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व्यक्तित्व में गड़बड़ियाँ

गंभीर और साधारण गड़बड़ियों के अलावा व्यक्तित्व की कुछ और गड़बड़ियॉं भी देखने को मिलती हैं:

शक्की व्यक्तित्व

ऐसे लोग दूसरों पर विश्वास नहीं करते। उन्हें हमेशा लगता रहता है कि उनके खिलाफ कोई साजिश हो रही है। ऐसे लोग बहुत अधिक पक्षपात भी करते हैं। ऐसे मरीज़ कभी भी अपने आप किसी दूसरे से मदद नहीं मांगते।

अभिविदलित व्यक्तित्व

ऐसे लोग आसानी से खुल कर दूसरों से बात नहीं करते और हमेशा अपने में ही खोए रहते हैं। ऐसे लोगों की प्रवृति अकेले रहने की होती है, दूसरे लोगों के साथ बर्ताव में काफी सावधानी रखते हैं, एक ही दिशा में सोचते हैं, थोड़े सनकी से होते हैं और दूसरों के प्रति काफी रूखे होते हैं।

असामाजिक व्यक्तित्व

ऐसे पुरुष ज़्यादा होते हैं। इसके शुरूआती लक्षण बचपन या लड़कपन में दिखाई देते हैं। झूंठ बोलना, चोरी करना, झगड़े करने लगना, बड़ों और दूसरों की इज़्ज़त न करना, हिंसक प्रवृति, यौन व्यवहार में बहकना, लत और दूसरों को उनके हकों से वंचित करना इस तरह के व्यक्तित्व की निशानियॉं हैं। बचपन या लड़कपन में इस तरह के व्यवहार से आपराधिक प्रवृति की शुरुआत ढूंढी जा सकती है। ऐसे लोगों के दोस्तों या पति-पत्नी से टिकाऊ संबंध नहीं होते। ऐसे बच्चों में स्कूल छोड़ने की दर भी काफी होती है। परन्तु फिर भी ऐसे बच्चों को सुधारना संभव है। परन्तु परिवार में कलह से समस्या बढ़ जाती है।

दुसरे पर निर्भर व्यक्तित्व

ऐसे लोगों के मन में अपने को कम आंकने और नीचा समझने की प्रवृति होती है। ये लोग अपने जीने के लिए औरों पर निर्भर होते हैं और हमेशा यह चाहते हैं कि कोई और उनके निर्णय ले दे। ये लोग हमेशा ऐसे दोस्तों की तलाश में रहते हैं जो नर्म दिल और फिक्र करने वाले हों। ये लोग आमतौर पर शर्मीले और अपने में रहने वाले होते हैं।

बाध्य मनोग्रस्त (अडंगा) व्यक्तित्व

छोटे छोटे मुद्दे लेकर विवरणों के पीछे पड़ना और दूसरों को भी इनपर ध्यान देने के लिए मजबूर करना इस तरह के लोगों की खास पहचान है। वो जो कुछ खुद करते हैं उसके प्रति काफी साफ, सावधान और सतर्क होते हैं। अकसर ये लोग नैतिकता की बात काफी ज़्यादा करते हैं और हर बात में सही गलत तय करते रहते हैं। ये लोग अपनी बात पर अड़े रहते हैं चाहे उन्हें अपने स्वभाव से कितना भी नुकसान न हो जाए।

हिस्टीरिया वाला व्यक्तित्व

लंबे समय तक तनाव में रहने और खुद को दबाते रहने ससे होने वाले नुकसान से खुद को बचाने का शरीर का यह अवचेतन तरीका है। कुछ लोगों की तनाव वाली स्थितियों में बहुत ज़ोर की प्रतिक्रिया होती है और इसलिए उन्हें ‘हिस्टीरिकल’ कहा जाता है।

 

डॉ. शाम अष्टेकर २१, चेरी हिल सोसायटी, पाईपलाईन रोड, आनंदवल्ली, गंगापूर रोड, नाशिक ४२२ ०१३. महाराष्ट्र, भारत

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