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अप्राक़तिक यौन व्यवहार

दो वयस्क विपरीत लिंगों के लोगों के बीच आपसी रजामंदी से होने वाला यौन संबंध सबसे आमतौर पर स्वीकार्य होता है। आजकल बहुत से देशों में समलैंगिकता को भी स्वीकृति मिल रही है।

क्या यौन अपराध बढ़ रहे हैं? क्या यह सिनेमा और टेलिविज़न के असर के कारण हो रहा है? आजकल के संचार माध्यमों से पूरी तरह से घिरे हुए समाज में इन मुद्दों पर बहुत अधिक वाद विवाद होता रहता है। परन्तु यह देखना ज़रूरी है कि हमारे बच्चे अपने दिमागों में सही छवियॉं और मूल्य बनाएं। रोज़ रोज़ यौन संबंध और हिंसा देखना उन्हें सुसंस्कृत नहीं कर सकता है। बहुत से देशों में बच्चों के लिए कुछ टेलिविज़न चैनलों को बंद कर दिया गया है। बच्चों को लड़कियों और लड़कों के बीच स्वस्थ संबंधों के बारे में सही मूल्य देना ज़रूरी है। बहके हुआ यौन व्यवहार काफी आम है। नीचे इसके कुछ प्रकार दिए गए हैं।

परपीड़न उन्माद

यौन संबंध में संतुष्टी हासिल करने के लिए अपने यौन संबंधी को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करना सैडिज़म कहलाता है। चोट लगाना, बीड़ी या सिगरेट से जलाना इसके आम उदाहरण हैं। पत्नि को पीटना भी इसी का रुप है।

लिंग प्रदर्शन प्रवृति
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शिश्नं प्रदर्शन – एक मनोविकृती और अपराध

दूसरे लिंग के व्यक्ति के सामने गुप्तांगों या नंगेपन का प्रदर्शन करना प्रदर्शन प्रवृति में आता है। यह दंडनीय अपराध है।

पशुमैथुन
bestiality
पशु के साथ यौन संबंध एक मानसिक विकृती मानी जाती है|

पशुमैथुन का अर्थ है जानवरों खासकर मवेशियों के साथ यौन संबंध।

बच्चों के साथ यौन दुराचार
sexual-misconduct-children
बालपीडन – एक मनोविकृती और अपराध

बहुत से पर्यटन स्थलों और शहरों में यह समस्या बढ़ती जा रही है और यह परंपरागत समाजों में भी काफी आम है। इसमें से काफी घटनाएं तो घर में ही होती हैं और बहुत सी काम की जगहों आदि में भी होती हैं। पारिवारिक दुर्व्यवहार के अनगिनत मामले छिपाये जाते है|

वोयूरिज़्म यौन व्यवहार निरीक्षण

दूसरों की यौन क्रियाओं को छुप छुप कर देखने को वोयूरिज़्म कहते हैं।

निकट संबंधियों के साथ यौनाचार

खून के रिश्ते वालों के साथ सम्भोग गैरकानूनी होने के बावजूद काफी आम है। परिवार के पुरुष सदस्य आमतौर पर महिला सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। अगर ऐसा कोई संबंध दो वयस्कों के बीच आपसी रजामंदी से हो तो इससे भी वफ़ादार पति या पत्नी को परेशानी होती है। परन्तु निकट संबंधी के साथ संभोग में आमतौर पर दबाने वाला संबंध ही होता है जिसके शिकार बच्चे या मजबूर महिलाएं ही होते हैं। बच्चे आमतौर पर चुपचाप इस सब को सहते हैं। बहुत ही कम बच्चे ऐसे में परिवार के अन्य सदस्यों से इस की शिकायत कर पाते हैं। सामाजिक लांछन के चलते मॉं बाप भी इन चीज़ों को छिपाने की कोशिश करते हैं।

बच्चों के साथ बलात्कार और यौन दुराचार मानव समाज में किए गए अपराधों में यह सबसे अधिक खराब है। इससे असंख्य हताहतों को बहुत अधिक दु:ख और दर्द सहना पड़ता है। परिवार के किसी सदस्य के द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न से बच्चे के दिमाग में गहरा घाव छूट जाता है जो अकसर बड़ी उम्र तक वैसा ही बना रहता है। आमतौर पर सभ्य समाज में दो वयस्क लोगों के बीच रजामंदी से यौन संबंध ही स्वीकार्य होता है। और सभी तरीकों के यौन संबंध को असरदार तरीकों से रोकना चाहिए। परन्तु समाजों में सामाजिक और नैतिक मूल्य बदलते रहते हैं। एड्स के डर ने ‘सुरक्षित यौन संबंध’ की नयी मान्यताओं को जन्म दिया है, जिसमें कई लोगों के साथ यौन संबंध, व्यावसायिक यौन संबंध और शायद समलैंगिक यौन संबंधों से बचने की बात की जा रही है।

कई शहरों में कई सामाजिक संस्थान परिवार के सदस्यों यौन उत्पीड़न के शिकार हताहतों की मदद करती हैं। इनके पास फोन की लाइनें हैं जो 24 घंटों काम करती हैं। काम की जगहों पर महिलाओं या बच्चों का यौन उत्पीड़न काफी आम है। काम की जगह की परिस्थितियों का फायदा उठाकर जबर्दस्ती संपर्क बनाना, दुलारना और यहॉं तक कि यौन संबंध बनाने की घटनाएं पूरी दुनिया में खूब सुनने में आ रही हैं। अब सब संस्थनों में इसके लिये ‘विशाखा’ कमिटी होना अनिवार्य है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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