) खून इकट्ठा करती हैं। खून इसी इक्षत परिसंचरण तंत्र में ही घूमता है। परन्तु छिद्रित (कोशिका नलियॉ) होती हैं जिससे सफेद रक्त कोशिकाएं और द्रव अंदर बाहर जा सकता है। द्रव से लसिका बनती है, जो लसिका तंत्र द्वारा फिर संचरण में आ जाता है। लसिका मे कुछ पोषक तत्त्व और कुछ सफेद रक्त कोशिकाएं होती है। जब भी शरीर में चोट लगती है हमें वहॉं कुछ शोथ (सूजन) सा दिखाई देता है।
इस शोथ से कोशिका के छेद कुछ बड़े हो जाते हैं। जिससे और ज़्यादा सफेद रक्त कोशिकाएं और द्रव इनमें से निकल कर बाहर आ सकते हैं। जब सफेद कोशिकाएं दुश्मन जीवाणूओंको खात्मा कर लेती हैं तो वो संचरण में वापस आ जाती हैं। कभी कभी जब ये कोशिकाएं शोथग्रस्त ऊतकों में फंसी रह जाती हैं तो ये रक्त संचरण में वापस नहीं आ पातीं। सफेद रक्त कोशिकाएं पॉंच तरह की होती हैं। ये शरीर के बचाव के लिए काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। खून में उपस्थित प्रोटीन (ग्लोब्यूलीन) भी शरीर की रक्षा में महत्वपूर्ण है।
खून की लाल कोशिकाओं के अंदर एक पदार्थ होता है जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं। इसी पदार्थ के कारण खून का रंग लाल होता है। ठीक वैसे ही जैसे क्लोरोफिल के कारण पत्तियों का रंग हरा होता है। हीमोग्लोबिन गैसों को अपनी ओर खींचता है। ऑक्सीजन और कार्बनडाईऑक्साइड दोनों गैसें को हीमोग्लोबिन अपने साथ जोड़ लेती हैं। हीमोग्लोबिन ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुँचाता है और उनसे कार्बनडाईऑक्साइड इकट्ठी करके ले जाता है।
फेफड़ों में इसकी उल्टी प्रक्रिया होती है। वहॉं कार्बनडाइऑक्साइड खून से अलग होती है। और सांस द्वारा अंदर ली गई ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन से जुड़ जाती है। इस तरह गैसों के हीमोग्लोबिन के अंदर बाहर जाना गैसों वहॉपर घनता या कमी (विरलता)पर निर्भर करता है। डिफ्यूजन के कारण गैस के कण उस ओर खिंचते हैं। जिस ओर उनका घनत्व (घनापन) कम होता है।
उम् | स्वास्थ्य कालमें | ऍनिमिया कब कहे सकते है |
गर्भवती महिला | सरासरी ११ से १३ तक | ११ से कम |
६ म. से ६ सालतक | कम से कम ११ | ११ से कम |
६ साल – १४ सालतक | कम से कम १२ | १२ से कम |
पुरुष – उम्र १५ वर्ष से जादा | १३-१६.५ | १३ से कम |
महिलायें -१६ वर्ष उम्र के उपर लेकिन गर्भवती नहीं| | १२-१४.५ | १२ से कम |
एक स्वस्थ इंसान में खून में पोषक तत्वों का स्तर लगभग स्थिर होता है। खून में ग्लूकोस, अमीनो एसिड, अन्य प्रोटीन, वसा, खनिज, एन्जाइम और अन्य पदार्थ होते हैं। विभिन्न अंग खून में अलग अलग ज़रूरी पदार्थ लेते छोड़ते हैं। उदाहरण के लिए थायरॉइड ग्रंथि कई और पदार्थों के साथ साथ खून में से आयोडीन भी लेती है। इस तरह खून शरीर का आम संचरण का एक माध्यम है। दवाइयों को उनके लक्ष्य अंगों तक पहुँचाने के लिए भी हम इसी माध्यम का इस्तेमाल करते हैं।