आजकल कई एक शहरों में हॅंसने के क्लब बने हुए हैं। लोग नियमित रूप से इकट्ठे होते हैं और बस हॅंसते जाते हैं। वे कहते हैं कि इससे उन्हें अपना स्वास्थ्य अच्छा रखने में मदद मिलती है। इसमें कुछ हद तक सच्चाई है। परन्तु इसमें तो कोई शक नहीं है कि खुशी का और गहरा अहसास स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिए ज़रूरी होता है। खुशी और आशा के अहसास से शरीर के बहुत से तंत्रों, जिनमें प्रतिरक्षा तंत्र भी शामिल है, को सही रखने के लिए ज़रूरी है।
सपने स्वाभाविक नींद का हिस्सा होते हैं, सभी लोग सपने देखते हैं परन्तु जगने के बाद उन्हें भूल जाते हैं। गहरी नींद में भी सपने आते हैं। नींद के दो तरह के चक्र होते हैं: रेम (रेपिड आई मूवमेंट फ़ेज) और एनरेम (नोन आई मूवमेंट फ़ेज)। ये दोनों बारी बारी से होते हैं। रेम नींद के दौरान अधिक सपने आते हैं। लड़खड़ाने या संतुलन खोने के सपने सबसे ज़्यादा आते हैं। ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि हमारे पूर्वज पेड़ों पर रहते थे और हमारे दिमाग में यह कहीं गहरे घुसा हुआ है। सांप के काटने के सपने भी बहुत आते हैं। यह शायद मनुष्यों और सरीसृपों के बीच के विकास के संघर्ष से जुड़ा है।
बाकी के सपने हमारे आम और गहन अनुभवों से जुड़े होते हैं। गहरी नींद में आने वाले सपने सामान्य मनोविज्ञान से जुड़े होते हैं। कुछ लोगों को ऐसे भी सपने आते हैं जिनसे वे भविष्य के बारे में योजनाएं और आगाह हो पाते हैं। यह भी परिस्थितियों का बौद्धिक स्वरूप है। परन्तु पैरासाइकोलोजी जिसे छठी संवेदना भी कहते हैं, का इस्तेमाल कुछ लोग औरों की तुलना में ज़्यादा कर पाते हैं।
कुछ मनोविकार आनुवंशिकी से आते है तो कुछ परिस्थितीजन्य होते है। सभी मनोविकारों की रोकथाम संभव नही है लेकिन हम कुछ उपाय जरुर कर सकते है।
जहॉ आयोडिन की कमी वाले क्षेत्रो में आयोडिनयुक्त नमक उपलब्ध होने पर घेंगा और क्रिटिनिझम की समस्या कम हो रही है।
कुछ सामान्य मनोविकार के बीज बचपन की परवरीश में अन्जाने में बोये जाते है। मारपीट एक ऐसा ही कारण है जिससे बच्चे व्यस्क होने पर खुद हिंसा के आदी हो सकते है।
गंभीर मनोविकारग्रस्त पति या पत्नी हो तो संतान में भी यह बीमारी प्रगट हो सकती है। इसलिये शादी ब्याह करते समय थोडी पुछताछ जरुरी है। आजकल अनुवांशिक जॉंच और सलाह उपलब्ध है इसका फायदा लेना चाहिये।
शराब पीनेवाले १०-१५ प्रतिशत लोग लत के शिकार हो जाते है |
शराब पीना एक आम बात हो गयी है और इसकी लत काफी लोगों में मनोविकार का कारण होती है। शराब पीने वालों में आगे चलकर लगभग 10% लोग इसके आदी बन जाते है। लत लगने वाले रसायन में अफीम या गांजा भी है। ये सभी व्यसन व्यक्ति और परिवार को हानी पहुँचाते है।
उच्च रक्तचाप और धमनियॉं में संकुचन और प्लाक का बनना उम्र के साथ होनेवाली समस्या है। 30 वर्ष की उम्र के बाद छ: मास में रक्तचाप की जॉच जरुरी है। दिमागी में धमनी के फटने से या अवरुद होने से स्ट्रोक यानि लकवा पडता है। यह रोकने के लिये पहले से उच्चरक्तचाप की रोकथाम और उपाय करने चाहिये।
हमारे देश में फाल्सीपेरम मलेरिया और मस्तिष्क बुखार संक्रमण की बिमारी काफी हद तक पायी जाती है। ऐसे बीमारियों की जानकारी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचानी चाहिये और मच्छरों पर नियंत्रण भी जरुरी है।